शनिवार, 8 अक्तूबर 2022

सफेद मूसली

सफेद मूसली  एक ऐसी शक्तिवर्धक जड़ी-बूटी है जिसका मुख्य इस्तेमाल सेक्स पावर बढ़ाने के लिए किया जाता है। सफेद मूसली के फायदे  सिर्फ सेक्स क्षमता बढ़ाने तक ही सीमित नहीं है बल्कि यह गठिया, डायबिटीज, यूटीआई आदि बीमारियों को दूर करने में भी उपयोगी है। सफेद मूसली का उपयोग आयुर्वेदिक, यूनानी और होम्योपैथी चिकित्सा पद्धति में प्रमुखता से किया जाता है।


सफेद मूसली  आमतौर पर बरसात के मौसमों में जंगलों में अपने आप उगती है लेकिन इसकी उपयोगिता को देखते हुए अब पूरे देश में सफेद मूसली की खेती की जाती है। इसके औषधीय गुणों को देखते हुए अब बाज़ार में सफेद मूसली के पाउडर और कैप्सूल भी मिलने लगे हैं। सेक्स संबंधी समस्याओं में यह बहुत ज्यादा फायदेमंद है और कुछ जगहों पर इसे “हर्बल वियाग्रा”  के नाम से भी जाना जाता है। हालांकि अभी भी सफेद मूसली के फायदों  और नुकसान से जुड़े पर्याप्त चिकित्सकीय प्रमाण उपलब्ध नहीं है।

सफेद मूसली में पाए जाने वाले पोषक तत्व :

आयुर्वेद के अनुसार सफेद मूसली  की जड़ें सबसे ज्यादा गुणकारी होती हैं। ये जड़ें विटामिन और खनिजों का भंडार हैं। सफेद मूसली की जड़ों के अलावा इनके बीजों का इस्तेमाल भी प्रमुखता से किया जाता है। इन जड़ों में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, फाइबर, सैपोनिंस जैसे पोषक तत्व और कैल्शियम, पोटैशियम, मैग्नीशियम आदि खनिज प्रमुखता से पाए जाते हैं।

सफेद मूसली के औषधीय गुण :

सफेद मूसली की गांठ वाली जड़ें और बीजों का इस्तेमाल औषधि के रुप में सबसे ज्यादा किया जाता है। आमतौर पर सफेद मूसली का उपयोग सेक्स संबंधी समस्याओं के लिए अधिक होता है लेकिन इसके अलावा सफेद मूसली का इस्तेमाल आर्थराइटिस, कैंसर, मधुमेह (डायबिटीज),नपुंसकता आदि रोगों के इलाज में और शारीरिक कमजोरी दूर करने में भी प्रमुखता से किया जाता है। कमजोरी दूर करने की यह सबसे प्रचलित आयुर्वेदिक औषधि है। जानवरों पर किये एक शोध में इस बात की पुष्टि हुई है कि इसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं साथ ही यह सेक्स संबंधी गतिविधि को बढ़ाती है और टेस्टोस्टेरोन जैसे प्रभाव वाले सेक्स हार्मोन का स्तर बढ़ाती है।

सफेद मूसली खाने की विधि

सफेद मूसली के फायदे  के बारे में जानकारियां तो आसानी से उपलब्ध हैं लेकिन सफेद मूसली खाने की विधि के बारे में ज्यादा जानकारी इंटरनेट पर मौजूद नहीं है। अधिकांश लोग यह जानना चाहते हैं कि सफेद मूसली कैसे खाएं?

इस बात का ध्यान रखें कि सेवन से पहले सफेद मूसली की खुराक  के बारे में जानना बेहद ज़रुरी है क्योंकि गलत या ज्यादा खुराक का सेवन नुकसानदायक हो सकता है। बेहतर होगा कि किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह के अनुसार ही सफेद मूसली  का सेवन करें। आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति में सफेद मूसली के सेवन के लिए मुख्य रुप से मूसली चूर्ण या मूसली पाउडर और मूसली पाक का इस्तेमाल किया जाता है। सामान्य रुप से सफेद मूसली को दूध के साथ खाने की सलाह दी जाती है।

आमतौर पर सफेद मूसली की सामान्य खुराक निम्नलिखित है:

सफेद मूसली चूर्ण : 1-2 ग्राम दिन में दो बार

सफेद मूसली कैप्सूल : 1-2 कैप्सूल दिन में दो बार

मूसली पाक : आधा-आधा चम्मच दिन में दो बार

हालांकि इसकी खुराक व्यक्ति की उम्र, लिंग और रोग के आधार पर तय की जाती है इसलिए चिकित्सक द्वारा निर्धारित खुराक के अनुसार ही सेवन करें। 

सफेद मूसली के फायदे 

आयुर्वेदिक चिकित्सा के अनुसार सफेद मूसली मुख्य रुप से पित्तशामक और वातशामक है लेकिन यह कफ दोष को बढ़ाती है। इसी वजह से कफ संबंधी समस्याओं में इससे परहेज करना चाहिए। सफेद मूसली में कामोत्तेजक गुण होते हैं और यह शीघ्रपतन और इरेक्टाइल डिसफंक्शन जैसी बीमारियों में बहुत उपयोगी साबित होती है।  यौन विकारों समेत सफेद मूसली और किन किन समस्याओं में उपयोगी है और कितनी मात्रा में इसका सेवन करना चाहिए।

1- सेक्स पावर बढ़ाने में उपयोगी

आप किसी से भी सफेद मूसली के फायदे  के बारे में बात करेंगे तो वो आपको झट से यही बतायेगा कि सफेद मूसली यौन शक्ति बढ़ाती है वहीं कुछ लोग तो इसका इस्तेमाल हर्बल वियाग्रा के तौर पर करते हैं। जानवरों पर किये एक शोध में पाया गया कि  सफेद मूसली पाउडर  में ऐसे गुण होते हैं जो कामोत्तेजना बढ़ाने के साथ साथ टेस्टोस्टेरोन जैसे प्रभाव वाले सेक्स हार्मोन का स्तर बढ़ा सकते हैं। इसलिए सेक्स क्षमता बढ़ाने के लिए सफ़ेद मूसली का उपयोग करना सही है।

खुराक और सेवन की विधि : यौन शक्ति बढ़ाने के लिए आधा चम्मच मूसली पाउडर को गुनगुने दूध के साथ दिन में दो बार खाना खाने के बाद लें।

2- शीघ्रपतन रोकने में उपयोगी

खराब जीवनशैली और खानपान की वजह से अधिकांश लोग शीघ्रपतन की समस्या से ग्रसित रहते हैं। कई लोग संकोच के कारण डॉक्टर के पास भी नहीं जाते हैं और इंटरनेट पर शीघ्रपतन रोकने के उपाय खोजते रहते हैं। ऐसे लोगों के लिए सफेद मूसली  एक कारगर औषधि है। इसे आप शीघ्रपतन की दवा के रुप में इस्तेमाल कर सकते हैं।   

खुराक और सेवन की विधि : आधा चम्मच सफेद मूसली पाउडर  में बराबर मात्रा में  मिश्री मिलाकर दूध के साथ दिन में दो बार खाने के बाद लें।

3- इरेक्टाइल डिसफंक्शन

सेक्स के दौरान लिंग में उत्तेजना या तनाव की कमी होना इरेक्टाइल डिसफंक्शन की समस्या कहलाती है। स्ट्रेस, डिप्रेशन या किसी दीर्घकालिक बीमारी की वजह से यह समस्या किसी को भी हो सकती है। सफेद मूसली सेक्स की इच्छा को बढ़ाती है साथ ही यह इरेक्टाइल डिसफंक्शन की समस्या को भी ठीक करने में मदद करती है। अक्सर डायबिटीज या अन्य किसी बीमारी के कारण इरेक्टाइल डिसफंक्शन का खतरा बढ़ जाता है ऐसे में सफ़ेद मूसली के सेवन से आप इस खतरे को प्रभावी तरीके से रोक सकते हैं।

खुराक और सेवन की विधि :  सफेद मूसली के कैप्सूल आज कल बाज़ार में आसानी से उपलब्ध हैं। 1-1 कैप्सूल सुबह शाम पानी या दूध के साथ सेवन करें।

4- नपुंसकता से बचाव 

शोध के अनुसार सफेद मूसली वीर्य का उत्पादन बढ़ाती है और वीर्य की गुणवत्ता में सुधार लाती है। ऐसा माना जाता है कि इसके नियमित सेवन से नपुंसकता के खतरे को काफी हद तक कम किया जा सकता है। कौंच के बीज के साथ सफेद मूसली का सेवन नपुंसकता के इलाज में काफी उपयोगी माना जाता है।  

खुराक और सेवन की विधि : नपुंसकता दूर करने के लिए एक से डेढ़ चम्मच मूसली पाक को गाय के दूध के साथ दिन में दो बार लें।


5- स्पर्म क्वालिटी में सुधार 

कई विशेषज्ञों का मानना है कि सफेद मूसली शुक्राणुओं की संख्या (स्पर्म काउंट) बढ़ाने में मदद करती है , हालांकि इसके वैज्ञानिक प्रमाण नहीं मिलते हैं। लेकिन यह बात पूरी तरह सच है कि सफेद मूसली के सेवन से स्पर्म की गुणवत्ता में सुधार होता है और इससे शुक्राणुओं की गतिशीलता बढ़ती है जिससे शुक्राणु पूरी तरह स्वस्थ रहते हैं।

खुराक और सेवन की विधि : स्पर्म की गुणवत्ता को बेहतर करने के लिए आधा चम्मच मूसली पाउडर को एक चम्मच शहद के साथ मिलाकर रोजाना सुबह-शाम सेवन करें।

6- स्वप्नदोष की कमजोरी दूर करने में सहायक

स्वप्नदोष एक आम समस्या है और इसके होने के पीछे कई वजहें हो सकती हैं। अगर आप ‘स्वप्नदोष की आयुर्वेदिक दवा’ खोज रहे हैं तो आपकी जानकारी के लिए बता दें कि सफेद मूसली के सेवन से स्वप्नदोष की समस्या पर तो ज्यादा असर नहीं पड़ता है लेकिन यह स्वपनदोष के बाद होने वाली शारीरिक कमजोरी को दूर करने में बहुत ही लाभकारी है। अगर आप भी बार बार स्वप्नदोष होने की वजह से कमजोरी महसूस कर रहे हैं तो सफेद मूसली का सेवन ज़रुर करें।

खुराक और सेवन की विधि : आधा चम्मच सफेद मूसली पाउडर को गुनगुने दूध के साथ मिलाकर दिन में दो बार खाना खाने के बाद लें। इससे स्वप्नदोष के बाद होने वाली कमजोरी जल्दी दूर होती है।


7- बॉडी बिल्डिंग 

सेक्स क्षमता बढ़ाने के अलावा शरीर की ताकत बढ़ाना, सफेद मूसली के प्रमुख फायदों  में शामिल है। यही वजह है कि आज के समय में अधिकांश जिम जाने वाले लड़के बॉडी बिल्डिंग के लिए सफेद मूसली को सप्लीमेंट की तरह इस्तेमाल करते हैं। अगर आप भी शारीरिक रुप से कमजोर हैं या थोड़ी सी मेहनत करने के बाद थक जाते हैं तो सफेद मूसली आपके लिए बहुत फायदेमंद है।

खुराक और सेवन की विधि : सफेद मूसली के 1-1 कैप्सूल का सेवन सुबह और शाम को दूध या पानी के साथ करें।

8- इम्युनिटी बढ़ाने में सहायक

सफेद मूसली शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाती है जिससे सर्दी-जुकाम समेत कई तरह की संक्रामक बीमारियों से आपका बचाव होता है। अगर आप बार बार सर्दी-जुकाम या फ्लू के शिकार हो रहे हैं तो ऐसे में इम्युनिटी पावर बढ़ाने के लिए सफेद मूसली का सेवन करें और स्वस्थ रहें।

खुराक और सेवन की विधि : आधा चम्मच मूसली पाक को एक चम्मच शहद या एक गिलास दूध के साथ सुबह शाम लें।

9- वजन घटाने में सहायक 

यह सच है कि सफेद मूसली  शारीरिक शक्ति को बढ़ाती है और ताकत बढ़ाने वाली कोई भी आयुर्वेदिक औषधि शरीर के वजन को भी बढ़ाती है। यही कारण है कि सफेद मूसली का दूध के साथ सेवन आपके वजन को बढ़ा सकता है लेकिन आपको जानकर आश्चर्य होगा कि यदि आप इसे गर्म पानी के साथ पियें तो यह वजन कम करने में मदद करती है। इसलिए अगर आप मोटापे या बढ़ते वजन से परेशान हैं तो गर्म पानी के साथ सफेद मूसली का सेवन करें।

खुराक और सेवन की विधि : आधा चम्मच मूसली पाउडर को गर्म पानी के साथ वर्कआउट करने के कुछ देर बाद लें। ध्यान रखें कि अगर आप वजन घटाने के लिए सफेद मूसली का सेवन कर रहे हैं तो दूध के साथ इसके सेवन से परहेज करें क्योंकि उससे वजन बढ़ सकता है।


10- मूत्र संबंधी रोगों को दूर करने में सहायक  

पेशाब करते समय तेज जलन होना या बार बार पेशाब होने जैसी समस्याओं से आराम दिलाने में भी सफेद मूसली (safed musli) कारगर है। इसके अलावा जिन महिलाओं को ल्यूकोरिया या सफेद पानी  की समस्या है उनके लिए भी सफेद मूसली बहुत फायदेमंद है। यह ल्यूकोरिया की समस्या को कुछ ही दिनों में ठीक कर देती है।

खुराक और सेवन की विधि : मूत्र संबंधी रोगों से आराम पाने के लिए आधा चम्मच सफेद मूसली पाउडर को गुनगुने दूध के साथ दिन में दो बार लें।

11- आर्थराइटिस में फायदेमंद

उम्र बढ़ने के साथ साथ हड्डियों और जोड़ों में दर्द होना एक आम समस्या है। अपने देश में अधिकांश बुजुर्ग आर्थराइटिस की समस्या से पीड़ित रहते हैं। सफेद मूसली के सेवन से आर्थराइटिस में होने वाले जोड़ों के दर्द और सूजन से आराम मिलता है।

खुराक और सेवन की विधि : आधा चम्मच मूसली पाउडर दूध या पानी के साथ दिन में दो बार खाने के बाद लें।

12- कैंसर से बचाव

कई विशेषज्ञों का दावा है कि सफेद मूसली के सेवन से कैंसर के खतरे को कम किया जा सकता है। यह शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को प्रभावी तरीके से मजबूत करती है जिससे कैंसर कोशिकाओं के बढ़ने का खतरा कम होता है और कैंसर से बचाव होता है।

खुराक और सेवन की विधि :  कैंसर से बचाव के लिए आधा चम्मच मूसली पाउडर को दूध या पानी के साथ दिन में दो बार सेवन करें।

सफेद मूसली के नुकसान और सावधानियां

यह सच है कि सफेद मूसली के फायदे बहुत ज्यादा हैं लेकिन अगर आप ज़रुरत से ज्यादा मात्रा में या गलत तरीके से इसका सेवन कर रहे हैं तो आपको सफेद मूसली के नुकसान झेलने पड़ सकते हैं। हालांकि सफेद मूसली के नुकसान से संबंधित ज्यादा वैज्ञानिक प्रमाण मौजूद नहीं हैं फिर भी कई आयुर्वेदिक विशेषज्ञ इससे जुड़े नुकसानों के बारे में बताते हैं। 

