शुक्रवार, 30 अप्रैल 2021

एकोनाइटम नैपेलस (Aconitum Napellus) )

(Monkshood)


भय और बेचैनी की हालत, मानसिक और शारीरिक चिन्ता व कष्ट, शारीरिक और मानसिक बेचैनी, डर, एकोनाइट के खास लक्षण हैं। ज्वर के साथ किसी रोग का तीव्र, अकस्मात् और कठोर आक्रमण इस दवा की आवश्यकता बताता है। स्पर्श से घृणा । एकाएक भारी निर्बलता । रोग और खींचन जो सूखे, ठंडे मौसम से पैदा हों, ठंडी बाहरी हवा से पसीना रुकने से और वे रोग जो बहुत गरम मौसम से पैदा हो, खासकर आँतों और आमाशय सम्बन्धी गड़बड़ी इत्यादि प्रदाद और प्रदाहपूर्ण ज्वर की पहली दवा |रक्ताम्बु स्रावी झिल्ली और पेशिक तन्तु का रोगग्रस्त होना । आन्तरिक भाग में जलन | चुनचुनाहट, ठण्डापन और स्पर्शज्ञान की कमी। इन्फ्लूएंजा धमनियों में तनाव, मन में आवेग और शरीर सम्बन्धी खींचना आम पाई जाती है। एकोनाइट देने के समय याद रखिए कि एकोनाइट केवल क्रिया सम्बन्धी गड़बड़ी करता है, इस बात का कोई प्रमाण नहीं मिलता कि वह तान्तविक परिवर्तन भी कर सकता है। इसका प्रभाव अल्पकालीन है और इसमें कोई सामयिकता नहीं पायी जाती इसका क्षेत्र किसी तीव्र रोग के आरम्भ में है। जब लक्षणों में कोई परिवर्तन आ जाये तो इसे जारी नहीं रखना चाहिए। रात्रि की अवस्था में; रस संचयता के पहले। इन्फ्लूएंजा


मन - थोड़े से थोड़े रोग में भी बहुत डर, चिन्ता, आकुलता, घबराहट पायी जाती है। सन्निपात में प्रायः चेतना के साथ दुःख, चिन्ता, डर, बकना झकना सभी की विशेषता रहती है, परन्तु बेहोशी नहीं आती। भविष्य की चिन्ता और डर, मौत से डरना; और यह विश्वास करना कि जल्दी ही मर जायगा दिन तक बता देता है। भविष्य का भीड़ और सड़क पार करने का डर । करवटें बदलना | चौंकने की प्रवृत्तिः कल्पना तीव्र, दिव्य दृष्टि दर्द सहन न हो पागल बना दे | संगीत सहन न हो, उसको दुःखी बना दे | ( ऐम्ब्रा) | सोचता है कि उसके सभी विचार आमाशय में से आते हैं, जैसे शरीर के अंग अधिक मोटे हैं। सोचता है अभी जो हुआ है, वह स्वप्नमात्र था ।


सिर- भरापन; भारी, टपकन, गरम; जैसे फट पड़ेगा, जलन होने का संवेदन | सिर में दबाव ( हेडेरा, हेलिक्स); जलन के साथ सिर दर्द: भेजे में पानी खौल रहा हो ( इण्डिगो ); चक्कर जो उठने से बढ़े ( नक्स और चाँद पर ऐसा मालूम हो जैसे बाल खोंचे जा रहे हो या बड़े हो गये हो में भयानक प्रलाप |

आँखें- लाल, सूजी हुई | गरम और सूखी मालूम पड़ें; जैसे उनमें बालू पडा हो । पलक सूजे हुए, कड़े लाल | रोशनी से बचना चाहे, सूखी ठंडी से बहुत पानी बहे; बर्फ का प्रतिविम्ब पड़ने से आये उपद्रव; किसी सपची या दूसरो बाहरी चीज को निकालने के बाद की हालत |


कान-- आवाज असह्य; संगीत असह | बाहरी कान गरम, लाल, सुजे हुए दर्द करें। कान दर्द ( कैमो)। जैसे बायें कान में पानी की बूंद हो ऐसा संवेदन |


नाक - गंध असह्य । नाक की जड़ में दर्द । सर्दी जुकाम, छींक अधिक, नथुनों में थरथराहट, चमकदार, लाल रक्त प्रवाह | श्लैष्मिक झिल्ली सूखी, नाक बन्द, सूखी या थोड़ा पानी ऐसा स्राव |


चेहरा--लाल, गरम, भरभराया, सूजा, फूला एक गाल गरम दूसरा पीला ( कैमो, इपिका ) | उठने पर लाल चेहरा मुर्दे जैसा पीला हो जाये या चक्कर आये। गालों में सिहरावन और स्पर्शज्ञान शून्यता, स्नायुशूल खासकर बायीं तरफ का इसके साथ में बेचैनी, सिहरावन और सुन्नपन | जबड़ों में दर्द |


मुह सुन्न, सूखा टपकन । जबान सृजी, सिरों में टपकन । दाँत ठंडक सहन न करें। निचला जबडा हिलाया करे जैसे कुछ चबा रहा हो । मसूड़े और सूजे हुए ! जवान पर सफेद मैल ( ए टिमकूडम ) ।


गला--लाल, सूखा, संकुचित, सुन्न, गडन, जलन, डंक लगने जैसा दर्द | तालुमूल सूजे हुए और सुखे ।


