शनिवार, 8 अक्तूबर 2022

शतावरी

 आयुर्वेद में शतावरी को एक बहुत ही फायदेमंद जड़ी-बूटी के रूप में बताया गया है। आप अनेक बीमारियों की रोकथाम, या इलाज में शतावरी का प्रयोग कर सकते हैं। 

शतावरी क्या है? 

शतावरी बेल या झाड़  के रूप वाली शतावरी एक जड़ी-बूटी है। इसकी लता फैलने वाली, और झाड़ीदार होती है। एक-एक बेल के नीचे कम से कम 100, इससे अधिक जड़ें होती हैं। ये जड़ें लगभग 30-100 सेमी लम्बी, एवं 1-2 सेमी मोटी होती हैं। जड़ों के दोनों सिरें नुकीली होती हैं।


इन जड़ों के ऊपर भूरे रंग का, पतला छिलका रहता है। इस छिलके को निकाल देने से अन्दर दूध के समान सफेद जड़ें निकलती हैं। इन जड़ों के बीच में कड़ा रेशा होता है, जो गीली एवं सूखी अवस्था में ही निकाला जा सकता है।


 शतावरी दो प्रकार की होती हैं, जो ये हैंः-


विरलकन्द शतावर 

इसके कन्द छोटे, मांसल, फूले हुए तथा गुच्छों में लगे हुए होते हैं। इसके कन्द का काढ़ा बनाकर सेवन किया जाता है।


कुन्तपत्रा शतावर 

यह झाड़ीनुमा पौधा होता है। इसके कन्द छोटे, और मोटे होते हैं। इसके फूल सफेद रंग के होते हैं, और फल गोल होते हैं। कच्ची अवस्था में फल हरे रंग के, और पकने पर लाल रंग के हो जाते हैं। इसके कंद शतावर से छोटे होते हैं।

शतावरी के फायदे

बहुत सालों से शतावरी का भिन्न-भिन्न तरीके से इस्तेमाल होता आ रहा है। 

अनिद्रा रोग (नींद ना आने की परेशानी)

कई लोगों को नींद ना आने की परेशानी होती है। ऐसे लोग 2-4 ग्राम शतावरी चूर्ण को दूध में पका लें। इसमें घी मिलाकर खाने से नींद ना आने की परेशानी खत्म होती है। कहने का मतलब यह है कि शतावर चूर्ण अनिद्रा की बीमारी में बहुत ही लाभकारी हैं।


गर्भवती महिलाओं के लिए 

गर्भवती महिलाओं के लिए शतावरी के फायदे बहुत ही लाभकारी सिद्ध होते हैं। गर्भवती महिलाएं शतावरी, सोंठ, अजगंधा, मुलैठी तथा भृंगराज को समान मात्रा में लें और इनका चूर्ण बना लें। इसे 1-2 ग्राम की मात्रा में लेकर बकरी के दूध के साथ पिएं। इससे गर्भस्थ शिशु स्वस्थ रहता है।


स्तनों में दूध बढ़ाने के लिए 

कई महिलाओं को मां बनने के बाद स्तनों में दूध की कमी की शिकायत होती है। ऐसी स्थिति में महिलाएं 10 ग्राम शतावरी के जड़ के चूर्ण को दूध के साथ सेवन करें। इससे स्तनों में दूध की वृद्धि होती है। इसलिए डिलीवरी के बाद भी शतावरी के फायदे महिलाओं को मिलना उनके सेहत के लिए अच्छा होता है।

1-2 ग्राम शतावरी के जड़ से बने पेस्ट का दूध के साथ सेवन करें। इससे स्तनों में दूध अधिक होता है।

इसी तरह शतावरी को गाय के दूध में पीस कर सेवन करें। इससे दूध स्वादिष्ट और पौष्टिक भी हो जाता है।

शारीरिक कमजोरी दूर करने के लिए 

जो लोग शारीरिक कमजोरी, या शरीर में ताकत की कमी महसूस कर रहे हैं। वे शतावरी को घी में पकाकर मालिश करें, इससे शरीर की कमजोरी दूर होती है। सामान्य कमजोरी दूर करने में शतावरी के फायदे बहुत लाभकारी सिद्ध होते हैं।