1- भूख में कमी :

अगर आप ज़रुरत से ज्यादा मात्रा में सफेद मूसली का सेवन कर रहे हैं तो यह आपकी भूख को कम कर सकती है। इसलिए डॉक्टर द्वारा बताई खुराक के अनुसार ही सेवन करें। अगर इसके सेवन के दौरान भूख में कमी महसूस हो तो आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह लें।

2- कफ में बढ़ोतरी :

सफेद मूसली की तासीर ठंडी होती है और यह शरीर में कफ को बढ़ाती है। इसलिए अगर आप कफ से जुड़ी समस्याओं से पहले से ही पीड़ित हैं तो सफेद मूसली के सेवन से परहेज करें या चिकित्सक की देखरेख में ही सफेद मूसली सेवन करें।

3- गर्भावस्था एवं स्तनपान :

इस बात के पर्याप्त प्रमाण मौजूद नहीं है कि सफेद मूसली का गर्भावस्था और स्तनपान के दौरान सेवन सुरक्षित है या नहीं, इसलिए इस दौरान सफेद मूसली के सेवन से परहेज करें। अगर आप इसका सेवन करना चाहती हैं तो स्त्री रोग विशेषज्ञ की सलाह के अनुसार करें।

4- पाचन तंत्र पर प्रभाव :

अगर आपकी पाचन क्षमता कमजोर है तो सफेद मूसली  की कम मात्रा का सेवन करें क्योंकि यह देरी से पचती है जिसकी वजह से आपको पाचन तंत्र से जुड़ी समस्याएं हो सकती हैं। ऐसे में बेहतर होगा कि आप दिन में एक बार सिर्फ आधा चम्मच सफेद मूसली चूर्ण  का ही सेवन करें।


अब आप सफेद मूसली के फायदे और नुकसान से भलीभांति परिचित हो चुके हैं। अपनी ज़रुरत और रोग के हिसाब से इसका सेवन शुरु कर दें और स्वस्थ रहें। अगर सेवन के दौरान किसी तरह की समस्या होती है तो तुरंत नजदीकी डॉक्टर से संपर्क करें।



मंजिष्ठा

 औषधीय गुण वाले अनगिनत पेड़, पौधे और जड़ी बूटियों का वरदान प्रकृति ने मनुष्य को दिया है। इसलिए, स्वस्थ जीवन का राज प्रकृति की गोद में ही छिपा हुआ है। बस जानकारी के अभाव में हम अपने आसपास मौजूद इन जडी-बूटियों को अनदेखा कर देते हैं। ऐसी ही जड़ी-बुटियों में से एक है मंजिष्ठा। संपूर्ण स्वास्थ्य के लिए मंजिष्ठा जड़ी-बूटी का इस्तेमाल किया जा सकता है।

मजीठ पौधे की जड़ को मंजिष्ठा कहा जाता है। मजीठ का वैज्ञानिक नाम रूबिया कॉर्डिफोलिया एल (Rubia cordifolia L) है। रूबिया कॉर्डिफोलिया को इंग्लिश में कॉमन मैडर या इंडियन मैडर के नाम से भी जाना जाता है। यह कॉफी परिवार रूबिएसी (Rubiaceae) से संबंधित फूलों वाले पौधे की एक प्रजाति है। इसकी खेती जड़ों से प्राप्त होने वाले लाल पिगमेंट यानी मंजिष्ठा के लिए की जाती है। इसे आयुर्वेदिक प्रणाली में मूल्यवान औषधीय पौधा माना जाता है और इस जड़ी-बूटी का इस्तेमाल कई रोगों से निजात पाने और शारीरिक समस्याओं को दूर करने के लिए किया जाता है।

मंजिष्ठा के फायदे 

1. वजन

लोग मंजिष्ठा की चाय व काढ़ा बनाकर वजन घटाने के लिए इसका इस्तेमाल करते हैं, लेकिन मंजिष्ठा का वजन कम करने से संबंधित कोई वैज्ञानिक प्रमाण मौजूद नहीं है। हां, अगर आपका वजन डायबिटीज की वजह से बढ़ रहा है, तो इसका इस्तेमाल करने से आपका वजन जरूर कम हो सकता है। इसमें मौजूद एंटी-डायबिटीक गुण मधुमेह को कम करने के साथ ही इसकी वजह से बढ़ रहे आपके वजन पर रोक जरूर लगा सकता है ।

2. कैंसर

मंजिष्ठा की जड़ में एंटी कैंसर गतिविधियां पाई गई हैं। इसलिए, माना जाता है कि इसका इस्तेमाल करने से आप खुद को प्राणघातक कैंसर से बचा सकते हैं। यह कैंसर के सेल्स को बढ़ने से रोकता है । वैसे तो एंटी-कैंसर गुण सभी तरह के कैंसर संबंधी सेल्स को खत्म करने का काम कर सकते हैं, लेकिन एक शोध में इसे खासकर पेट संबंधी कैंसर में उपयोगी पाया गया है। दरअसल, इसमें मोलुगिन (Mollugin) नामक सक्रिय यौगिक मौजूद होता है, जो कोलन कैंसर अणुओं को सक्रिय होने से रोकता है ।

3. डायबिटीज

मंजिष्ठा डायबिटीज को भी ठीक करने में मदद कर सकता है। दरअसल, इसमें एंटीडायबिटिक गतिविधि पाई जाती हैं, जो रक्त शर्करा के स्तर को कम करती है। यह सीरम कोलेस्ट्रोल और ट्राइग्लाइसराइड (triglyceride) नामक वसा के स्तर को भी कम करने में मदद करता है ।

4. इम्यूनिटी

एक शोध में पूरे मजीठ के एथोनोलिक अर्क पर परीक्षण किया था, जिसमें प्रतिरक्षा से संबंधित गुणकारी गतिविधि पाई गई। दरअसल, मंजिष्ठा में मौजूद एल्केलाइड्स, कार्डियक ग्लाइकोसाइड्स, टैनिन, फ्लेवोनोइड्स और फिनोल कंपाउंड इम्यूनो-मॉड्यूलेशन के लिए जिम्मेदार होते हैं। इम्यूनो-मॉड्यूलेशन का मतलब है कि यह प्रतिरक्षा प्रणाली की प्रतिक्रिया को शरीर की जरूरत के हिसाब से बदलता है। ऐसे में कहा जा सकता है कि मंजिष्ठा का इस्तेमाल प्रतिरक्षा बढ़ाने के लिए किया जा सकता है । आप इसका काढ़ा बनाकर पी सकते हैं या चूर्ण के रूप में इसका सेवन कर सकते हैं।

5. अर्थराइटिस

मंजिष्ठा में एंटी-अर्थराइटिक और एंटी-इंफ्लेमेटरी दोनों ही गुण पाए जाते हैं। दरअसल, मंजिष्ठा में रूबिमालिन (rubimallin) तत्व होता है, जो एंटी-इंफ्लेमेटरी प्रभाव प्रदर्शित करता है । इसलिए, मंजिष्ठा के सेवन से अर्थराइटिस के दर्द के साथ ही सूजन की समस्या भी कम की जा सकती है। ऐसे में आप इसका इस्तेमाल अर्थराइटिस की समस्या से निपटने के लिए कर सकते हैं।

6. ट्यूमर

मंजिष्ठा का सेवन आपको ट्यूमर से भी बचा सकता है। इसमें मौजूद बाइसाइकलिक हेक्सापेप्टाइड्स (Bicyclic hexapeptides) यौगिक में एंटीट्यूमर गतिविधि पाई जाती है। इसलिए, आप इसके चूर्ण या मंजिष्ठा को पानी में उबालकर पी सकते हैं ।


7. मासिक धर्म में दर्द

परंपरागत रूप से मंजिष्ठा का इस्तेमाल मासिक धर्म में होने वाले दर्द से राहत पाने के लिए भी किया जाता है। माना जाता है कि मंजिष्ठा मासिक चक्र के दौरान महिलाओं को होने वाले अधिक रक्तप्रवाह को रोकने में मदद करता है ।

8. प्रजनन क्षमता (बांझपन)

महिलाओं में प्रजनन क्षमता को बढ़ाने में भी मंजिष्ठा का इस्तेमाल प्राचीन समय से किया जाता रहा है। अगर महिलाओं में बांझपन की समस्या सर्वाइकल म्यूकस (Cervical mucus) की वजह से है, तो मंजिष्ठा का सेवन करने से यह समस्या दूर हो सकती है। सर्वाइकल म्यूकस गर्भाशय से डिस्चार्ज होने वाला द्रव या जेल होता है। कई बार हार्मोनल असंतुलन के कारण उपजाऊ सर्वाइकल म्यूकस नहीं बनते हैं, जिस कारण बांझपन की समस्या उत्पन्न होती है । वहीं, यह पुरुषों की यौन क्षमता को बढ़ाने के लिए भी उपयोग में लाया जाता है। यह वरस्य (Varsya) यानी पुरुषों की प्रजनन ग्रंथि (टेस्टिस- testis) को सक्रिय कर टेस्टोस्टेरोन हार्मोन के स्तर को बढ़ाने में मदद करता है । दरअसल, टेस्टोस्टेरोन की मदद से शुक्राणुजनन और प्रजनन क्षमता में विकास करने में मदद मिलती है ।

9. पथरी

मंजिष्ठा के फायदे यकीनन कई हैं। आयुर्वेद में औषधि के रूप में इस्तेमाल होने वाले मंजिष्ठा का उपयोग आप ब्रोंकाइटिस व गठिया के साथ ही पथरी के उपचार में भी कर सकते हैं। यह गुर्दे (किडनी) और पित्ताशय की थैली की पथरी को दूर करने में लाभकारी माना जाता है। फिलहाल, अभी यह स्पष्ट नहीं है कि इसका कौन-सा गुण पथरी को होने से रोकता है ।

10. बुखार

मंजिष्ठा को बुखार ठीक करने के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है । दरअसल, इसमें मौजूद एंटी-वायरल गुण बुखार से आपको राहत दिलाने में मदद कर सकता है । एंटी-वायरल गुण बुखार उत्पन्न करने वाले वायरस को नष्ट करके आपको राहत दिलाता है।


11. स्किन

मंजिष्ठा का उपयोग त्वचा संबंधी रोगों को दूर करने के लिए भी किया जाता है । साथ ही इसमें त्वचा की रंगत सुधारने और त्वचा पर पड़े काले धब्बों को दूर करने के लिए भी किया जाता है। यह ब्लड प्यूरीफाई करने में भी मदद करता है। साथ ही इसका मैथेनॉलिक अर्क आपकी त्वचा पर बतौर स्किन वाइटनिंग एजेंट काम करता है । साथ ही इसमें एंटी-एक्ने गुण भी होता है, जो चेहरे को कील-मुंहासों से बचाता है ।

12. बालों के लिए

मंजिष्ठा में बालों को रंग देने का गुण होता है। इसलिए, इसका इस्तेमाल बतौर हेयर डाई भी किया जाता है । दरअसल, मंजिष्ठा में मौजूद पुरपुरिन और मुंजिस्टिन बतौर कलरिंग एजेंट काम करते हैं, जो बालों को रगने में सहायक साबित होते हैं ।


मंजिष्ठा के फायदे के बाद हम आपको मंजिष्ठा का उपयोग किस-किस तरीके से किया जा सकता है, यह बता रहे हैं।

मंजिष्ठा का उपयोग 

मंजिष्ठा का उपयोग आप इन तरीकों से कर सकते हैं:


पानी में उबालकर इसका काढ़ा तैयार करके पी लें।

इसका चूर्ण बनाकर भी आप सीधे खा लें।

मंजिष्ठा चूर्ण को आप पानी में मिलाकर भी पी सकते हैं।

मंजिष्ठा को सीधे मुंह में रखकर चूसा भी जा सकता है।

यह कड़वा कड़वा है इसलिए इसे स्वाद को बढ़ाने के लिए शहद के साथ लिया जाता है।

कुछ लोग मंजिष्ठा चूर्ण को खाने में डालकर भी खाते हैं।

मंजिष्ठा के नुकसान

मंजिष्ठा का आयुर्वेद में बतौर औषधि इस्तेमाल किया जाता है। इसलिए, मंजिष्ठा के नुकसान न के बराबर हैं। नीचे हम आपको इसके कुछ संभावित नुकसान बताएंगे।

मंजिष्ठा में कलरिंग एजेंट होते हैं । इसलिए, माना जाता है कि इसके सेवन से पेशाब के रंग में बदलाव हो सकता है।

गर्भवती और जो स्तनपान कराती हैं, वे इसका सेवन न करे या डॉक्टरी सलाह के बाद भी करें। तो डॉक्टर की सलाह पर ही इसे उपयोग में लाएं।

मंजिष्ठा ऐसी जड़ी-बूटी है, जिसका इस्तेमाल आप बेहिचक कर सकते हैं। लेख पढ़कर तो आपको पता चल ही गया होगा कि इसके नुकसान न के बराबर हैं, तो बस स्वास्थ्य लाभ के लिए आज से ही इसे अपनी दिनचर्या में औषधि के रूप में शामिल कर लें।

नेट पर उपलब्ध जानकारी पर आधारित 




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शतावरी

 आयुर्वेद में शतावरी को एक बहुत ही फायदेमंद जड़ी-बूटी के रूप में बताया गया है। आप अनेक बीमारियों की रोकथाम, या इलाज में शतावरी का प्रयोग कर सकते हैं। 

शतावरी क्या है? 

