यदि पुरुष स्त्री को अपनी बाहों में लेना चाहता है तो उसका तात्पर्य केवल वासना मात्र ही नहीं हो सकता है कई दफा इसका अर्थ होता है वह स्त्री को उसकी आत्मा तक स्पर्श करना चाहता है उस स्त्री के मन को टटोलना चाहता है जो अथाह प्रेम को अपने मन में कहीं दबा लेती है वह अपने सीने से लगाकर स्त्री की आंखों के आँसुओ को प्रेम से सोख लेना चाहता है उस स्त्री के सूखे वीरान पड़े जीवन को प्रेम की बारिशों में भिगो देना चाहता है यह वासना नही है उस पुरुष का अथाह समर्पण है उस स्त्री के लिए जिसे वह हृदय से प्रेम करता है.
गीता का एक-एक अध्याय अपने में पूर्ण है। गीता एक किताब नहीं, अनेक किताबें है। गीता का एक अध्याय अपने में पूर्ण है। अगर एक अध्याय भी गीता का ठीक से समझ में आ जाए--समझ का मतलब, जीवन में आ जाए, अनुभव में आ जाए, खून में, हड्डी में आ जाए; मज्जा में, मांस में आ जाए; छा जाए सारे भीतर प्राणों के पोर-पोर में--तो बाकी किताब फेंकी जा सकती है। फिर बाकी किताब में जो है, वह आपकी समझ में आ गया। न आए, तो फिर आगे बढ़ना पड़ता है।
शनिवार, 23 मार्च 2024
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
यदि किसी को कोई जहरीली चीज काट लेती है, तो प्रभावित क्षेत्र पर घाव बनने लगता है। बवासीर का घाव इतना दर्दनाक होता है कि इसे ठीक करना मुश्कि...
-
यज्ञार्थात्कर्मणोऽन्यत्र लोकोऽयं कर्मबन्धनः । तदर्थं कर्म कौन्तेय मुक्तसङ्गः समाचर ॥ ९ ॥ यज्ञ - अर्थात् एकमात्र यज्ञ या विष्णु के लिए किया...
-
परिशिष्टम् - २ गृह-समृद्धि हेतु वास्तु नियम अनन्त शक्तियों से समन्वित प्रकृत प्रकृति में सृष्टि, विकास एवं प्रलय की प्रक्रिया सतत् प्रवहमा...
-
यदि किसी को कोई जहरीली चीज काट लेती है, तो प्रभावित क्षेत्र पर घाव बनने लगता है। बवासीर का घाव इतना दर्दनाक होता है कि इसे ठीक करना मुश्कि...
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें