रविवार, 2 अक्तूबर 2022

एल्डरबेरी क्या है?

 एल्डरबेरी क्या है?

एल्डरबेरी सबसे ज्यादा दवाइयों में इस्तेमाल होने वाले पौधों में से एक है। इसका वानस्पातिक नाम सैम्बूकस (Sambucus) है। देखने में ये बिल्कुल जामून जैसी लगती है। सदियों से अमेरीका के लोग एल्डरबेरी का इस्तेमाल इंफेक्शन को दूर करने के लिए करते आ रहे हैं। प्राचीन मिस्त्र के लोग इसका उपयोग त्वचा की रंगत सुधारने और घाव भरने के लिए करते हैं। एल्डरबेरी पेड़ के फूल और पत्तियों में भी ओषधीय गुण होते हैं। इसके फूल कैरोटीन, टैनिक, पैराफिन और कोलीन जैसे तत्वों का स्त्रोत हैं।

एल्डरबेरी के फूलों और पत्तियों को दर्द से राहत, सूजन और पसीना उत्पन्न करने के लिए प्रयोग किया जाता है। सूखी बेरी और जूस को इन्फ्लूएंजा, संक्रमण, स्कायटिका, सिरदर्द, दांत दर्द और हृदय दर्द के इलाज के लिए अच्छा माना जाता है। बेरी को पकाकर जूस, जैम, चटनी, पाई और वाइन भी बनाई जाती है।


एल्डरबेरी का उपयोग किसलिए किया जाता है? 

एंटी-ऑक्सीडेंट से भरपूर

इसमें भरपूर मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट होते हैं, जो कोल्ड और कफ (सर्दी-जुकाम) को दूर करने के साथ इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाने का काम करते हैं। कुछ लोग एल्डरबेरी को कोल्ड, फ्लू, स्वाइन फ्लू के लिए लेते हैं। इसे एचआईवी, एड्स के इलाज में और इम्यून सिस्टम को मजबूत करने के लिए भी लिया जाता है।

दर्द को करे दूर

एल्डरबेरी साइनस के कारण होने वाले दर्द, पैरों में दर्द, नर्व पेन और क्रॉनिक फटिग सिंड्रोम से भी राहत दिलाता है। इसका उपयोग आयुर्वेदिक एक्सपर्ट की सलाह पर ही करें।

न्यूट्रिएंट्स से भरपूर

एल्डरबेरी विटामिन सी, डायटरी फाइबर, फिनोलिक एसिड, फ्लेवानोल और एंथोस्यानिस का अच्छा स्त्रोत है। यानी इसके सेवन से आपको ये सभी चीजें एक साथ मिल जाएंगी।

हृदय के अच्छे स्वास्थ्य के लिए

एल्डरबेरी दिल और रक्त वाहिका जो शरीर में रक्त का परिवहन करती हैं दोनों को स्वस्थ रखने में मदद गार है। कई शोधों में भी ये निष्कर्ष निकला है कि इसके जूस को पीने से खून में से फैट कम होता है, जो कोलेस्ट्रॉल को कम करता है। इसके अलावा, इसमें फ्लेवोनोइड और एंथोसायनिन जैसे कम्पाउंड भी होते हैं जो रक्तचाप को कम कर दिल संबंधित परेशानियों से कोसों दूर रखते हैं।

स्किन और बालों के लिए 

एल्डबेरी में एंटी एजिंग और फ्री रेडिकल फाइटिंग प्रॉपर्टीज होती हैं, जो स्किन को नैचुरल डिटॉक्सिफाई करता है। इससे स्किन पर किसी तरह के ब्रेकआउट, पिंप्ल और निशान नहीं होते हैं। ये दो मुंह बालों से लेकर स्कैल्प पर कोई परेशानी को दूर करने भी मददगार है। साथ ही बालों की ग्रोथ में भी सुधार करता है।