शतावरी बेल या झाड़  के रूप वाली शतावरी एक जड़ी-बूटी है। इसकी लता फैलने वाली, और झाड़ीदार होती है। एक-एक बेल के नीचे कम से कम 100, इससे अधिक जड़ें होती हैं। ये जड़ें लगभग 30-100 सेमी लम्बी, एवं 1-2 सेमी मोटी होती हैं। जड़ों के दोनों सिरें नुकीली होती हैं।


इन जड़ों के ऊपर भूरे रंग का, पतला छिलका रहता है। इस छिलके को निकाल देने से अन्दर दूध के समान सफेद जड़ें निकलती हैं। इन जड़ों के बीच में कड़ा रेशा होता है, जो गीली एवं सूखी अवस्था में ही निकाला जा सकता है।


 शतावरी दो प्रकार की होती हैं, जो ये हैंः-


विरलकन्द शतावर 

इसके कन्द छोटे, मांसल, फूले हुए तथा गुच्छों में लगे हुए होते हैं। इसके कन्द का काढ़ा बनाकर सेवन किया जाता है।


कुन्तपत्रा शतावर 

यह झाड़ीनुमा पौधा होता है। इसके कन्द छोटे, और मोटे होते हैं। इसके फूल सफेद रंग के होते हैं, और फल गोल होते हैं। कच्ची अवस्था में फल हरे रंग के, और पकने पर लाल रंग के हो जाते हैं। इसके कंद शतावर से छोटे होते हैं।

शतावरी के फायदे

बहुत सालों से शतावरी का भिन्न-भिन्न तरीके से इस्तेमाल होता आ रहा है। 

अनिद्रा रोग (नींद ना आने की परेशानी)

कई लोगों को नींद ना आने की परेशानी होती है। ऐसे लोग 2-4 ग्राम शतावरी चूर्ण को दूध में पका लें। इसमें घी मिलाकर खाने से नींद ना आने की परेशानी खत्म होती है। कहने का मतलब यह है कि शतावर चूर्ण अनिद्रा की बीमारी में बहुत ही लाभकारी हैं।


गर्भवती महिलाओं के लिए 

गर्भवती महिलाओं के लिए शतावरी के फायदे बहुत ही लाभकारी सिद्ध होते हैं। गर्भवती महिलाएं शतावरी, सोंठ, अजगंधा, मुलैठी तथा भृंगराज को समान मात्रा में लें और इनका चूर्ण बना लें। इसे 1-2 ग्राम की मात्रा में लेकर बकरी के दूध के साथ पिएं। इससे गर्भस्थ शिशु स्वस्थ रहता है।


स्तनों में दूध बढ़ाने के लिए 

कई महिलाओं को मां बनने के बाद स्तनों में दूध की कमी की शिकायत होती है। ऐसी स्थिति में महिलाएं 10 ग्राम शतावरी के जड़ के चूर्ण को दूध के साथ सेवन करें। इससे स्तनों में दूध की वृद्धि होती है। इसलिए डिलीवरी के बाद भी शतावरी के फायदे महिलाओं को मिलना उनके सेहत के लिए अच्छा होता है।

1-2 ग्राम शतावरी के जड़ से बने पेस्ट का दूध के साथ सेवन करें। इससे स्तनों में दूध अधिक होता है।

इसी तरह शतावरी को गाय के दूध में पीस कर सेवन करें। इससे दूध स्वादिष्ट और पौष्टिक भी हो जाता है।

शारीरिक कमजोरी दूर करने के लिए 

जो लोग शारीरिक कमजोरी, या शरीर में ताकत की कमी महसूस कर रहे हैं। वे शतावरी को घी में पकाकर मालिश करें, इससे शरीर की कमजोरी दूर होती है। सामान्य कमजोरी दूर करने में शतावरी के फायदे बहुत लाभकारी सिद्ध होते हैं।

सेक्सुअल पॉवर (स्टेमना) को बढ़ाने के लिए

कई लोग मर्दानगी ताकत की कमी, या सेक्सुअल स्टेमना की कमी से भी परेशान देखे जाते हैं। ऐसे व्यक्ति शतावरी के इस्तेमाल से फायदा ले सकते हैं। इसमें शतावर को पका कर सेवन करें।

इसके अलावा दूध के साथ शतावरी चूर्ण की खीर बनाकर खाने से भी सेक्सुअल स्टेमना में वृद्धि होती है।

वीर्य दोष को ठीक करने के लिए 

वीर्य की कमी की समस्या में 5-10 ग्राम शतावरी को घी के साथ रोज सेवन करना चाहिए। इससे वीर्य की वृद्धि होती है।

 स्वप्न दोष का इलाज 

स्वप्न दोष को ठीक करने के लिए ताजी शतावर की जड़ का चूर्ण बना लें। इसे 250 ग्राम तथा 250 ग्राम मिश्री को मिलाकर कूट-पीस लें। इसे 6-11 ग्राम चूर्ण को, 250 मिली दूध के साथ सुबह-शाम लें। इससे स्वप्न दोष दूर होता है, और शरीर स्वस्थ रहता है। शतावर चूर्ण के फायदे का पूरा लाभ तभी मिलता है जब चूर्ण को सही तरह से बनाया जाय और सही तरह से इसका सेवन किया जाय।

सर्दी-जुकाम में शतावरी का उपयोग

शतावरी का सेवन सर्दी-जुकाम में भी फायदेमंद होता है। आप शतावरी की जड़ का काढ़ा बना लें। इसे 15-20 मिली मात्रा में पीने से आराम मिलता है।

गला बैठने (आवाज बैठना) पर 

अधिक जोर से बोलने, या चिल्लाने पर गला बैठना (आवाज का बैठना) आम बात है। ऐसी परेशानी में शतावर, खिरैटी (बला), और चीनी को मधु के साथ चाटने से लाभ होता है।

सूखी खांसी के उपचार के लिए

सूखी खांसी से परेशान रहते हैं, तो 10 ग्राम शतावरी, 10 ग्राम अडूसे के पत्ते, और 10 ग्राम मिश्री को 150 मिली पानी के साथ उबाल लें। इसे दिन में 3 बार पीने से सूखी खांसी खत्म हो जाती है।

कफ होने पर शतावरी, एवं नागबला का काढ़ा, और चूर्ण को घी में पका लें। इसका सेवन करने से कफ विकार में लाभ होता है।

सांसों के रोग में

शतावरी पेस्ट एक भाग, घी एक भाग, तथा दूध चार भाग लें। इन्हें घी में पकाएं। इसे 5-10 ग्राम की मात्रा में सेवन करें। इससे सांसों से संबंधित रोग, रक्त से संबंधित बीमारी, सीने में जलन, वात और पित्त विकार, और बेहोशी की परेशानी से आराम मिलता है।

अपच की समस्या में 

खाना ठीक से नहीं पच रहा है, तो शतावरी का उपयोग   करना लाभ पहुंचाता है। 5 मिली शतावर के जड़ के रस को मधु, और दूध के साथ मिला लें। इसे पिलाने से अपच जैसी परेशानी से शान्ति मिलती है।

पेट दर्द में शतावरी से लाभ

पित्त दोष के कारण होने वाले पेट के दर्द में भी शतावरी का फायदा लिया जा सकता है। रोज सुबह 10 मिली शतावरी के रस में 10-12 ग्राम मधु मिलाकर पीने से लाभ होता है।

सिर दर्द में फायदेमंद

शतावरी सिर दर्द से भी आराम दिलाता है। शतावर की ताजी जड़ को कूटकर, रस निकाल लें। इसमें रस के बराबर ही तिल का तेल डालकर उबाल लें। इस तेल से सिर पर मालिश करें। इससे सिर दर्द, और अधकपारी (आधासीसी) में आराम मिलता है।

नाक के रोग में 

नाक की बीमारियों में 5 ग्राम शतावरी चूर्ण को 100 मिली दूध में पका लें। इसे छानकर पीने से नाक के रोग खत्म हो जाते हैं। शतावर चूर्ण के फायदे नाक संबंधी रोगों के उपचार के लिए बहुत ही लाभकारी होते हैं।

घाव सुखाने के लिए 

शतावरी के 20 ग्राम पत्तों के चूर्ण बनाकर दोगुने घी में तल लें। अब इस शतावरी चूर्ण को अच्छी तरह पीस कर घाव पर लगाएं। इससे पुराना घाव भी ठीक हो जाता है।

आंख के रोग में 

5 ग्राम शतावरी जड़ को 100-200 मिली दूध में पका लें। इसे छानकर पीने से आंख के रोगों में लाभ होता है।

पुराना घी, त्रिफला, शतावरी, परवल, मूंग, आंवला, तथा जौ का रोज सेवन करें। इससे आंखों के रोग में लाभ  होता है।

रतौंधी में 

शतावरी के इस्तेमाल से रतौंधी में भी लाभ होता है। घी में शतावरी के मुलायम पत्तों को भूनकर सेवन करें।

दस्त रोकने के लिए 

लोग दस्त से परेशान रहते हैं, तो 5 ग्राम शतावरी घी का सेवन करें। इससे दस्त पर रोक लगती है।

मूत्र विकार के इलाज के लिए 

शतावरी पेशाब संबंधी परेशानियों में भी काम करता है। इसमें शतावर 10-30 मिली, और गोखरू का शर्बत बनाकर पीने से लाभ होता है।

कई लोग बार-बार पेशाब आने से परेशान रहते हैं, ऐसे में 10-30 मिली शतावर के जड़ का काढ़ा बना लें। इसमें मधु और चीनी मिलाकर पीने से लाभ होता है।

पेशाब की जलन की बीमारी में 20 ग्राम गोखरू पंचांग के बराबर शतावर को मिला लें। इसे आधा लीटर पानी में उबाल लें। इसे छानकर 10 ग्राम मिश्री और 2 चम्मच मधु मिला लेंं। इसे थोड़ा-थोड़ा पिलाने से पेशाब की जलन, और बार-बार पेशाब आने की परेशानी में आराम मिलता है।

गोनोरिया (सुजाक) में

सुजाक या गोनोरिया, यौन से संबंधित एक रोग है। यह बैक्टीरिया से होता है। इस बीमारी से ग्रस्त रोगी 20 मिली शतावर के रस को, 80 मिली दूध में मिलाकर पिएं। इससे सुजाक में फायदा होता है।

बुखार में 

शतावर और गिलोय के बराबर-बराबर भाग के 10 मिली रस में थोड़ा गुड़ मिलाकर पिएं। इससे बुखार में लाभ होता है। 20-40 मिली काढ़ा में 2 चम्मच मधु मिलाकर पीने से बुखार में लाभ होता है।

बवासीर में 

बवासीर में शतावरी का उपयोग करना बेहतर परिणाम  देता है। 2-4 ग्राम शतावरी चूर्ण (shatavari churna) को दूध के साथ सेवन करने से लाभ होता है।

पेचिश में 

ताजी शतावर को दूध के साथ पीस छान लें। इसे दिन में 3-4 बार पीने से पेचिश (मल के साथ खून आने की बीमारी) में फायदा होता है।

शतावरी से बने घी को पीने से पेचिश में आराम मिलता है।

पुरानी पथरी के रोग में

पथरी की बीमारी से परेशान मरीज 20-30 मिली शतावरी के जड़ से बने रस में बराबर मात्रा में गाय के दूध को मिलाकर पिएं। इससे पुरानी पथरी भी जल्दी गल जाती है।

शतावरी के उपयोगी भाग

जड़ से तैयार काढ़ा

पत्ते

पेस्ट

चूर्ण (shatavari churna)

शतावरी का इस्तेमाल 

आप शतावरी का उपयोग इस तरह से कर सकते हैंः-

रस- 10-20 मिली

काढ़ा- 50-100 मिली

चूर्ण- 3-6 ग्राम

शतावरी कहां पाया या उगाया जाता है

भारत (asparagus in india) में शतावरी की खेती अनेक स्थानों पर की जाती है। इसकी खेती हिमालयी क्षेत्रों में 1500 मीटर तक की ऊंचाई पर होती है। शतावरी मुख्यतः गंगा के ऊपरी मैदानी क्षेत्रों, और बिहार के पठारी भागों में पाई जाती है।

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अश्वगंधा

आयुर्वेद में ऐसी कई जड़ी-बूटियां बताई गई हैं जिनके नियमित इस्तेमाल से हम कई घातक बीमारियों से बचे रह सकते हैं। आयुर्वेद में अश्वगंधा के भी कई गुण बताए गए है। 

गुणों की खान है अश्वगंधा 

अश्वगंधा में एंटीऑक्सीडेंट, लीवर टॉनिक, एंटी-इंफ्लेमेटरी, एंटी-बैक्टीरियल के साथ-साथ और भी कई पोषक तत्व होते हैं जो आपकी बॉडी को हेल्दीं रखने में हेल्प करते हैं। इसके अलावा इसमें एंटी-स्ट्रेस गुण भी होते है जो स्ट्रेस फ्री करने में मदद करते है। इसके अलावा इसे घी या दूध के साथ मिलाकर सेवन करने से वजन बढ़ने में मदद होती है।

अश्वगंधा के फायदे 

-कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी में बहुत असरकारी है अश्वगंधा का इस्तेमाल। कई रिसर्च में यह बताया गया है कि अश्वगंधा कैंसर सेल्स को बढ़ने से रोकता है और कैंसर के नए सेल्स नहीं बनने देता। यह शरीर में रिएक्टिव ऑक्सीजन स्पीशीज का निर्माण करता है। जो कैंसर सेल्स को खत्म करने और कीमोथेरपी से होने वाले साइड इफेक्ट्स से भी बचाने का काम करता है।

-अश्वगंधा में मौजूद ऑक्सीडेंट आपके इम्युन सिस्टम को मजबूत बनाने का काम करता है। जो आपको सर्दी-जुकाम जैसी बीमारियों से लडने की शक्ति प्रदान करता है।

-अश्वगंधा वाइट ब्लड सेल्स और रेड ब्लड सेल्स दोनों को बढ़ाने का काम करता है। जो कई गंभीर शारीरिक समस्याओं में लाभदायक है।

-अश्वगंधा मानसिक तनाव जैसी गंभीर समस्या को ठीक करने में लाभदायक है। एक रिर्पोट के अनुसार तनाव को 70 फीसदी तक अश्वगंधा के इस्तेमाल से कम किया जा सकता है। दरअसल आपके शरीर और मानसिक संतुलन को ठीक रखने में असरकारी है। इससे अच्छी नींद आती है।अश्वगंधा कई समस्याओं से छुटकारा दिलाने का काम कर सकता है। 

-अश्वगंधा का इस्तेमाल आपकी आंखो की रोशनी को बढ़ाने का काम करता है। रोज दूध के साथ लेंने से आंखो के अलावा स्ट्रेस से भी बचा जा सकता है।

अश्वगंधा का सेवन कैसे करें 

अश्वगंधा चूर्ण खाने का तरीका बहुत आसान है। पानी, शहद या फिर घी में मिलाकर अश्वगंधा चूर्ण का सेवन किया जा सकता है। इसके अलावा, अश्वगंधा कैप्सूल, अश्वगंधा चाय और अश्वगंधा का रस भी मार्केट और ऑनलाइन आसानी से मिल जाता है।

इसका सेवन कब करें 

रात में सोने से पहले दूध के साथ इसका सेवन फायदेमंद रहता है। इसके अलावा इसे खाना खाने के बाद भी लिया जा सकता है। कई लोग खाली पेट भी इसका सेवन करते हैं लेकिन कुछ लोगों को खाली पेट अश्वगंधा नुकसान करता है, इसलिए इसके सेवन करने का सबसे अच्छा तरीका यह है कि किसी आयुर्वेदिक डॉक्टर या नेचुरापैथी एक्सपर्ट से सलाह लेकर इसका सेवन किया जाए।

अश्वगंधा के नुकसान 

-बल्ड प्रेशर से ग्रस्त लोगों को अश्वगंधा डॉक्टर के परामर्श से ही लेना चाहिए. जिनका बीपी लो होता है उन्हे अश्वगंधा का सेवन नहीं करना चाहिए।

-अश्वगंधा का अधिक इस्तेमाल पेट के लिए हानिकारक हो सकता है। इसे लेने से डायरिया की समस्या हो सकती है. इसलिए इसके इस्तेमाल से पहले आप डॉक्टर की सलाह लें उसके बाद ही इसका सेवन करें।

-अश्वगंधा का इस्तेमाल नींद के लिए अच्छा है. लेकिन इसका बहुत दिनों तक इस्तेमाल आपको नुकसान भी पहुंचा सकता है।

-अश्वगंधा का सही डोज़ न लेने से आपको उल्टी और जी मिचलाने जैसी समस्याएं हो सकती हैं।

-अश्वगंधा का ज्यादा प्रयोग आपके लिए नुकसानदायक भी हो सकता है. अश्वगंधा के ज्यादा इस्तेमाल से आपको बुखार, थकान, दर्द की शिकायत भी हो सकती है।

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गोक्षुरा

 गोखरू ब्लड शुगर कंट्रोल करने, किडनी रोगों से राहत पाने, यौन क्षमता बढ़ाने के साथ PCOD में कमाल है ।

यह एक बेहद ही दुलर्भ जड़ी-बूटी (Herb) है. गोखरू का सेवन करने से शरीर के कई रोगों को दूर करने में मदद मिल सकती है. गोखरू किड़नी की बीमारियों  से राहत दिलाने में फायदेमंद माना जाता है. किड़नी की पथरी (kidney Stone) के लिए गोखरू देसी इलाज माना जाता है.

