सोमवार, 1 जनवरी 2024

  2023 2जनवरी की रात बहुत धीरे धीरे गुजर रही थी। आंखों से नींद गायब थी। किसी का इन्तज़ार कितना मुश्किल रहता है। रात सरक सरक कर  सुबह के करीब पहुंच रही थी। 3जनवरी की सुबह 4-45 पर इवान ने मेरी ज़िन्दगी में प्रवेश किया। एक छोटी सी जान, गोद में लेते डर लग रहा था। परन्तु दिल के हाथों मजबूर होकर गोद में उठाना ही पड़ा। अन्दर से बहुत डर रहा था।

देखते ही देखते एक साल गुजर गया। मासूम इवान कब बदमाश हो गया पता ही नहीं चला।आज दादू को हर बात के लिए मजबूर कर देता है। दादू के फ़ोन पर पुरा अधिकार जमा लिया है। दादू तथा दादू का फ़ोन दोनों इवान की जान है। किसी की परवाह न करने वाला दादू इवान की हर इच्छा के आगे झूक जाता है। भगवान के पास जाने की इच्छा रखने वाला दादू अब अपने इवान के पास ही रहना चाहता है। भगवान उसे लम्बी उम्र दे। 


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

 पहले तो रावण ने रक्षिकाओं को ही आदेश दिया कि सीता को अशोक-वाटिका तक पहुंचा आएं; किंतु बाद में जाने क्या सोचकर उसने अपना विचार बदल दिया था। ...