बुधवार, 29 मई 2024

बच्चों की पैरेंट्स के लिए तो परेशानी की बात है ही साथ ही ये बच्चों के विकास के लिए भी ठीक नहीं है। जो बच्चे जिद्दी होते हैं उनके बिहेवियर में बड़े होकर भी कई तरह के कॉम्पलेक्स आ सकते हैं। बच्चे के जिद्दी होने की वजह आपकी कुछ आदतें भी हो सकती हैं।

जब बच्चे 2 साल की उम्र पार करते हैं तो अचानक से स्वभाव में बहुत गुस्सा और जिद आने लगती है। खासतौर से 2 से 5 साल की उम्र के बच्चे सबसे ज्यादा जिद्दी होते हैं। इस उम्र में बच्चों को समझाना बहुत मुश्किल हो जाता है। अगर इस आदत को सुधारा नहीं गया तो बच्चे में हर बात पर जिद करने की आदत पड़ जाती है। जब बच्चे की जिद पूरी नहीं होती तो बहुत गुस्सा करते हैं रोते हैं और पैरेंट्स को परेशान करते हैं। बच्चे के ऐसे व्यवहार का कारण कई बार माता पिता भी होते हैं। जाने-अनजाने में हम ऐसी कई गलतियां कर बैठते हैं जिससे बच्चा जिद्दी

और चिड़चिड़ा हो जाता है। ऐसे बच्चों में कई तरह की बिहेवियर संबधी समस्याएं भी होने लगती हैं। जिसे समय रहते कंट्रोल करना जरूरी है।


बच्चों की जिद और गुस्से को कैसे कंट्रोल करें?

1-जिद करने पर तुरंत डायवर्ट करें- सबसे पहला सॉल्यूशन तो यही है कि 2 से 5 साल के बच्चे जितनी जिद करते हैं उतना ही जल्दी डायवर्ट भी हो जाते हैं. आप उनको जिद करने पर तुरंत किसी दूसरी बात, कहानी या प्लानिंग में उलझा दें. लेकिन याद रखें कि ये तरीका ऐसा हो जिसमें थोड़ा सर्प्राइजिंग एलीमेंट हो तभी बच्चे का ध्यान बंटेगा.


2-बच्चे को जिद करने पर समझायें- बच्चे की जिद करने की आदत को एक दिन में दूर नहीं कर सकते. धैर्य रखें और जब टाइम मिले उसे प्यार से बतायें कि हर बात पर जिद करना अच्छी बात नहीं साथ ही उसकी साइकॉलोजी को समझने की कोशिश करें कि वो क्यों इतनी जिद करता है और क्या कहना चाहता है. 


3-बच्चे के लिये सबसे जरूरी टाइम- बच्चों में जिद, मारपीट या कोई भी बिहेवियर रिलेटेड प्रॉबलम तब शुरु होती है जब पैरेंट्स के पास वक्त कम होता है. अगर पॉसिबल हो तो उनके दादा-दादी या नाना- नानी को साथ रखें या जल्दी जल्दी उनसे मिलवायें. अकेले बच्चे ज्यादा जिद्दी बनते हैं और जो फैमिली में साथ रहते हैं उनमें इतनी जिद करने की आदत नहीं रहती.


4-अपना व्यवहार भी सही रखें- चैरिटी बिगेन्स एट होम वाला मुहावरा बिल्कुल सटीक है. अगर बच्चों का बिहेव ठीक रखना है तो सबसे पहले पेरेंट्स को अपना बिहेव ठीक रखना पड़ेगा. बच्चे घर में जिस तरह का माहौल देखते हैं उसी ढंग से सीखते हैं इसलिये बच्चों के सामने ऊंची आवाज में बात करना, चिल्लाना  या लड़ाई झगड़ा बिल्कुल ना करें.


5-हर जिद बिल्कुल पूरी ना करें- कई बार सिंगल फैमिली में बच्चों की जो डिमांड होती है पैरेंट्स उसे आसानी से पूरी कर देते हैं. उनको जो चाहिये वो कहने के साथ ही मिल जाता है इससे बच्चों में ये फीलिंग डेवेलप हो जाती है जो डिमांड करेंगे वो पूरी हो जायेगी और इसलिये जब वो कोई भी नयी चीज देखते हैं तो उसकी जिद करते हैं या अपनी बात को मनवाने के लिये गुस्सा करते हैं. बच्चों की जरूरत पूरी करें लेकिन साथ ही उन्हें पैसे का महत्व बतायें और साथ ही मॉरल वैल्यू से समझायें कि हर सामान की जिद करना ठीक नहीं है.


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