  गोखरू का सेवन करने से शरीर के कई रोगों को दूर करने में मदद मिल सकती है.  किड़नी स्टोन के दर्द  से राहत पाने के लिए आपके कई तरीके बताए जाते हैं लेकिन गोखरू इसके लिए रामबाण हो सकता है. गोखरू डायबिटीज के लिए  भी फायदेमंद माना जाता है. गोखरू ब्लड शुगर  को कंट्रोल करने में भी कारगर हो सकता है. इतना ही नहीं गोखरू पुरुषों में सेक्स हार्मोन टेस्टोस्टेरोन  को बढ़ाने के लिए लाभकारी माना जाता है. गोखरू आयुर्वेदिक जड़ी बूटी  है जो औषधी का काम करता है. गोखरू आपके बालों , स्किन के साथ कई और बीमारियों को दूर करने में फायदेमंद माना जाता है. गोखरू पौधे के फूल, बीज, टहनियां और जड़ सभी काफी लाभदायक होती हैं. 

1. गोखरू ​किडनी स्‍टोन के लिए फायदेमंद

किडनी की बीमारी से लोग काफी परेशान रहते हैं. कई लोगों में किड़नी स्टोन का दर्द असहनीय हो जाता है. ऐसे में गोखरू किड़नी स्टोन से राहत दिलाने के लिए काफी फायदेमंद माना जाता है. गुर्दे में पड़ी पथरी से छुटकारा दिलाने के लिए गोखरू रामबाण साबित हो सकता है. आयुर्वेद में गोखरू को औषधीय जड़ी-बूटी माना जाता है.

​2. टेस्‍टोस्‍टेरोन बढ़ाने में गोखरू असरदार

गोखरू के पौधे को पुरुषों में यौन हार्मोन बढ़ाने के लिए भी जाना जाता है.  पुरुषों में टेस्‍टोस्‍टेरोन प्रजनन क्षमता बढ़ाने वाले हार्मोन लेवल को बढ़ाने के लिए गोखरू काफी असरदार हो सकता है. यह एक प्राकृतिक जड़ी-बूटी है.

3. गोखरू डायबिटीज के लिए भी फायदेमंद!

गोखरू का रोजाना सेवन करने से ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल में रखा जा सकता है. इससे डायबिटीज का खतरा कम रहता है और स्वस्थ जिंदगी जी सकते हैं. डायबिटीज में खानपान का खास ध्यान रखना पड़ता है. ऐसे में गोखरू का सेवन कर  डायबिटीज को कंट्रोल कर सकते हैं.

​4. PCOD में भी लाभदायक

गोखरू महिलाओं में पीसीओडी को ठीक करने में फायदेमंद माना जाता है. यह बांझपन का सबसे बड़ा कारण माना जाता है. इतना ही नहीं गोखरू पिरीरियड्स में होने वाले दर्द को कम करने में भी फायदेमंद माना जाता है. गोखरू महिलाओं में उम्र से पहले ही होने वाले मेनोपॉज के खतरे को भी कम कर सकता है.

5. स्किन के लिए फायदेमंद है गोखरू

एक्‍जिमा की वजह से जब स्‍किन पर खुजली होने लगती है ऐसे में गोखरू आपके काफी काम आ सकता है. एक्जिमा एक इंफ्लेमेटरी त्वचा की परेशानी है. गोखरू के फल में एंटी इंफ्लेमेटरी गुण पाए जाते हैं, जो एक्जिमा के खतरे को कम कर सकते हैं.

 गोखरू का लेप स्किन पर लगाने से स्किन की समस्याएं दूर हो सकती हैं

​ऐसे करें गोखरू का सेवन

- गोखरू के पाउडर को पानी के साथ उबालकर पी सकते हैं.

- गोखरू के अर्क का सेवन भी कर सकते हैं.

- गोखरू का इस्तेमाल त्वचा के लिए भी किया जा सकता है.


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शुक्रवार, 7 अक्तूबर 2022

चेरी

 प्रकृति ने हमें कई प्रकार के फल तोहफे में दिए हैं, जिनमें से कुछ स्वाद के लिए, तो कुछ स्वाद के साथ ही सेहत के लिए फायदेमंद माने जाते हैं। उन्हीं में से एक है चेरी। इसे दुनिया भर में इसके बेहतरीन स्वाद के लिए पसंद किया जाता है, लेकिन क्या आपको मालूम है, स्वाद में लाजवाब चेरी का सेवन सेहत के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है।

चेरी की गिनती चुनिंदा खास फलों में होती है। चेरी फल आकार में छोटे और गोल होते हैं। इसकी कई किस्में हैं, जिन्हें दो भागों में बांटा जाता है, एक स्वीट चेरी और दूसरा टार्ट चेरी। आमतौर पर भारत में इस्तेमाल होने वाली चेरी का स्वाद मीठा होता है। इसे स्वीट चेरी की नाम से जाना जाता है। वहीं, इसका दूसरा प्रकार टार्ट चेरी का स्वाद खट्टा होता है। 

 चेरी फल में कई जरूरी पोषक तत्व और औषधीय गुण पाए जाते हैं। इसमें फाइबर, पॉलीफेनोल्स, कैरोटेनॉयड्स, विटामिन सी और पोटेशियम जैसे पोषक तत्वों के अलावा एंटीऑक्सीडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी जैसे प्रभाव पाए जाते हैं 

चेरी खाने के फायदे

चेरी में मौजूद पोषक तत्व और औषधीय गुण इसे सेहत के लिए कई प्रकार से फायदेमंद बनाते हैं। वहीं, इस बात का ध्यान रखें कि चेरी किसी भी बीमारी का डॉक्टरी उपचार नहीं है, इसका उपयोग कुछ हद तक नीचे बताई जा रही शारीरिक समस्याओं से बचाव और उनके लक्षणों को कम करने में मददगार हो सकता है। 

एंटीऑक्सीडेंट प्रभाव से युक्त

हमारे शरीर में एंटीऑक्सीडेंट अहम भूमिका निभाता है। यह शरीर को फ्री रेडिकल्स से बचाने में मदद कर सकता है। फ्री रेडिकल्स यानी मुक्त कण के कारण ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस होता है, जिससे कैंसर, हृदय रोग, मधुमेह की समस्या, अल्जाइमर रोग (भूलने की बीमारी), पार्किंसंस रोग (इसमें शारीरिक गतिविधियां प्रभावित होती हैं) और नेत्र रोग, जैसे मोतियाबिंद का जोखिम बढ़ सकता है

वहीं, एक अन्य शोध में पाया गया कि चेरी में एंटीऑक्सीडेंट की अच्छी मात्रा होती है, जिससे ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस को कम करने में मदद मिल सकती है। साथ ही चेरी का अर्क लिवर में एंटीऑक्सीडेंट एंजाइम की हेपाटिक (लिवर से जुड़ी) गतिविधियों को बढ़ाने का काम कर सकता है 

 अनिद्रा में फायदेमंद

इंसोमेनिया यानी अनिद्रा (नींद न आने की समस्या) की समस्या में भी चेरी के लाभ देखे जा सकते हैं। विषय से जुड़े शोध में साफ तौर से जिक्र मिलता है कि चेरी का रस नींद का समय और गुणवत्ता को बढ़ाने में सहयोग कर सकता है। वहीं, शोध में आगे जिक्र मिलता है कि चेरी के रस में मेलाटोनिन पाया जाता है, जो नींद में सुधार का काम कर सकता है । बता दें कि मेलाटोनिन एक प्रकार का हार्मोन होता है, जो नींद की गुणवत्ता बढ़ाने में मदद कर सकता है । 

एंटीइंफ्लामेटरी प्रभाव

सूजन की समस्या को कम करने में चेरी के फायदे देखे गए है। जानवरों और इंसानों पर हुए एक शोध के अनुसार गंभीर सूजन के कारण गठिया (आर्थराइटिस) की समस्या, हृदय रोग (सीवीडी), मधुमेह और कैंसर का जोखिम बढ़ सकता है। वहीं, चेरी में मौजूद एंटीइंफ्लामेटरी प्रभाव के कारण सूजन और इसके कारण होने वाली इंफ्लामेटरी समस्याओं से बचाव में मदद मिल सकती है । 

सिर दर्द में लाभदायक

चेरी का सेवन करने पर माइग्रेन से होने वाले सिर दर्द में भी लाभदायक प्रभाव दिखा सकता है। 

आंखों के स्वास्थ्य के लिए

ग्लूकोमा आंखों में होने वाली वृद्धावस्था की सबसे आम बीमारियों में से एक है। यह बीमारियों का एक समूह है, जो आंख की ऑप्टिक नर्व (आंखों को मस्तिष्क से जोड़ने वाली नर्व्स) को नुकसान पहुंचा सकता है, जिससे अंधेपन का जोखिम बढ़ सकता है। यह स्थिति आमतौर पर तब होती है, जब आंखों के अंदर द्रव का दबाव धीरे-धीरे बढ़ता है, जिससे ऑप्टिक नर्व डैमेज हो सकती है 

कैंसर से बचाव में सहायक

चेरी का उपयोग कैंसर की रोकथाम में मददगार हो सकता है। दरअसल, चेरी में कई प्रकार के पॉलीफेनोल्स और एंटीऑक्सीडेंट होते हैं, जिनमें कई गुणों के साथ ही एंटी कैंसर गुण भी मौजूद होता है। शोध में इस बात की पुष्टि की गई कि चेरी के अर्क में पाए जाने वाले एंथोसायनिन नामक फ्लेवोनोइड में एंटी-कार्सिनोजेनिक प्रभाव होता है। 

यह प्रभाव कई प्रकार के कैंसर, जैसे कोलन, स्तन और लिवर के कैंसर की कोशिकाओं के विस्तार को रोककर कैंसर को बढ़ने से रोकने में कुछ हद तक मददगार हो सकता है । ध्यान रहे कि चेरी किसी भी तरीके से कैंसर का उपचार नहीं है। अगर कोई कैंसर से पीड़ित है, तो उसका जल्द से जल्द डॉक्टरी उपचार करवाना जरूरी है। 

वजन कम करने में सहायक

शरीर में अतिरिक्त चर्बी के जमा होने पर मोटापे की समस्या हो सकती है। इस समस्या में चेरी का उपयोग फायदेमंद हो सकता है। एक रिसर्च के अनुसार चेरी में एंटीऑबेसिटी प्रभाव होता है। यह प्रभाव मोटापा कम करने में मददगार हो सकता है। इसके अलावा, शोध में इस बात का जिक्र भी मिलता है कि चेरी का सेवन मोटापे से जुड़ी सूजन और मेटाबोलिक सिंड्रोम को कम करने में भी मददगार हो सकता है ।

हृदय के स्वास्थ्य के लिए

अच्छी सेहत के साथ ही चेरी के फायदे हृदय संबंधी समस्या में भी देखे जा सकते हैं। एक रिसर्च के अनुसार सूजन के कारण अन्य समस्याओं के साथ ही हृदय संबंधी समस्या का जोखिम भी बढ़ सकता है। वहीं, शोध के पाया गया कि चेरी में एंटीइंफ्लामेटरी प्रभाव होता है, जो सूजन के कारण होने वाली हृदय संबंधी समस्या को कुछ हद तक कम करने में मददगार हो सकता है। इसके साथ ही रिसर्च में चेरी में पाए जाने वाले पॉलीफेनोल्स हृदय रोग में फायदेमंद माने गए हैं ।

कब्ज की समस्या में लाभकारी

कब्ज पाचन तंत्र से जुड़ी स्थिति है, जिसमें मल त्याग करते समय कठिनाई होती है । कब्ज की इस समस्या में चेरी के फायदे देखे गए हैं। एक रिसर्च में पाया गया कि फाइबर युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन मल त्याग की प्रक्रिया को आसान बनाकर कब्ज की समस्या में फायदेमंद हो सकता है। वहीं, चेरी में पाए जाने वाले फाइबर से हम यह अनुमान लगा सकते हैं कि चेरी का उपयोग कब्ज की समस्या में कुछ हद तक लाभदायक हो सकता है ।


मस्तिष्क विकार में लाभदायक

उम्र बढ़ने के साथ ही कई समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है, जिनमें मस्तिष्क संबंधी समस्याएं भी शामिल हैं, जैसे कि याददाश्त का कमजोर हो जाना, सोचने-समझने और सीखने में दिक्कत होना आदि। वहीं, मस्तिष्क संबंधी इन समस्या को कम करने में भी चेरी के फायदे देखे जा सकते हैं। चूहों पर किए गए एक रिसर्च के अनुसार टार्ट चेरी का दैनिक सेवन सीखने की क्षमता और याददाश्त में सुधार का काम कर सकता है।


 टार्ट चेरी का सेवन न्यूरोडीजेनेरेटिव डिजीज के जोखिम को कम करने में भी मदद कर सकता है । बता दें कि न्यूरोडीजेनेरेटिव डिजीज में अल्जाइमर (भूलने की बीमारी) और पार्किंसन (यह शारीरिक गतिविधि को प्रभावित करता है।) जैसी बीमाारियां शामिल हैं 

त्वचा के लिए

सेहत के साथ ही चेरी का सेवन त्वचा संबंधी समस्या में भी फायदेमंद हो सकता है। इस विषय पर हुई एक रिसर्च के अनुसार चेरी में पॉलिफिनॉल्स होते हैं। पॉलिफिनॉल्स त्वचा को हाइड्रेट, कोमल व मुलायम बनाने के साथ-साथ त्वचा की लोच को बढ़ाने में मददगार हो सकते हैं। इसके अलावा, यह त्वचा की जलन और लालिमा को कम करने और सूर्य की हानिकारक किरणों से त्वचा को बचाने में सहायक हो सकते हैं ।


 बालों की ग्रोथ के लिए

बालों के झड़ने की समस्या हो या फिर बालों के ग्रोथ, दोनों में ही चेरी फायदेमंद माना गया है। दरअसल, एक रिसर्च में पाया गया कि जंगली चेरी की छाल में कुछ ऐसे औषधीय गुण होते हैं, जो बालों को चिकना और रेशमी बनाने के साथ ही बालों बालों की मजबूती में मदद कर सकते हैं । हालांकि, चेरी की छाल का कौन-सा गुण बालों के लिए फायदेमंद होता है, यह अभी शोध का विषय है।

चेरी का उपयोग

चेरी का उपयोग कई प्रकार से किया जा सकता है। यहां जानते हैं इसके उपयोग के बारे में।


चेरी को ठीक से धोकर इसे सीधे ही खाया जा सकता है।

केक और पुडिंग पर टॉपिंग के लिए चेरी का उपयोग किया जा सकता है।

चेरी का उपयोग बेक्ड कुकीज जैसे चॉकलेट और बादाम कुकीज में भी किया जाता है।

चेरी का इस्तेमाल कई मॉकटेल में किया जाता है।

इसका उपयोग फ्रूट सलाद में किया जा सकता है।

इसके अलावा कई लोग इसे जूस के रूप में भी पीना पसंद करते हैं।

मात्रा : एक दिन में अन्य फलों के साथ 5-6 चेरी का सेवन किया जा सकता है। हालांकि, एक दिन में इसका कितना सेवन करना सही रहेगा, इससे जुड़े शोध का अभाव है। ऐसे में डॉक्टर से उम्र और स्वास्थ्य के आधार पर इसके सेवन की सही मात्रा जानी जा सकती है।

चेरी के नुकसान – 

चेरी में पाए जाने वाले गुण इसे सेहत के लिए फायदेमंद बनाते हैं, लेकिन कुछ मामलों में चेरी के नुकसान भी देखे गए हैं। दरअसल, चेरी में फ्रुक्टोज की मात्रा होती है, वहीं, बिना पचा हुआ फ्रुक्टोज कई प्रकार की समस्या का कारण बन सकता है, जिनके बारे में हम आपको बता रहे हैं ।