कब्ज के लिए 

एल्डरबेरी और दूसरी सामग्री के साथ बनाई गई चाय कब्ज की परेशानी से राहत दिलाता है।

इन बीमारियों में भी है मददगार

इसमें कैंसर-रोधक गुण होते हैं जो कैंसर से लड़ने में मदद करते हैं।

शरीर में मौजूद खतरनाक बैक्टीरिया से लड़ने में मददगार है।

यूवी रेडिएशन से कवच प्रदान करता है।

सही से यूरिन होना।

साइनस के दर्द में राहत।

साइटिका के भयानक दर्द को करे दूर।

कब्ज की समस्या को दूर करता है।

पित्ताशय की बीमारियों को।

मधुमेह के मरीजों के लिए लाभदायक ।

गुर्दे की सूजन को कम करता है।

त्वचा पर पड़ने वाली झुड़ियों से बचा जा सकता है।

स्किन से जुड़ी परेशानी दूर हो सकती है।

कोलेस्ट्रॉल को कम करने में सहायक होता है।

कार्डियोवेस्कुलर डिजीज से बचने में है सहायक।

कैसे काम करता है एल्डरबेरी

एल्डरबेरी में हेमेग्लुटिनिन प्रोटीन (Haemagglutinin protein) होता है, जो कोशिकाओं में प्रवेश होकर वायरस को फैलने से रोकता है। अगर संक्रमण होने के बाद इसका सेवन किया जाए तो यह वायरस को फैलने से रोकता है। इससे इन्फ्लूएंजा के लक्षणों की अवधि भी कम होती है।

उपयोग

कितना सुरक्षित है एल्डरबेरी का उपयोग? 

एल्डरबेरी हमारे स्वास्थ्य के लिए वरदान की तरह है लेकिन, इसे सावधानी से लेना भी बहुत जरूरी है वरना यह आपके लिए नुकसानदेह साबित हो सकता है। एल्डरबेरी के जूस का लगातार 12 हफ्ते तक सेवन करना काफी हद तक सेफ है। इस बारे में कोई वैज्ञानिक जानकारी नहीं है कि अगर इसे लंबे समय तक लिया जाए तो ये कितना सुरक्षित है।

एल्डरबेरी की पत्तियां और कच्चा फल हानिकारक हो सकता है।

प्रेग्नेंट महिलाएं और ब्रेस्ट फीडिंग कराने वाली महिलाएं इसका सेवन न करें।

जिन लोगों को पेट संबंधित परेशानी है वो भी इसे खाने से बचें।

अगर किसी को इसके सेवन से स्किन पर रैशेज और सांस लेने में दिक्कत हो रही है वो भी इसे एवॉइड करें। हो सकता है उन्हें इससे एलर्जी हो।

अगर आप किसी दूसरी दवाइयों का सेवन कर रहे हैं तो इसे लेने से पहले एक बार अपने डॉक्टर से परामर्श जरूर लें। ये दवाइयों के प्रभाव को कम या बदल सकता है।

अगर आप ऑटोइम्यून बीमारियों या कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स से ग्रसित हैं तो भी इसका सेवन न करें।

नैचुरल चीजों को ऐसा सोचकर कि ये नुकसान नहीं करेगी इनका सेवन अधिक मात्रा में ना करें।

साथ ही इस बात का ध्यान रखें कि सभी नैचुरल चीजें सभी लोगों के लिए सुरक्षित नहीं होती हैं। इनका उपयोग भी आयुर्वेदिक एक्सपर्ट की सलाह पर ही करें।

एल्डरबेरी से मुझे क्या साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं?

वैसे तो इसका सीमित मात्रा में सेवन करने से कोई नुकसान नहीं हैं, लेकिन इसे अधिक मात्रा में खाने से कुछ साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं। जैसे-

डायरिया की समस्या हो सकती है

पेट दर्द होने की संभावना बनी रहती है

जी मचलाना

रैशेज की समस्या

सांस लेने में दिक्कत होना

इन परेशानियों के साथ-साथ अन्य परेशानी भी हो सकती है। ऐसे लक्षण दिखाई देने पर डॉक्टर से संपर्क करें। ये लक्षण किसी दूसरी कंडिशन के भी हो सकते हैं। इस बात का भी ध्यान रखें।

एल्डरबेरी की सही खुराक क्या है?

वैज्ञानिक अनुसंधान में निम्नलिखित खुराक का अध्ययन किया गया है-

फ्लू में एक चम्मच एल्डरबेरी जूस को तीन से पांच दिन तक पी सकते हैं। अगर आप एल्डरबेरी लोजेंज ले रही हैं तो 175 मिलीग्राम की टैबलेट को दो दिन तक चार बार लें।

हर्बल सप्लिमेंट्स की खुराक हर मरीज के लिए अलग होती है। ये मरीज की उम्र, सेहत और स्वास्थय पर निर्भर करती है। हर्बल सप्लिमेंट्स हमेशा सेफ नहीं होते हैं। इसलिए हमेशा इन्हें लेने से पहले एक बार डॉक्टर से सलाह जरूर लें।

उपलब्ध

एल्डरबेरी का उपयोग आंतरिक और बाहरी दोनों तरह से किया जाता है।

सिरप

लोशन

तरल अर्क

कैप्सूल

पाउडर

रिसर्च के अनुसार इसे कच्चा नहीं खाना चाहिए क्योंकि इससे शारीरिक परेशानी हो सकती है।

आधार 

नेट पर उपलब्ध जानकारी 



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