धीरे-धीरे सब छूटता जा रहा है
रिश्ते मतलब के रह गए हैं
दोस्त उंगलियों में गिने जा सकते हैं
फोन पर किसी से बात नहीं होती
बिना मतलब के तो यहां
कोई हाल तक नहीं पूछता
जिंदगी बेरंग हो गई है
और यह सच है कि इसे
बदलने से मैं रोक भी नहीं सकता
गीता का एक-एक अध्याय अपने में पूर्ण है। गीता एक किताब नहीं, अनेक किताबें है। गीता का एक अध्याय अपने में पूर्ण है। अगर एक अध्याय भी गीता का ठीक से समझ में आ जाए--समझ का मतलब, जीवन में आ जाए, अनुभव में आ जाए, खून में, हड्डी में आ जाए; मज्जा में, मांस में आ जाए; छा जाए सारे भीतर प्राणों के पोर-पोर में--तो बाकी किताब फेंकी जा सकती है। फिर बाकी किताब में जो है, वह आपकी समझ में आ गया। न आए, तो फिर आगे बढ़ना पड़ता है।
Home BLOG ASTROLOGY Love and Marriage Astrology Puja For Success In Career Job & Career Business & Finance Family Dispute Child Astr...