चेरी में फ्रुक्टोज मौजूद होता है, अगर शरीर इसे ठीक से पचा नहीं पाता है, तो इससे पेट में दर्द, गैस, सूजन की समस्या, दस्त और आंतों में जलन की समस्या हो सकती है।

 फ्रुक्टोज की अधिक मात्रा का सेवन रक्तचाप की समस्या का कारण बन सकता है।

फ्रुक्टोज के कारण चेरी का अधिक सेवन मेटाबोलिक सिंड्रोम के साथ ही मोटापा की समस्या की वजह भी बन सकता है। मेटाबोलिक सिंड्रोम उन जोखिम कारकों (मोटापा, कोलेस्ट्रॉल, उच्च रक्तचाप व हाई ब्लड शुगर) को कहा जाता है, जो हृदय रोग और मधुमेह के साथ ही अन्य शारीरिक समस्या का कारण बन सकते हैं।

फ्रुक्टोज की वजह से कोलेस्ट्रॉल की समस्या भी हो सकती है।

 बेहतरीन स्वाद के लिए खाई जाने वाली चेरी सेहत के लिए कितनी फायदेमंद साबित हो सकती है, यह अब आप अच्छे से जान गए होंगे। वहीं, इसका लाभ लेने के लिए इसका सीमित मात्रा में ही सेवन करें, क्योंकि इसका अधिक सेवन लेख में बताए गए चेरी के नुकसान का कारण बन सकता है। वहीं, लेख में हमने चेरी के उपयोग के कुछ कारगर तरीके बताए हैं, जिन्हें आप इस्तेमाल में ला सकते हैं। इसके अलावा, चेरी के सेवन के बाद अगर कोई दुष्प्रभाव नजर आएं, तो इसका सेवन बंद करें 

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ब्लूबेरी

 ब्लूबेरी 

 एक खट्टा-मीठा और रसदार फल होता है। ब्लूबेरी को नीलबदरी के नाम से भी जाना जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं ब्लूबेरी का सेवन सेहत को भी कई लाभ पहुंचाता है। जी हां क्योंकि ब्लूबेरी औषधीय गुणों से भरपूर होता है। ब्लूबेरी का सेवन कई बीमारियों को दूर करने में मददगार साबित होता है। क्योंकि ब्लूबेरी में भरपूर मात्रा में फाइबर, विटामिन सी, विटामिन के और मैंगनीज जैसे तत्व पाए जाते हैं, जो स्वास्थ्य के लिहाज से काफी लाभदायक साबित होते हैं। लेकिन ब्लूबेरी का सेवन अधिक मात्रा में नहीं करना चाहिए, क्योंकि अधिक सेवन सेहत को नुकसान भी पहुंचा सकता है।

ब्लूबेरी के फायदे

1- आजकल ज्यादातर लोग बढ़ते मोटापा से परेशान हैं, लेकिन अगर आप मोटापा को कंट्रोल करने के लिए ब्लूबेरी का सेवन करते हैं, तो यह लाभदायक साबित हो सकता है। क्योंकि ब्लूबेरी में कैलोरी की कम मात्रा पाई जाती है। इसलिए इसका सेवन करने से वजन कंट्रोल रहता है।

2- ब्लूबेरी का सेवन पाचन  संबंधी समस्याओं को दूर करने में मददगार साबित होता है। क्योंकि ब्लूबेरी में फाइबर पाया जाता है और फाइबर पाचन शक्ति को ठीक करने का काम करता है। इसलिए इसका सेवन करने से पाचन मजबूत होता है, साथ ही कब्ज जैसी समस्या दूर होती है।

3- डायबिटीज  के मरीजों के लिए ब्लूबेरी का सेवन फायदेमंद माना जाता है। क्योंकि ब्लूबेरी में एंटी डायबिटिक गुण पाए जाते हैं, जो ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित करने में मददगार साबित होते हैं।

4- उच्च कोलेस्ट्रोल  हृदय रोगों का सबसे बड़ा कारण बनता है। लेकिन अगर आप ब्लूबेरी का सेवन करते हैं, तो इससे कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित किया जा सकता है। क्योंकि ब्लूबेरी में एंथोसायनिन और फाइबर पाया जाता है, जो शरीर में बढ़ते खराब कोलेस्ट्रॉल को कम करता है और अच्छे कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाने में मदद करता है।

5- समय से पहले हड्डियों (Bones) का कमजोर होना अब आम समस्या बनती जा रही है। लेकिन अगर आप ब्लूबेरी का सेवन करते हैं, तो इससे हड्डियां मजबूत होती है। साथ ही ब्लूबेरी का सेवन करने से ऑस्टियोपोरोसिस जैसी बीमारी का खतरा भी कम होता है।

6- ब्लूबेरी विटामिन सी का अच्छा स्रोत है, इसलिए अगर आप ब्लूबेरी का सेवन करते हैं, तो इससे रोग प्रतिरोधक  क्षमता मजबूत होती है। जिससे आप बार-बार किसी भी संक्रमण की चपेट में आने से बच सकते हैं।

ब्लूबेरी के नुकसान

1- जिन लोगों का ब्लड शुगर लेवल पहले से लो  रहता है, उनको ब्लूबेरी का सेवन नहीं करना चाहिए। क्योंकि इसके सेवन से ब्लड शुगर लेवल और कम हो सकता है।

2- ब्लूबेरी से कई लोगों को एलर्जी  होती है, ऐसे में इसका सेवन करने से स्किन संबंधी समस्या हो सकती है।

3- ब्लूबेरी का अधिक मात्रा में सेवन नहीं करना चाहिए, क्योंकि अधिक सेवन से पेट संबंधी बीमारियां हो सकती है। 

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गैनोडर्मा

 गैनोडर्मा लकड़ी पर उगने वाला खुम्ब जाति का पौधा है। इसे कई जगहों पर रिशी नाम  से भी जाना जाता है। इसकी पैदावर उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में अधिक होती है। इसकी 80 से अधिक प्रजातियां होती हैं। इसका इस्तेमाल आयुर्वेदिक औषधी के रूप में किया जाता है। यह एक तरह से मशरूम की तरह होता है। इसका सेवन स्वास्थ्य के लिए काफी लाभकारी होता है।  गैनोडर्मा के सेवन से कई बीमारियों को दूर किया जा सकता है। यह हमारे शरीर के अंदर 3 तरह से कार्य करता है। पहला शरीर के किसी भी अंग में क्षति होने पर उसे ठीक करना, दूसरा शरीर की गंदगी को साफ करना, जिससे आपका शरीर लंबे समय तक स्वस्थ रहे और तीसरा शरीर की इम्यूनिटी को बूस्ट (Immunity Boost) करना। जिसकी वजह से हमारा शरीर लंबे समय तक स्वस्थ रहता है। ऐसे में अगर आप अपने शरीर को स्वस्थ रखना चाहते हैं, तो इसका इस्तेमाल जरूर करें। 

गैनोडर्मा के फायदे  

1. दिमाग को करे तेज

मस्तिष्क से जुड़ी समस्याओं को दूर करने में गैनोडर्मा लाभकारी साबित होता है। साथ ही यह आपके दिमाग को तेज करने में असरदार होता है। क्योंकि इसमें ऐसे कई तरह के पोषक तत्व मौजूद होते हैं, जो आपके मस्तिष्क को पोषित करने में आपकी मदद करते हैं।


2. कैंसर से करे बचाव

गैनोडर्मा कैंसर रोगियों  के लिए काफी लाभकारी होता है। इसमें मौजूद बीटा ग्लूकन और कंजुगेट लानोलिक एसिड प्रोस्टेट और ब्रेस्ट कैंसर से बचाव करता है। यह कैंसर रोगियों के लिए काफी प्रभावी साबित होता है। साथ ही यह कैंसर मरीजों के लिए भी लाभकारी होता है।

 3. डायबिटीज रोगियों के लिए लाभकारी

गैनोडर्मा में मौजूद विटामिंस, मिनरल्स और फाइबर डायबिटीज रोगियों  के लिए फायदेमंद होता है। साथ ही इसमें फैट, शुगर और कार्बोहाइड्रेट की मात्रा बिल्कुल भी नहीं होती है, जो डायबिटीज रोगियों के लिए काफी अच्छा साबित होता है। साथ ही यह आपके शरीर में इंसुलिन बनाती है। जो डायबिटीज रोगियों के लिए फायदेमंद होता है।

4. इम्यूनिटी को करे मजबूत

गैनोडर्मा में एंटीऑक्सीडेंट भरपूर रूप से मौजूद होता है, जो इम्यूनिटी बढ़ाने में कारगर साबित होता है। इसके सेवन से शरीर में विषाणुरोधी क्षमता बढ़ती है। साथ ही यह हमारे शरीर को भरपूर प्रोटीन प्रदान करता है। यह शरीर में कोशिकाओं के पुन: निर्माण में हमारी मदद करता है। साथ ही इसमें नैचुरल रूप से एंटीबायोटिक्स मौजूद होता हैं, जो फंगस और संक्रमण से बचाव में असरदार होता है। 


5. मोटापा करे कम

गैनोडर्मा में लीन प्रोटीन मौजूद होता है, जो वजन को घटाने में असरदार है। अधिकतर एक्सपर्ट वजन कम करने के दौरान प्रोटीन खाने की सलाह देते हैं। ऐसे में अगर आप गैनोडर्मा का सेवन करते हैं, तो आपके शरीर का वजन कम हो सकता है। 

6. पाचन तंत्र को करे मजबूत

गैनोडर्मा में विटामिन बी मौजूद होता है, जो खाने के ग्लूकोज के रूप में बदलकर शरीर में उर्जा पैदा करने में असरदार होता है। इसमें विटामिन बी-2 और बी-3 भरपूर रूप से होते हैं, जिसका सेवन करने से शरीर की पाचन क्रिया बेहतर होता है। साथ ही यह पाचन को मजबूत करने में असरदार होता है। 

7. शरीर की गंदगी को करे साफ

गैनोडर्मा के इस्तेमाल से शरीर की गंदगी को साफ किया जा सकता है। यह शरीर पर बैक्टीरिया और कवक की वजह से उत्पन्न होने वाली समस्याओं को दूर करने में लाभकारी माना जाता है। यह स्किन से संक्रमण और संवेदनशीलता को खत्म करने में आपकी मदद कर सकता है।

8. बालों की समस्याओं से राहत

गैनोडर्मा का इस्तेमाल बालों पर भी किया जाता है। इसके तेल से आप स्किन के चकत्तों, बालों के डैंड्रफ को कम कर सकते हैं। खासतौर पर अगर बालों में किसी तरह का फंगल इंफेक्शन हुआ है, तो इसके इस्तेमाल से आप अपनी समस्या को दूर कर सकते हैं। 

9. दांतों के लिए लाभकारी

ओरल हेल्थ से जुड़ी समस्याओं को दूर करने में भी गैनोडर्मा लाभकारी हो सकता है। इसमें मौजूद एंटी-ऑक्सीडेंट और एंटी-ऑक्सीडेंट दांतों के इंफेक्शन को दूर करने में लाभकारी होते हैं। इसकी सबसे अच्छी बात यह है कि इससे किसी भी तरह का साइड-इफेक्ट होने का खतरा कम होता है। 

10. स्किन की समस्या को करे कम

गैनोडर्मा के इस्तेमाल से स्किन का फ्री-रेडिकल्स से बचाव होता है। इसके इस्तेमाल से चेहरे पर पिंपल्स, दाग-धब्बों जैसी समस्याओं को दूर किया जा सकता है। गैनोडर्मा में दो तरह के एंटी-ऑक्सीडेंट पाए जाते हैं, तो स्किन की कई तरह की परेशानियों को दूर करने में लाभकारी होते हैं। इसके सेवन से आपकी स्किन पर चमक आती है। 

11.  दिल की बीमारी से करे बचाव

 गैनोडर्मा में भरपूर रूप से पोषक तत्व मौजूद होता है, जो हृदय रोगियों के लिए लाभकारी है। इसमें कुछ ऐसे एंजाइम मौजूद होते हैं, जो शरीर के कोलेस्ट्रॉल लेवल को कंट्रोल कर सकता है। यह दिल की बीमारी से निजात दिलाने में लाभकारी होता है। अगर आप दिल की बीमारी से जूझ रहे हैं, तो गैनोडर्मा का सेवन करें। इससे आपको काफी राहत मिल सकता है।  

कैसे ले सकते हैं गैनोडर्मा? 
गैनोडर्मा का इस्तेमाल कई तरीकों से किया जा सकता है। जैसे- सूप, कॉफी, चाय, काढ़ा इत्यादि के रूप में गैनोडर्मा का सेवन किया जा सकता है। इसके अलावा मार्केट में गैनोडर्मा के कैप्सूल भी मौदूज होते हैं, जिसका सेवन किया जा सकता है। लेकिन ध्यान रखें कि बिना एक्सपर्ट की सलाह के इसका सेवन न करें। 

गैनोडर्मा के नुकसान 
वैसे तो गैनोडर्मा के सीधे तौर पर साइड-इफेक्ट नहीं होते हैं। क्योंकि यह एक दवा नहीं है। इसमें भरपूर रूप से एंटी-ऑक्सीडेंट होता है। इसलिए अधिकतर लोग इसका सेवन कर सकते हैं। हालांकि, अगर आप किसी गंभीर बीमारी से जूझ रहे हैं, तो इसका सेवन करने से पहले अपने डॉक्टर से राय जरूर लें।  

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Drumstick: सहजन

 Drumstick: सहजन अपने कई नामों और औषधीय गुणों के वजह से दुनियाभर में फेमस है। इस पेड़ के सभी भाग सेहत के लिए फायदेमंद है। विटामिन्स और मिनरल्स से भरपूर ये पेड़ पूरे 300 रोगों के उपचार में उपयोग लाया जाता है।

सहजन के गुण आपकों कई सारी बीमारियों से छुटकारा पाने का रास्ता दिखला सकता है। इसे बरसों से आयुर्वेद में कई रोगों के उपचार के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है। इसे मुनगा, मोरिंगा और ड्रमस्टिक भी कहते हैं। इसके पत्ते, तना समेत सभी भागों का उपयोग किया जाता है। माना जाता है इसके पत्तों में संतरे से 7 गुना ज्यादा विटामिन सी और केले से 15 गुना ज्यादा पोटैशियम पाया जाता है।

यह ऑल इन वन हर्ब है। यह पेड़ एक एंटीबायोटिक, एनाल्जेसिक, एंटीऑक्सिडेंट, एंटी-इंफ्लेमेटरी, एंटीकैंसर, एंटीडायबिटिक, एंटीवायरल, एंटीफंगल और एंटीजिंग के रूप में काम करता है।

​विटामिन A, B, C से है भरपूर विटामिन ए

विटामिन बी 1 (थायमिन)

बी2 (राइबोफ्लेविन), बी3 (नियासिन)

बी-6

फोलेट

एस्कॉर्बिक एसिड (विटामिन सी), कैल्शियम, पोटेशियम, लोहा, मैग्नीशियम, फास्फोरस और जस्ता।

​कैसे कर सकते हैं इसका उपयोग 

पत्ता - इस पौधे के सभी भाग फायदेमंद होते हैं लेकिन इसके पत्ते सबसे अधिक गुणकारी होते हैं। आप अपने खाना पकाने में ताजा मोरिंगा के पत्तों का उपयोग कर सकते है।