सेक्सुअल पॉवर (स्टेमना) को बढ़ाने के लिए

कई लोग मर्दानगी ताकत की कमी, या सेक्सुअल स्टेमना की कमी से भी परेशान देखे जाते हैं। ऐसे व्यक्ति शतावरी के इस्तेमाल से फायदा ले सकते हैं। इसमें शतावर को पका कर सेवन करें।

इसके अलावा दूध के साथ शतावरी चूर्ण की खीर बनाकर खाने से भी सेक्सुअल स्टेमना में वृद्धि होती है।

वीर्य दोष को ठीक करने के लिए 

वीर्य की कमी की समस्या में 5-10 ग्राम शतावरी को घी के साथ रोज सेवन करना चाहिए। इससे वीर्य की वृद्धि होती है।

 स्वप्न दोष का इलाज 

स्वप्न दोष को ठीक करने के लिए ताजी शतावर की जड़ का चूर्ण बना लें। इसे 250 ग्राम तथा 250 ग्राम मिश्री को मिलाकर कूट-पीस लें। इसे 6-11 ग्राम चूर्ण को, 250 मिली दूध के साथ सुबह-शाम लें। इससे स्वप्न दोष दूर होता है, और शरीर स्वस्थ रहता है। शतावर चूर्ण के फायदे का पूरा लाभ तभी मिलता है जब चूर्ण को सही तरह से बनाया जाय और सही तरह से इसका सेवन किया जाय।

सर्दी-जुकाम में शतावरी का उपयोग

शतावरी का सेवन सर्दी-जुकाम में भी फायदेमंद होता है। आप शतावरी की जड़ का काढ़ा बना लें। इसे 15-20 मिली मात्रा में पीने से आराम मिलता है।

गला बैठने (आवाज बैठना) पर 

अधिक जोर से बोलने, या चिल्लाने पर गला बैठना (आवाज का बैठना) आम बात है। ऐसी परेशानी में शतावर, खिरैटी (बला), और चीनी को मधु के साथ चाटने से लाभ होता है।

सूखी खांसी के उपचार के लिए

सूखी खांसी से परेशान रहते हैं, तो 10 ग्राम शतावरी, 10 ग्राम अडूसे के पत्ते, और 10 ग्राम मिश्री को 150 मिली पानी के साथ उबाल लें। इसे दिन में 3 बार पीने से सूखी खांसी खत्म हो जाती है।

कफ होने पर शतावरी, एवं नागबला का काढ़ा, और चूर्ण को घी में पका लें। इसका सेवन करने से कफ विकार में लाभ होता है।

सांसों के रोग में

शतावरी पेस्ट एक भाग, घी एक भाग, तथा दूध चार भाग लें। इन्हें घी में पकाएं। इसे 5-10 ग्राम की मात्रा में सेवन करें। इससे सांसों से संबंधित रोग, रक्त से संबंधित बीमारी, सीने में जलन, वात और पित्त विकार, और बेहोशी की परेशानी से आराम मिलता है।

अपच की समस्या में 

खाना ठीक से नहीं पच रहा है, तो शतावरी का उपयोग   करना लाभ पहुंचाता है। 5 मिली शतावर के जड़ के रस को मधु, और दूध के साथ मिला लें। इसे पिलाने से अपच जैसी परेशानी से शान्ति मिलती है।

पेट दर्द में शतावरी से लाभ

पित्त दोष के कारण होने वाले पेट के दर्द में भी शतावरी का फायदा लिया जा सकता है। रोज सुबह 10 मिली शतावरी के रस में 10-12 ग्राम मधु मिलाकर पीने से लाभ होता है।

सिर दर्द में फायदेमंद

शतावरी सिर दर्द से भी आराम दिलाता है। शतावर की ताजी जड़ को कूटकर, रस निकाल लें। इसमें रस के बराबर ही तिल का तेल डालकर उबाल लें। इस तेल से सिर पर मालिश करें। इससे सिर दर्द, और अधकपारी (आधासीसी) में आराम मिलता है।

नाक के रोग में 

नाक की बीमारियों में 5 ग्राम शतावरी चूर्ण को 100 मिली दूध में पका लें। इसे छानकर पीने से नाक के रोग खत्म हो जाते हैं। शतावर चूर्ण के फायदे नाक संबंधी रोगों के उपचार के लिए बहुत ही लाभकारी होते हैं।