फली- इसकी फली सूप और करी के लिए और इसके सूखे पत्तों के पाउडर का भी उपयोग कर सकते हैं। इसके अलावा मोरिंगा की फली को उबालकर उसका सूप पीने से गठिया के दर्द से राहत मिलती है।


पाउडर-आप मोरिंगा पाउडर (1 छोटा चम्मच) ले सकते हैं या इसे अपनी रोटी, चीला (पैनकेक), स्मूदी, एनर्जी ड्रिंक, दाल आदि में स्वास्थ्य के उद्देश्य से मिला सकते हैं।

यह आपके हीमोग्लोबिन को बेहतर बनाने में मदद करता है।

रक्तचाप और कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करता है।

लीवर और किडनी को डिटॉक्सीफाई करता है।

रक्त शुद्ध करता है, चर्म रोगों को दूर करता है।

वजन घटाने में मदद करता है।

चयापचय में सुधार करता है।

आपके शुगर लेवल को नियंत्रित रखता है।

तनाव, चिंता और मिजाज को कम करता है।

थायराइड फंक्शन में सुधार करता है।

माताओं में स्तन के दूध के उत्पादन को बढ़ाता है।

सहजन की तासीर गर्म होती है, इसलिए ऐसे लोग जिन्हे गर्मी की समस्या (एसिडिटी, ब्लीडिंग, पाइल्स, भारी मासिक धर्म, मुंहासे) होती है, उन्हें इससे बचना चाहिए या सावधानी के साथ इसका सेवन करना चाहिए।

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रविवार, 2 अक्तूबर 2022

रसभरी

 Raspberry को 'रसभरी' भी कहा जाता है। यह एक बारहमासी फल है, जो स्वाद में लाजवाब होता है और कई रंगों में पाया जाता है जैसे – लाल, काले और बैंगनी। रास्पबेरी की सबसे बड़ी खासियत ये है कि इसमें लगभग सभी फलों से ज्यादा एंटीऑंक्सीडेंट गुण पाए जाते हैं। रास्पबेरी में फाइबर की भरपूर मात्रा पाई जाती है। इसके अलावा यह विटामिन-B, विटामिन C, मैंगनीज, फोलिक एसिड, तांबा और आयरन का भी अच्छा स्रोत है। इसमें बाकी फलों के मुकाबले ज्यादा मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट पाया जाता है जो स्वास्थ के लिए कई तरह से फायदेमंद होता है।

रास्पबेरी एक रसदार फल होता है, जो गुलाब परिवार से संबंधित है।  इसमें भरपूर मात्रा में विटामिन-C और अन्य जरूरी पोषक तत्व मौजूद होते हैं, जिस कारण यह बहुत ही गुणकारी फल माना जाता है। 

रास्पबेरी फ्रूट खाने के 5 फायदे : 

1. इम्यूनिटी को मजबूत करने के लिए खाएं रास्पबेरी

स्वादिष्ट रास्पबेरी खाने से शरीर की रोग प्रतिरोध क्षमता मजबूती के साथ बढ़ती है. इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट बीमारियों से लड़ने वाले सेल्स को मजबूती प्रदान करता है।

2. वजन कम करने के लिए खाएं रास्पबेरी

बढ़ते वजन से परेशान लोगों को रास्पबेरी फल का सेवन जरूर करना चाहिए। इसमें मौजूद फाइबर और मैंगजीन शरीर का वजन कम करने में सहायक हैं। वजन कम करने का यह स्वादिष्ट और कारगर उपाय है।

3. आंखें की स्वास्थ्य के लिए खाएं रास्पबेरी

रास्पबेरी खाने से शरीर में विटामिन-A की कमी दूर होती है, जिससे आंखें तंदरुस्त रहती हैं। जिससे लम्बे समय तक व्यक्ति को दूर तक क्लीयर देखने में किसी भी तरह की समस्या नहीं आती।

4. हेल्दी हार्ट के लिए खाएं रास्पबेरी

रास्पबेरी खाने से दिल से जुड़ी बीमारियों का खतरा कम रहता है। इसमें मौजूद एंथोसायनिन दिल की बीमारियों से जुड़ी सभी प्रकार की सूजन और अन्य खतरों को कम करने के लिए बहुत हद तक कारगर है।

5. झुर्रियों को हटाने के लिए खाएं रास्पबेरी

रास्पबेरी झुर्रियों को दूर करने में मदद कर सकता है। ये हानिकारक सूरज की किरणों से त्वचा की रक्षा करता है। 1 कप सादा दही और 2 कप ताजा रास्पबेरी को मिक्स करें, फिर जब तक मिश्रण पूरी तरह से चिकना नहीं हो जाता है, तब तक इसे मिक्स करते रहें। अपने पूरे चेहरे पर इस मिश्रण को लगाएं और 15 मिनट तक लगाकर रखें। फिर इसे गुनगुने पानी से धो लें। ऐसा करने से आपकी झुर्रियां धीरे-धीरे दूर हो जाएंगी।

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एल्डरबेरी क्या है?

 एल्डरबेरी क्या है?

एल्डरबेरी सबसे ज्यादा दवाइयों में इस्तेमाल होने वाले पौधों में से एक है। इसका वानस्पातिक नाम सैम्बूकस (Sambucus) है। देखने में ये बिल्कुल जामून जैसी लगती है। सदियों से अमेरीका के लोग एल्डरबेरी का इस्तेमाल इंफेक्शन को दूर करने के लिए करते आ रहे हैं। प्राचीन मिस्त्र के लोग इसका उपयोग त्वचा की रंगत सुधारने और घाव भरने के लिए करते हैं। एल्डरबेरी पेड़ के फूल और पत्तियों में भी ओषधीय गुण होते हैं। इसके फूल कैरोटीन, टैनिक, पैराफिन और कोलीन जैसे तत्वों का स्त्रोत हैं।

एल्डरबेरी के फूलों और पत्तियों को दर्द से राहत, सूजन और पसीना उत्पन्न करने के लिए प्रयोग किया जाता है। सूखी बेरी और जूस को इन्फ्लूएंजा, संक्रमण, स्कायटिका, सिरदर्द, दांत दर्द और हृदय दर्द के इलाज के लिए अच्छा माना जाता है। बेरी को पकाकर जूस, जैम, चटनी, पाई और वाइन भी बनाई जाती है।


एल्डरबेरी का उपयोग किसलिए किया जाता है? 

एंटी-ऑक्सीडेंट से भरपूर

इसमें भरपूर मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट होते हैं, जो कोल्ड और कफ (सर्दी-जुकाम) को दूर करने के साथ इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाने का काम करते हैं। कुछ लोग एल्डरबेरी को कोल्ड, फ्लू, स्वाइन फ्लू के लिए लेते हैं। इसे एचआईवी, एड्स के इलाज में और इम्यून सिस्टम को मजबूत करने के लिए भी लिया जाता है।

दर्द को करे दूर

एल्डरबेरी साइनस के कारण होने वाले दर्द, पैरों में दर्द, नर्व पेन और क्रॉनिक फटिग सिंड्रोम से भी राहत दिलाता है। इसका उपयोग आयुर्वेदिक एक्सपर्ट की सलाह पर ही करें।

न्यूट्रिएंट्स से भरपूर

एल्डरबेरी विटामिन सी, डायटरी फाइबर, फिनोलिक एसिड, फ्लेवानोल और एंथोस्यानिस का अच्छा स्त्रोत है। यानी इसके सेवन से आपको ये सभी चीजें एक साथ मिल जाएंगी।

हृदय के अच्छे स्वास्थ्य के लिए

एल्डरबेरी दिल और रक्त वाहिका जो शरीर में रक्त का परिवहन करती हैं दोनों को स्वस्थ रखने में मदद गार है। कई शोधों में भी ये निष्कर्ष निकला है कि इसके जूस को पीने से खून में से फैट कम होता है, जो कोलेस्ट्रॉल को कम करता है। इसके अलावा, इसमें फ्लेवोनोइड और एंथोसायनिन जैसे कम्पाउंड भी होते हैं जो रक्तचाप को कम कर दिल संबंधित परेशानियों से कोसों दूर रखते हैं।

स्किन और बालों के लिए 

एल्डबेरी में एंटी एजिंग और फ्री रेडिकल फाइटिंग प्रॉपर्टीज होती हैं, जो स्किन को नैचुरल डिटॉक्सिफाई करता है। इससे स्किन पर किसी तरह के ब्रेकआउट, पिंप्ल और निशान नहीं होते हैं। ये दो मुंह बालों से लेकर स्कैल्प पर कोई परेशानी को दूर करने भी मददगार है। साथ ही बालों की ग्रोथ में भी सुधार करता है।

कब्ज के लिए 

एल्डरबेरी और दूसरी सामग्री के साथ बनाई गई चाय कब्ज की परेशानी से राहत दिलाता है।

इन बीमारियों में भी है मददगार

इसमें कैंसर-रोधक गुण होते हैं जो कैंसर से लड़ने में मदद करते हैं।

शरीर में मौजूद खतरनाक बैक्टीरिया से लड़ने में मददगार है।

यूवी रेडिएशन से कवच प्रदान करता है।

सही से यूरिन होना।

साइनस के दर्द में राहत।

साइटिका के भयानक दर्द को करे दूर।

कब्ज की समस्या को दूर करता है।

पित्ताशय की बीमारियों को।

मधुमेह के मरीजों के लिए लाभदायक ।

गुर्दे की सूजन को कम करता है।

त्वचा पर पड़ने वाली झुड़ियों से बचा जा सकता है।

स्किन से जुड़ी परेशानी दूर हो सकती है।

कोलेस्ट्रॉल को कम करने में सहायक होता है।

कार्डियोवेस्कुलर डिजीज से बचने में है सहायक।

कैसे काम करता है एल्डरबेरी

एल्डरबेरी में हेमेग्लुटिनिन प्रोटीन (Haemagglutinin protein) होता है, जो कोशिकाओं में प्रवेश होकर वायरस को फैलने से रोकता है। अगर संक्रमण होने के बाद इसका सेवन किया जाए तो यह वायरस को फैलने से रोकता है। इससे इन्फ्लूएंजा के लक्षणों की अवधि भी कम होती है।

उपयोग

कितना सुरक्षित है एल्डरबेरी का उपयोग? 

एल्डरबेरी हमारे स्वास्थ्य के लिए वरदान की तरह है लेकिन, इसे सावधानी से लेना भी बहुत जरूरी है वरना यह आपके लिए नुकसानदेह साबित हो सकता है। एल्डरबेरी के जूस का लगातार 12 हफ्ते तक सेवन करना काफी हद तक सेफ है। इस बारे में कोई वैज्ञानिक जानकारी नहीं है कि अगर इसे लंबे समय तक लिया जाए तो ये कितना सुरक्षित है।

एल्डरबेरी की पत्तियां और कच्चा फल हानिकारक हो सकता है।

प्रेग्नेंट महिलाएं और ब्रेस्ट फीडिंग कराने वाली महिलाएं इसका सेवन न करें।

जिन लोगों को पेट संबंधित परेशानी है वो भी इसे खाने से बचें।

अगर किसी को इसके सेवन से स्किन पर रैशेज और सांस लेने में दिक्कत हो रही है वो भी इसे एवॉइड करें। हो सकता है उन्हें इससे एलर्जी हो।

अगर आप किसी दूसरी दवाइयों का सेवन कर रहे हैं तो इसे लेने से पहले एक बार अपने डॉक्टर से परामर्श जरूर लें। ये दवाइयों के प्रभाव को कम या बदल सकता है।

अगर आप ऑटोइम्यून बीमारियों या कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स से ग्रसित हैं तो भी इसका सेवन न करें।

नैचुरल चीजों को ऐसा सोचकर कि ये नुकसान नहीं करेगी इनका सेवन अधिक मात्रा में ना करें।

साथ ही इस बात का ध्यान रखें कि सभी नैचुरल चीजें सभी लोगों के लिए सुरक्षित नहीं होती हैं। इनका उपयोग भी आयुर्वेदिक एक्सपर्ट की सलाह पर ही करें।

एल्डरबेरी से मुझे क्या साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं?

वैसे तो इसका सीमित मात्रा में सेवन करने से कोई नुकसान नहीं हैं, लेकिन इसे अधिक मात्रा में खाने से कुछ साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं। जैसे-

डायरिया की समस्या हो सकती है

पेट दर्द होने की संभावना बनी रहती है

जी मचलाना

रैशेज की समस्या

सांस लेने में दिक्कत होना

इन परेशानियों के साथ-साथ अन्य परेशानी भी हो सकती है। ऐसे लक्षण दिखाई देने पर डॉक्टर से संपर्क करें। ये लक्षण किसी दूसरी कंडिशन के भी हो सकते हैं। इस बात का भी ध्यान रखें।

एल्डरबेरी की सही खुराक क्या है?

वैज्ञानिक अनुसंधान में निम्नलिखित खुराक का अध्ययन किया गया है-

फ्लू में एक चम्मच एल्डरबेरी जूस को तीन से पांच दिन तक पी सकते हैं। अगर आप एल्डरबेरी लोजेंज ले रही हैं तो 175 मिलीग्राम की टैबलेट को दो दिन तक चार बार लें।

हर्बल सप्लिमेंट्स की खुराक हर मरीज के लिए अलग होती है। ये मरीज की उम्र, सेहत और स्वास्थय पर निर्भर करती है। हर्बल सप्लिमेंट्स हमेशा सेफ नहीं होते हैं। इसलिए हमेशा इन्हें लेने से पहले एक बार डॉक्टर से सलाह जरूर लें।

उपलब्ध

एल्डरबेरी का उपयोग आंतरिक और बाहरी दोनों तरह से किया जाता है।

सिरप

लोशन

तरल अर्क

कैप्सूल

पाउडर

रिसर्च के अनुसार इसे कच्चा नहीं खाना चाहिए क्योंकि इससे शारीरिक परेशानी हो सकती है।

आधार 

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माका रूट

 माका रूट 

एक क्रूसिफेरस सब्‍जी माका- जिसके पौधे का मुख्‍य खाद्य हिस्‍सा इसकी जड़ होती है, जो कि जमीन के अंदर कंद के रूप में बढ़ता है। माका पौधे में 12 से 20 पत्तियां होती हैं। माका रूट विभिन्‍न प्रकार के रंग की हो सकती हैं जैसे लाल, बैंगनी, क्रीम, पीला या काला। यह 10 से 14 से.मी. लंबा और 3-5 सेमी चौड़ा हो सकता है। माका ठंडी जलवायु में अच्‍छी तरह से विकास करता है।

उपयोग

माका रूट पाउडर का उपयोग विभिन्‍न व्‍यंजनों में मिलाकर किया जा सकता है। अपने औषधीय गुणों के कारण माका ने अपनी विशेष पहचान बना ली है जो कि यौन स्‍वास्‍थ्‍य (Sexual health) को बढ़ावा देने के लिए उपयोग किया जाता है। माका रूट के और भी कई स्‍वास्‍थ्‍य लाभ हैं।माका रूट के औषधीय गुण और इनसे प्राप्‍त होने वाले स्‍वास्‍थ्‍य लाभों के बारे में जानिए:

यौन इच्‍छा को बढ़ाने में

बांझपन (Infertility) को दूर करने

रक्‍तचाप कम करने में

ऊर्जा और सहनशक्ति को बढ़ाए

मनोदशा को सुधारने में

पुरुष प्रजनन क्षमता को बढ़ाए

रजोनिवृत्ति के लक्षणों को दूर करे

मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य के लिए

स्तंभन दोष को दूर करे

सेक्‍स ड्राइव बढ़ाए

डिप्रेशन को कम करने में

त्‍वचा के लिए लाभकारी

माका सबसे शक्तिशाली सुरक्षित सुपरफूड माना जाता है। यह कई लोगों के लिए मुख्य आहार होता है। यह ऊर्जा बढ़ाता है और इसमें मौजूद पोषण हड्डियों को मजबूत करते हैं।माका रुट के फायदे अनेक हैंऔर यह जड़ी-बूटी के रूप में भी उपयोग में आता है।

माका रूट कैसे काम करता है?

विटामिन और खनिजों की अच्‍छी मात्रा माका में मौजूद रहती है। माका की जड़ों में कार्बोस अच्‍छी मात्रा में होता है और इसमें वसा की मात्रा बहुत ही कम होती है। इस औषधीय जड़ में फाइबर के साथ-साथ आवश्‍यक विटामिन और खनिज (vitamins and minerals) जैसे विटामिन-सी, कॉपर और आयरन भी अच्‍छी मात्रा में होते हैं। इसके आलावा इसमें फैटी एसिड और एमिनो एसिड जैसे केमिकल्स होते हैं। फिर भी, यह कैसे काम करता है, इस बारे में ज्यादा अध्ययन मौजूद नहीं है। इस बारे में और अधिक जानकारी के लिए आप किसी हर्बल विशेषज्ञ या फिर किसी डॉक्टर से संपर्क करें।

सावधानियां और चेतावनी

निम्नलिखित परिस्थितियों में इसका इस्तेमाल करने से पहले डॉक्टर या हर्बलिस्ट से सलाह लें:

यदि आप प्रेग्नेंट या ब्रेस्टफीडिंग करा रही हैं। दोनों ही स्थितियों में सिर्फ डॉक्टर की सलाह पर ही दवा खानी चाहिए।

यदि आप अन्य दवाइयां ले रही हैं। इसमें डॉक्टर की लिखी हुई और गैर लिखी हुई दवाइयां शामिल हैं, जो मार्केट में बिना डॉक्टर के प्रिस्क्रिप्शन के खरीद के लिए उपलब्ध हैं।

यदि आपको माका के किसी पदार्थ या अन्य दवा या औषधि से एलर्जी है।

यदि आपको कोई बीमारी, डिसऑर्डर या कोई अन्य मेडिकल कंडिशन है।

यदि आपको फूड, डाई, प्रिजर्वेटिव्स या जानवरों से अन्य प्रकार की एलर्जी है।

माका का इस्तेमाल करने से पहले इसके खतरों की तुलना इसके फायदों से जरूर की जानी चाहिए। इसकी अधिक जानकारी के लिए अपने हर्बलिस्ट या डॉक्टर से सलाह लें।

माका कितना सुरक्षित है?

आमतौर पर भोजन में पाए जाने वाली माका की मात्रा ज्यादातर लोगों के लिए सुरक्षित है। इसे दवा के रूप में अनुशंषित रूप में- ३ ग्राम प्रतिदिन की मात्रा में,उपयोग करना भी ज्यादातर किस्सों में सुरक्षित है।

विशेष सावधानियां और चेतावनी

अपने औषधीय गुणों और स्‍वास्‍थ्‍य लाभों के कारण माका को आमतौर से सुरक्षित माना जाता है, लेकिन अधिक मात्रा में इसका सेवन करने से कुछ नुकसान हो सकते हैं।


ताजा माका:

जानकारों का मानना है कि ताजा माका का इस्तेमाल करने से स्‍वास्‍थ्‍य में प्रतिकूल प्रभाव हो सकता है। इसलिए इसका सेवन करने से पहले इसे उबालने (boiling) की सलाह दी जाती है।


थायरॉइड:

यदि आपको थॉयराइड है तो आपको माका के सेवन से बचना चाहिए।


गर्भावस्था और स्तनपान:

गर्भवती और स्‍तनपान कराने वाली महिलाओं को माका जड़ का सेवन करने से पहले अपने डॉक्‍टर से संपर्क करना चाहिए।


अन्य दवा:

यदि आप किसी विशेष प्रकार की दवाओं का सेवन कर रहे हैं, तो माका रूट का सेवन करने से पहले स्‍वास्‍थ्‍य सलाहकार से जरूर संपर्क करें।


ब्रैस्ट कैंसर, गर्भाशय का कैंसर, डिम्बग्रंथि का कैंसर,गर्भाशय के एंडोमेट्रियोसिस और गर्भाशय फाइब्रॉइड जैसी हॉर्मोन सेंसेटिव स्थिति:

माका के कुछ एक्सट्रैक्ट एस्ट्रोजन की तरह काम करते हैं। यदि आपको इनमे से कोई भी ऐसी बीमारी है, जो एस्ट्रोजन के संपर्क से और बिगड़ सकती है, तो माका का उपयोग न करें।


साइड इफेक्ट्स

माका से मुझे क्या साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं?

उच्च मात्रा में और रोजाना साबुत माका लेने से थायरॉइड पर प्रतिकूल असर हो सकता है।

हालांकि, हर किसी को ये साइड इफेक्ट हो ऐसा जरूरी नहीं है, कुछ ऐसे भी साइड इफेक्ट हो सकते हैं, जो ऊपर बताए नहीं गए हैं। अगर आपको इनमें से कोई भी साइड इफेक्ट महसूस हो या आप इनके बारे में और जानना चाहते हैं, तो नजदीकी डॉक्टर से संपर्क करें।


रिएक्शन


आपकी अन्य मौजूदा चिकित्सा स्थिति या दवा पर माका का क्या प्रभाव हो सकता है, इस बारे में अभी तक कोई जानकारी नहीं है। यदि आप किसी दवा के साथ माका का प्रयोग करना चाहते हैं, तो अपने चिकित्सक से परामर्श जरूर करें।



डोसेज


आप इसे किसी पूरक की तरह किसी भी मात्रा में उपयोग कर सकते हैं जैसे कि खाने में ऊपर से डालकर, दलिया, बेक्‍ड मील या अन्‍य प्रकार के खाद्य पदार्थों में वैकल्पिक रूप से इसका उपयोग कर सकते हैं।

औषधीय उपयोग के लिए इसकी निश्चित खुराक निर्धारित नहीं की गई है। हालांकि,अध्‍ययनों द्वारा ज्ञात होता है कि सामान्‍य रूप से माका को प्रतिदिन 1.5-5 ग्राम तक सेवन किया जा सकता है।

इस हर्बल सप्लिमेंट की खुराक हर मरीज के लिए अलग हो सकती है। आपके द्वारा ली जाने वाली खुराक आपकी उम्र, स्वास्थ्य और कई चीजों पर निर्भर करती है। हर्बल सप्लिमेंट हमेशा सुरक्षित नहीं होते हैं। इसलिए सही खुराक की जानकारी के लिए हर्बलिस्ट या डॉक्टर से चर्चा करें।

उपरोक्त जानकारी चिकित्सा सलाह का विकल्प नहीं हो सकती। इसका इस्तेमाल करने से पहले हमेशा अपने डॉक्टर या हर्बलिस्ट से सलाह लें।


माका किन रूपों में आता है?

माका रुट का पाउडर

कैप्सूल

दवा

पीला माका 

आधार 

नेट पर उपलब्ध जानकारी 





जिनसेंग

जिनसेंग 

जीनस पैनाक्स (genus panax) नामक पौधे की जड़ को जिनसेंग कहा जाता है। इसका स्वाद कड़वा और मसालेदार होता है। यह पौधा अरिलियासी (Araliaceae) परिवार से संबंध रखता है। बताया जाता है कि दुनिया में जिनसेंग की करीब 11 प्रजातियां मौजूद हैं।  मुख्य रूप से जिनसेंग के पांच प्रकार अधिक चलन में हैं, जिन्हें एशियाई जिनसेंग, अमेरिकी जिनसेंग, साइबेरियाई जिनसेंग, भारतीय जिनसेंग व ब्राजील जिनसेंग के नाम से जाना जाता है। जिनसेंग एक आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी है 

जिनसेंग के फायदे 

जिनसेंग एक आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी होने के कारण यह शरीर पर कई तरह के लाभ पहुंचा सकती है, जिनमें यह शामिल है:

1. ऊर्जा के स्तर में सुधार

एनसीबीआई (नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इंफॉर्मेशन) की वेबसाइट पर प्रकाशित एक वैज्ञानिक शोध की मानें, तो जिनसेंग एक बेहतरीन एनर्जी बूस्टर के तौर पर काम कर सकता है। इसमें पाए जाने वाले पोषक तत्व थकान जैसे विकारों को दूर कर शरीर में ऊर्जा का संचार कर सकते हैं। इसलिए, इसका उपयोग उन लोगों के शारीरिक और मानसिक सुधार के लिए किया जा सकता है, जिनमें एनर्जी की कमी के कारण निर्जीवता का एहसास पैदा हो जाता है । अभी इस संबंध में कम ही वैज्ञानिक अध्ययन हुआ है, इसलिए शारीरिक कमजोरी के मामले में इसका सेवन करने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें।

2. कैंसर में लाभकारी

जिनसेंग के उपयोग से कैंसर की समस्या से बचा जा सकता है। साथ ही यह कैंसर के कुछ लक्षण से भी राहत दिलाने का काम कर सकता है। इससे जुड़े एक वैज्ञानिक शोध में दिया हुआ है कि इसके उपयोग से कैंसर की स्थिति में होने वाले थकान से राहत मिल सकती हैं। यह वैज्ञानिक शोध एनसीबीआई की साइट पर उपलब्ध है । वहीं, एक वैज्ञानिक रिसर्च के मुताबिक, जिनसेंग में एंटी-कैंसर गुण पाए जाते हैं, जो कैंसर से बचाने का काम कर सकता है । साथ ही जिनसेंग कैंसर का कोई सटीक इलाज नहीं है। इसलिए, अगर किसी को कैंसर है, तो डॉक्टरी इलाज को मान्यता दें।

3. वजन घटाने में मददगार

वजन घटाने के लिए भी जिनसेंग को इस्तेमाल में लाया जा सकता है। इसमें एंटी-ओबेसिटी गुण होता है। विशेषज्ञों का कहना है कि जिनसेंग शरीर में पाचन क्रिया को मजबूत बनाने का काम कर सकता है। साथ ही यह शरीर पर अतिरिक्त वसा को चढ़ने नहीं देता और वजन घटाने में लाभकारी सिद्ध होता है । 

4. डायबिटीज में मिलता है आराम

खाना खाने से दो घंटे पूर्व 3 ग्राम जिनसेंग का सेवन भोजन के बाद टाइप-2 डायबिटीज के रोगी में बढ़ने वाली रक्त शर्करा की मात्रा को कंट्रोल कर सकता है। वहीं, कुछ मामलों में यह भी पाया गया है कि भोजन से पहले जिनसेंग का सेवन करने से कोई फर्क नहीं पड़ता है। दूसरी तरफ विशेषज्ञों का मानना है कि अलग-अलग जिनसेंग उत्पादों के प्रभाव भिन्न-भिन्न हो सकते हैं। इसका कारण उनमें पाए जाने वाले रसायन हैं, जिन्हें जिनसिनोसाइड्स कहा जाता है ।

5. यौन रोग में सुधार

एनसीबीआई की वेबसाइट पर पब्लिश एक मेडिकल रिसर्च के अनुसार, जिनसेंग के गुण यौन शिथिलता में मददगार साबित हो सकते हैं । इसलिए, इसे हर्बल वियाग्रा भी कहा जाता है। बता दें कि इसमें जिनसिनोसाइड्स मौजूद होता है, जो नाइट्रिक ऑक्साइड के स्तर को बढ़ाकर लिंग में रक्त प्रवाह को बढ़ावा दे सकता है। साथ ही कामेच्छा को भी प्रेरित कर सकता है। वहीं, कुछ शोध से इस बात का भी प्रमाण मिलता है कि जिनसेंग को पुरुषों में टेस्टोस्टेरोन (पुरुषत्व बढ़ाने वाला हार्मोन) के स्तर को गति देने के लिए भी उपयोग में लाया जा सकता है ।

6. मानसिक क्षमता का विकास

शोधकर्ताओं के मुताबिक, जिनसेंग का उपयोग इंसान में दिमागी क्षमता को बढ़ावा दे सकता है । वहीं, एक शोध में पाया गया है कि इसकी सहायता से अल्जाइमर के लक्षण यानी याददाश्त कमजोर होने की बीमारी को भी काफी हद तक सुधारा जा सकता है । यहीं कारण है कि जिनसेंग के लाभ मानसिक विकास के लिए हो सकते हैं।

7. तनाव को करता है मुक्त

जिनसेंग के लाभ तनाव मुक्ति के लिए भी हो सकते हैं। इस संबंध में किए गए एक शोध में शोधकर्ताओं ने पाया कि यह तनाव को कम कर दिमागी क्षमता के विकास को बढ़ा सकता है । इसलिए, ऐसा कहा जा सकता है कि तनाव के घरेलू इलाज के रूप में भी इसका उपयोग किया जा सकता है।

8. प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में मददगार

एनसीबीआई की वेबसाइट पर प्रकाशित जिनसेंग को लेकर किए गए शोध में शोधकर्ताओं ने इस बात का भी पता लगाया है कि इसका उपयोग कई संक्रामक बीमारियों से निजात दिलाने में कारगर साबित हो सकता है। दरअसल, जिनसेंग में इम्युनोस्टिमुलिटरी प्रभाव पाए जाते हैं, जो रेजिस्टेंस बूस्टर की तरह काम कर सकता है। इससे संक्रामक बीमारियों को फैलाने वाले वायरस के खिलाफ लड़ने के लिए शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ावा मिल सकता है ।

9. बुढ़ापा की समस्या को कम करने के लिए

जिनसेंग के गुण में एक खासियत यह भी है कि इसे बुढ़ापे की समस्याओं को कुछ हद तक कम करने वाली औषधि के रूप में जाना जाता है। इस संबंध में हुए एक वैज्ञानिक रिसर्च के मुताबिक, जिनसेंग में एंटी एजिंग प्रभाव होते हैं, जो समय से पहले बढ़ते उम्र के लक्षण को आने से रोक सकते हैं। साथ ही जिनसेंग का सूजन प्रतिरोधक गुण उम्र बढ़ने के साथ होने वाले त्वचा संबंधी विकार जैसे- झुर्रियां, दाग-धब्बे और बेजान त्वचा पर कुछ असरदार साबित हो सकता है। इसका उपयोग त्वचा की समस्या को कम करने के लिए बेहतर माध्यम साबित हो सकता है ।

10. सूजन से लड़ने में सक्षम

जिनसेंग के फायदे में एक चमत्कारी फायदा यह भी शामिल है कि यह इंफ्लेमेशन यानी सूजन से जुड़ी समस्या को कम करने में मदद कर सकता है। विशेषज्ञों के मुताबिक, रेड जिनसेंग में पाए जाने वाले यौगिकों में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण पाए जाते हैं, जो इंफ्लेमेशन की समस्या से निजात दिला सकते हैं ।

11. फेफड़े का कार्य

फेफड़ों से जुड़ी कई समस्या एक तरह का इंफ्लेमेटरी विकार हो सकता है, जिससे छुटकारा पाने में जिनसेंग मददगार हो सकता है। दरअसल, इसमें जिनसेनोसाइड्स गुण पाए जाते हैं, जो एंटी इंफ्लेमेटरी के रूप में काम कर सकते हैं। इससे लंग्स की समस्या से राहत मिल सकती है ।