घाव सुखाने के लिए 

शतावरी के 20 ग्राम पत्तों के चूर्ण बनाकर दोगुने घी में तल लें। अब इस शतावरी चूर्ण को अच्छी तरह पीस कर घाव पर लगाएं। इससे पुराना घाव भी ठीक हो जाता है।

आंख के रोग में 

5 ग्राम शतावरी जड़ को 100-200 मिली दूध में पका लें। इसे छानकर पीने से आंख के रोगों में लाभ होता है।

पुराना घी, त्रिफला, शतावरी, परवल, मूंग, आंवला, तथा जौ का रोज सेवन करें। इससे आंखों के रोग में लाभ  होता है।

रतौंधी में 

शतावरी के इस्तेमाल से रतौंधी में भी लाभ होता है। घी में शतावरी के मुलायम पत्तों को भूनकर सेवन करें।

दस्त रोकने के लिए 

लोग दस्त से परेशान रहते हैं, तो 5 ग्राम शतावरी घी का सेवन करें। इससे दस्त पर रोक लगती है।

मूत्र विकार के इलाज के लिए 

शतावरी पेशाब संबंधी परेशानियों में भी काम करता है। इसमें शतावर 10-30 मिली, और गोखरू का शर्बत बनाकर पीने से लाभ होता है।

कई लोग बार-बार पेशाब आने से परेशान रहते हैं, ऐसे में 10-30 मिली शतावर के जड़ का काढ़ा बना लें। इसमें मधु और चीनी मिलाकर पीने से लाभ होता है।

पेशाब की जलन की बीमारी में 20 ग्राम गोखरू पंचांग के बराबर शतावर को मिला लें। इसे आधा लीटर पानी में उबाल लें। इसे छानकर 10 ग्राम मिश्री और 2 चम्मच मधु मिला लेंं। इसे थोड़ा-थोड़ा पिलाने से पेशाब की जलन, और बार-बार पेशाब आने की परेशानी में आराम मिलता है।

गोनोरिया (सुजाक) में

सुजाक या गोनोरिया, यौन से संबंधित एक रोग है। यह बैक्टीरिया से होता है। इस बीमारी से ग्रस्त रोगी 20 मिली शतावर के रस को, 80 मिली दूध में मिलाकर पिएं। इससे सुजाक में फायदा होता है।

बुखार में 

शतावर और गिलोय के बराबर-बराबर भाग के 10 मिली रस में थोड़ा गुड़ मिलाकर पिएं। इससे बुखार में लाभ होता है। 20-40 मिली काढ़ा में 2 चम्मच मधु मिलाकर पीने से बुखार में लाभ होता है।

बवासीर में 

बवासीर में शतावरी का उपयोग करना बेहतर परिणाम  देता है। 2-4 ग्राम शतावरी चूर्ण (shatavari churna) को दूध के साथ सेवन करने से लाभ होता है।

पेचिश में 

ताजी शतावर को दूध के साथ पीस छान लें। इसे दिन में 3-4 बार पीने से पेचिश (मल के साथ खून आने की बीमारी) में फायदा होता है।

शतावरी से बने घी को पीने से पेचिश में आराम मिलता है।

पुरानी पथरी के रोग में

पथरी की बीमारी से परेशान मरीज 20-30 मिली शतावरी के जड़ से बने रस में बराबर मात्रा में गाय के दूध को मिलाकर पिएं। इससे पुरानी पथरी भी जल्दी गल जाती है।

शतावरी के उपयोगी भाग

जड़ से तैयार काढ़ा

पत्ते

पेस्ट

चूर्ण (shatavari churna)

शतावरी का इस्तेमाल 

आप शतावरी का उपयोग इस तरह से कर सकते हैंः-

रस- 10-20 मिली

काढ़ा- 50-100 मिली

चूर्ण- 3-6 ग्राम

शतावरी कहां पाया या उगाया जाता है

भारत (asparagus in india) में शतावरी की खेती अनेक स्थानों पर की जाती है। इसकी खेती हिमालयी क्षेत्रों में 1500 मीटर तक की ऊंचाई पर होती है। शतावरी मुख्यतः गंगा के ऊपरी मैदानी क्षेत्रों, और बिहार के पठारी भागों में पाई जाती है।

नेट पर उपलब्ध जानकारी पर आधारित 




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