12. मासिक धर्म से जुड़ी समस्याओं में कारगर

मासिक धर्म के दौरान महिलाओं में तनाव और पेट में होने वाली पीड़ा के लिए रेड जिनसेंग बेहतर आयुर्वेदिक उपचार साबित हो सकता है। इस संबंध में किए गए वैज्ञानिक शोध के दौरान विशेषज्ञों ने पाया कि जिनसेंग के गुण इतने खास हैं कि इसके सेवन से महिलाओं को मासिक धर्म के दौरान होने वाली तकलीफों में भी राहत मिल सकती है। वहीं, शोध के दौरान इसके सेवन से किसी प्रकार का नकारात्मक प्रभाव देखने को नहीं मिला ।

13. बालों का रखे ख्याल

जिनसेंग में पाए जाने वाले खास यौगिक बालों के विकास और स्वस्थ स्कैल्प को बनाए रखने में मददगार साबित हो सकते हैं। जिनसेंग में पाए जाने वाले जिनसेनोसाइड्स बालों को झड़ने से बचाते हैं और उनकी जड़ों को मजबूती प्रदान करने का काम कर सकते हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक, जिनसेंग के प्रतिरक्षा प्रणाली को बेहतर करने वाले गुण बालों के स्वास्थ्य को बरकरार रखने में मददगार साबित हो सकते हैं

जिनसेंग में पाए जाने वाले सभी पोषक तत्व 

पोषक तत्व मात्रा प्रति 100 G

ऊर्जा 100 kcal

कार्बोहाइड्रेट 20 g

शुगर 20 g

जिनसेंग का उपयोग – 

जिनसेंग के चमत्कारी फायदों का लाभ पाने के लिए इसे उपयोग करना बेहद ही आसान है। जिनसेंग पाउडर, जड़ और कैप्सूल के रूप में उपलब्ध है, जिसे कई तरीकों से इस्तेमाल कर सकते हैं। इनमें से कुछ के बारे में नीचे बता रहे हैं।

कैसे और कब करें सेवन:

जिनसेंग पाउडर या जड़ की चाय बनाकर सुबह या शाम को पी सकते हैं।

जिनसेंग को काफी बनाने के लिए भी उपयोग कर सकते हैं, जिसे सुबह की शुरुआत या शाम में सेवन कर सकते हैं।

इसे चिकन सूप बनाने में भी इस्तेमाल किया जाता है, जिसे ब्रेकफास्ट या शाम के स्नैक के साथ ले सकते हैं।

जिनसेंग पाउडर का सेवन किया जा सकता है।

इसे कैप्सूल के रूप में भी ले सकते हैं।

कितना करें सेवन: 

इसकी दिनभर में 2 से 3 ग्राम मात्रा ली जा सकती है, लेकिन इसे एक साथ न लेकर दिनभर में 3 से 4 बार लिया जा सकता है। बता दें कि इसका निरंतर 3 से 4 सप्ताह तक उपयोग किया जा सकता है। वहीं, इसके सेवन की निरंतरता इस बात पर भी निर्भर करती है कि इसे किस उपयोग के लिए लिया जा रहा है। इस संबंध में अधिक जानकारी के लिए विशेषज्ञों की सलाह आवश्यक है ।


जिनसेंग का चयन कैसे करें और लंबे समय तक सुरक्षित कैसे रखें?

कई लोगों के लिए जिनसेंग का चयन और उसे लंबे समय तक सुरक्षित रखना एक बड़ा टास्क बन जाता है। इसलिए, हम उनके लिए कुछ आसान टिप्स दे रहे हैं।

जिनसेंग का चयन:

जिनसेंग की जड़ अधिक सुखा न हो।

इसके जड़ में अधिक जगह पर गांठें नहीं होनी चाहिए।

जिनसेंग में जगह-जगह पर कट न लगा हो।

इसमें दाग धब्बे न लगे हों।

अगर कोई जिनसेंग पाउडर खरीदना चाह रहा है, तो उसे विश्वसनीय दुकान से खरीदें, क्योंकि इसका नकली पाउडर भी बाजार में उपलब्ध है। इसे खरीदते समय एक्सपायरी डेट जरूर चेक करें। वहीं, इसे हमेशा एयरटाइट डिब्बे में रखना चाहिए।

जिनसेंग के नुकसान 

आइए, नजर डालते हैं उन स्थितियों पर जिनमें जिनसेंग के नुकसान होने की आशंका सबसे ज्यादा होती है ।

कुछ मामलों में जिनसेंग का उपयोग दुष्परिणामों को प्रदर्शित कर सकता है, जैसे- सिरदर्द, पाचन और नींद से संबंधित समस्याओं का होना। यह जिनसेंग के नुकसान में शामिल है।

गर्भवती व स्तनपान कराने वाली महिला को यह औषधि लेने से बचना चाहिए। उन पर जिनसेंग के नुकसान नजर आ सकते हैं।

हाई बीपी और हृदय संबंधी बीमारियों से ग्रस्त व्यक्ति बिना डॉक्टर की सलाह के जिनसेंग का सेवन न करें।

अगर कोई शुगर की दवा ले रहा है, तो उसे जिनसेंग का इस्तेमाल डॉक्टर की सलाह पर ही करें। हो सकता है कि इसके सेवन से ब्लड शुगर काफी कम हो जाए।

जिनसेंग के साथ किसी अन्य दवा या खाद्य पदार्थ का सेवन न करें।

जिनसेंग ऐसी आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी है, जिसके सेवन से शरीर को स्वस्थ रखा जा सकता है। यहीं नहीं जिनसेंग के फायदे भी कई हो सकते हैं, जिसके बारे में हमने ऊपर लेख में बताया है। हां, अगर कोई गंभीर समस्या से जूझ रहा है, तो इसका सेवन करने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूरी लेनी चाहिए। 

आधार 

नेट पर उपलब्ध जानकारी 




मैंगोस्टीन क्या है?

मैंगोस्टीन (Mangosteen) 

मैंगोस्‍टीन (Mangosteen) एक फल है। जिसका वैज्ञानिक नाम गार्सिनिया मैंगोस्टाना (Garcinia mangostana) है। यह एक उष्णकटिबंधीय फल है जिसका स्वाद थोड़ा खट्टा-मीठा होता है। मैंगोस्टीन (Mangosteen) को फलों की रानी भी कहा जाता है। यह बैंगनी रंग का होता है। इसे दूसरे नामों से भी जाना जाता है। हिंदी में इसे मैंगोस्टीन कहा जाता है। तेलुगु में ‘इवारुममिडी’ (Ivarumamidi) कहते हैं, बंगाली में ‘काओ'(Kao), मलयालम में ‘कट्टम्पी'(Kaattampi), कन्नड़ में ‘मुरुगला हन्नू’, गुजराती में ‘कोकम’ के नाम से जाना जाता है। मैंगस्‍टीन सेहत के लिहाज से अच्छा फल है। इसमें सभी प्रकार के पोषक तत्‍व और खनिज पदार्थ पाए जाते है। मैंगोस्टीन ब्लड प्रेशर, कैंसर को रोकने और कोलेस्‍ट्रॉल को नियंत्रित करने के लिए इसका प्रयोग किया जाता है। इसके फल के साथ पपड़ी, टहनी और छाल का उपयोग औषधि के रूप में किया जाता है।

यह फल मुख्य रूप से दक्षिण पूर्व एशिया और भारत मे केरला राज्य मे पाया जाता है। इसका पेड़ 6 मीटर से लेकर 25 मीटर तक लंबा हो सकता है। इसके फल का इस्तेमाल मिठाई बनाने के लिए भी किया जाता है।

ये कैसे काम करता है?

मैंगोस्टीन (Mangosteen) में टैनिन पाया जाता है। टैनिन डायरिया के इलाज में काम आता है। वहीं, इसमें जैनथोंस पाया जाता है, जिसमें एंटीबायोटिक, एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं। इसलिए इसका प्रयोग यूरेनरी ट्रैक इंफेक्शन के इलाज में भी किया जाता है। पारंपरिक चिकित्सा में इस पौधे के अनेक भागो का इस्तेमाल किया जाता है। जो स्किन इंफेक्शन, घाव, पेचिश, टीबी, कैंसर, गठिया रोग और आंत से जुड़ी समस्याओं के इलाज में मददगार होता है। इसके साथ ही, इस फल का इस्तेमाल इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाने और मेंटल हेल्थ को बेहतर बनाने के लिए भी किया जाता है।

इसके अलावा, कुछ लोग इस फल को सीधा स्किन से जुड़ी समस्याओं जैसे एग्जिमां के लिए भी इस्तेमाल करते हैं। आमतौर पर इसका इस्तेमाल मिठाई बनाने और जाम बनाने के लिए किया जाता है। हालांकि, आप इसका इस्तेमाल हेल्थ ड्रिंक के तौर पर भी इस्तेमाल किया जाता है। इससे बनाए गए जूस को मार्केट में “जैंगो जूस” के नाम से बेचा जाता है। कुछ मार्केटर्स का दावा है कि जैंगो जूस दस्त, मासिक धर्म की समस्याओं, मूत्र पथ के संक्रमण, टीबी और अन्य कई प्रकार का इलाज कर सकता है। हालांकि, इन बातों की पुष्टि करने के लिए अभी कोई उचित अध्ययन नहीं हुए हैं।

कैंसर की रोकथाम में मददगार हो सकता है

इस फल के रस, प्यूरी या छाल का इस्तेमाल कैंसर के उपचार के लिए प्रभावी होता है। 

 इसके अलावा मैंगोस्टीन (Mangosteen) में पोषक तत्वों की भरमार है। एक कप मैंगोस्टीन (Mangosteen) में ये पोषक तत्व पाए जाते हैं।

कैलोरी : 143

कार्बोहाइड्रेट : 35 ग्राम

फाइबर : 3.5 ग्राम

फैट : 1 ग्राम

प्रोटीन की मात्रा : 1 ग्राम

विटामिन-सी : 9% RDI (Recommended Daily Intake)

विटामिन-बी9 : 15% RDI

विटामिन-बी1 : 7% RDI

विटामिन-बी 2 : 6% RDI

मैगनीज : 10% RDI

कॉपर : 7% RDI

मैग्नीशियम : 6% RDI

उपयोग

इसका उपयोग किस लिए किया जाता है?

मैंगोस्टीन का उपयोग (Mangosteen) कई तरह के रोगों में किया जाता है। इसमें सबसे ज्यादा एंटी-ऑक्‍सीडेंट पाए जाते हैं। इसमें प्राकृतिक रूप से पॉलीफेनोल (polyphenol) पाया जाता है जो जैंथोन के नाम से जाना जाता है। मैंगोस्‍टीन (Mangosteen) में जेन्‍थोन्‍स-एल्‍फा मैंगोस्‍टीन और गामा मैंगोस्‍टीन होते हैं। ये तनाव को कम करने के काम आता है। ये एंटीऑक्‍सीडेंट शरीर को कई प्रकार के इंफेक्शन से बचाते हैं। साथ ही हृदय रोग, सर्दी और कैंसर का रिस्क कम करने में मदद करता है। इसके अलावा मैंगस्टन इन समस्याओं के लिए भी फायदेमंद होता है :

पेचिश

डायरिया

यूरेनरी ट्रैक इंफेक्शन (UTIs)

सूजाक (Gonorrhea)

थ्रश (Thrush)

एक्जिमा (Eczema)

पीरियड्स में अनियमितता (Menstural Disorder)

अल्‍जाइमर रोग (Alzheimer’s Disease)

मसूड़ों संबंधी समस्‍या

मैंगोस्टीन (Mangosteen) कैसे खाएं?

मैंगोस्टीन (Mangosteen) हर जगह नहीं मिलता है। यह एक मौसमी फल है और यह सिर्फ गर्मियों में होता है। इसलिए इसकी उपलब्धता काफी सीमित है। आपके इसे विशेष एशियाई बाजारों से खरीद सकते हैं। ये जमे हुए या डिब्बे में बंद रूपों में भी बाजार में मौजूद है। मैंगस्टन का छिलका चिकना और गहरे बैंगनी रंग का होता है। जो खाने योग्य नहीं होता है। इसे आप चाकू के जरिए आसानी से हटा सकते हैं। इसके अंदर सफेद और रसदार गूदा होता है। आप गूदे का सेवन कर सकते हैं।

सावधानियां और चेतावनियां

मैंगोस्टीन का उपयोग करना पूरी तरह सुरक्षित है। मैंगोस्टीन के फायदे एक नहीं बल्कि अनेक हैं। बस इसे गर्भवती महिला और कुछ विशेष दवाओं का सेवन करने वालों को खाने से बचना चाहिए। इसके अलावा, ज्यादा मात्रा में इस फल का सेवन करने से आपको पाचन संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। कुछ लोगों को मैंगोस्टीन (Mangosteen) से एलर्जी भी हो सकती है। वहीं, गर्भवती महिलाओं द्वारा सेवन करने से भ्रूण को नुकसान पहुंच सकता है। इसलिए अगर आप इस फल का सेवन कर रहे हैं तो अपने डॉक्टर या हर्बलिस्ट से बात जरूर कर लें।

मैंगोस्टीन का उपयोग कितना सुरक्षित है?

मैंगोस्टीन (Mangosteen) का प्रयोग हर उम्र के लोगों के लिए सुरक्षित है। लेकिन, इसका मतलब ये नहीं है कि इसका सेवन ज्यादा से ज्यादा किया जाए। निश्चित मात्रा का सेवन आपके लिए पूरी तरह से सुरक्षित है। इसलिए सेवन से पहले डॉक्टर या हर्बलिस्ट की राय ले लें।

साइड इफेक्ट्स

मैंगोस्टीन (Mangosteen) का अधिक सेवन करने से कुछ साइड इफेक्ट्स भी सामने आए हैं :

पाचन संबंधी समस्‍याएं

दस्‍त या पेट दर्द की समस्‍या

रक्त के थक्के बनने की प्रक्रिया को धीमा कर सकते हैं

मैंगोस्टीन (Mangosteen) के साथ मुझ पर क्या प्रभाव पड़ सकता है?

मैंगस्टीन में एंटीऑक्सीडेंट पाया जाता है। यदि आप कीमोथेरेपी ले रहे हैं तो दवाओं के साथ इसका सेवन आपके शरीर पर प्रभाव डाल सकता है। इसके अलावा, हिस्टामिन रोधी (anti-histamines) दवाओं के साथ इसका प्रयोग नहीं करना चाहिए।

डोसेज

मैंगोस्टीन (Mangosteen) की सही खुराक क्या है?

मैंगोस्टीन (Mangosteen) की खुराक के बारे में कोई खास वैज्ञानिक साक्ष्य नहीं है। लेकिन, इसका सेवन उम्र, स्वास्थ्य स्थिति आदि के आधार पर करना चाहिए। इसलिए आप अपने डॉक्टर या हर्बलिस्ट से बात कर के ही मैंगोस्टीन का सेवन करें।

उपलब्ध

मैंगोस्टीन (Mangosteen) निम्न रूपों में उपलब्ध हैः

जूस

फल

डिब्बे में बंद टुकड़े

आधार

नेट पर उपलब्ध जानकारी।



कुछ फर्ज थे मेरे, जिन्हें यूं निभाता रहा।  खुद को भुलाकर, हर दर्द छुपाता रहा।। आंसुओं की बूंदें, दिल में कहीं दबी रहीं।  दुनियां के सामने, व...