पेट -कै हो, इसके साथ डर, गरमी, पसीना और पेशाब अधिक ठंडे पानी की प्यास | पानी के सिवाय सभी चीजों का स्वाद कड़वा । घोर प्यास | पीता है. कै कर देता है और कहता है कि मर जायगा । पित्त की, श्लेष्मा की और खून मिली हरी-सी कै। साँस की तंगी से आमाशय में दाब | खून की कै करना । पेट से गले तक जलन । पेट- गरम, तना, फूला हुआ, छना असह्य | आंत्रशूल जो किसी करवट कम न हो। गर्म शोरबा पीने के बाद पाकाशय के लक्षणों में कमी । नाभि प्रदेश में जलन |


मलान्त्र -गुदा में रात को खाज और चिलकन के साथ दर्द हो । घड़ी घड़ी ऐंठन के साथ थोड़ा-थोड़ा मल निकले, हरा, महीन कटी हुई हरियाली की तरह ।लाल पेशाब के साथ सफेद मल । हैजे का दस्त, पतनावस्था, चिन्ता, बेचैनी के साथ खूनी बवासीर । हैमा मेलिस) बच्चों के पानी जैसे दस्त। वे चिल्लाते हैं और शिकायत करते हैं, बेचैन और सो न पायें | पेशाब थोड़ा, गरम लाल, कष्टदायक मूत्राशय की गरदन पर जलन और ऐंठन | मूत्रमार्ग में जलन | पेशाब न हो, खुनी पेशाब। पेशाब करने के पहले चिन्तित रहना। पेशाब रुक जाना, साथ में बेचैनी और चीखना और लिंग को पकड़ना। गुदा प्रदेश कोमल अधिक पेशाब होना, इसके साथ पसीना अधिक हो और अतिसार ।

पुरुष -लिंग के सिर पर सरसराहट। फोतों में कचट दर्द, अपड कडे, सूजे हुए । अकसर उतेजित होना और वीर्यस्खलन होना । कष्टदायक स्खलन ।

स्त्री - योनि सूखी, गरम, कोमल | मासिकस्राव मात्रा में अधिक, साथ में नकसीर या बहुत देर में हो और बहुत दिनों तक जारी रहे। मासिक रक्त दिखाई पड़ते ही घबराहट आये। डर या ठण्डक से दब गया हो। डिम्बाशय में रक्ताधिक्य और दर्द | गर्भाशय में तेज दर्द | प्रसवान्तक वेदना, डर और बेचैनी के साथ |

श्वास यन्त्र -- बायें सीने में लगातार दाब जरा-सा हिलने से श्वास-कष्ट ! खड़खड़ाती, सूखी, सुरसुरादार काली खाँसी, तेज आवाज के साथ और कठिनता से साँस लेना । बच्चा जब भी खाँसता है, गला पकड़ लेता है। भीतर खींची हुई हवा बहुत असह | साँस कम गहरी स्वरनली कोमल | सीने के आरपार चिलकन | खाँसी सूखी, छोटी, कड़ा; रात में और आधा रात के बाद बढ़; फुफ्फुस में गरमी लगना | खंखारने में खून ऊपर आवे खाँसने के बाद सीने में चुनचुनाइट|


दिल - तेज धड़कन, दिल की बीमारी, बांय कन्धे में दर्द के साथ सीने में चिलकन दर्द, धड़कन के साथ उत्सुकता, गशी और अंगुलियों के सिरों में चुनचुना हट । नाड़ी भरी हुई, कड़ा, खिची-सा उछलती हुई, कभी-कभी रुकती चाल | बैठने में कनपटी और गर्दन की धमनी की गति सुनाइ दें ।


पोठ--सुन्न, कड़ी, वेदना पूर्ण रेंगने और चुनचुनाइट: मानो कुचली गई है। गर्दन की जड़ में कड़ापन; कंधों में कुचले जाने जैसा दर्द |


अग-सुन्न और चुनचुनाहट; गोली लगने की तरह का दर्द, बर्फ-सी ठंडक और हाथ-पैर का सुन्न होना। बाया बाह के नाचे तक दर्द उतर ( कंक्टस, क्रॉटेल, केलाम, टेबकम ) | हाथ गरम और पैर ठण्ड जोड़ों का प्रदाह रात में कष्ट बढ़ लाल चमकदार सूजन | अति कोमल, कूल्हा और जांध के जोड़े लंगड मालूम है। खास कर लेटने के बाद घुटने लड़खडाये पैर  पीछे को मुडने की प्रवृति( एस्क्यूलस ) सभी जोड़ों की नस कमजोर और ढीली जोड़ों में बिना दर्द कर कड़ाहट दाहने हाथ पर चमकदार लाल उभरन जांघो के ऊपर पानी की बूदें टपकती जान पड़े।


नींद - दुःस्वप्न । रात को बकना । उत्सुक स्वप्न | अनिंद्रा बिस्तर में करवटें बदलना ( ३० शक्ति का प्रयोग करें ) नींद में चोकना स्वप्न, सोने में व्यग्रता, बूढ़ों को नींद न आना।


चर्म -लाल, गरम सूजा हुआ; सूखा, लाल फुन्सियों । शीतला जैसे दाने। सुरसुरी और पीठ में गगनी और रेंगन नीचे की तरफ को उत्तेजक औषधियों से कम हो ।


ज्वर- शीतावस्था विशेष है। ठंडा पसीना और चेहरा बर्फ-सा ठंडा ठंड और गरमी बारी-बारी से बिस्तर में जाने के बाद सर्दी लगे ।  ठंडी उसके शरीर से गुजरती हैं। प्यास और वेचैनी साथ रहती है। कपड़ा हटाने और छूने से सर्दी लगे । सूखी, गरमी, लाल चेहरा । अति लाभदायक ज्वरनाशक दवा है । जबकि मानसिक कष्ट और बेचैनी इत्यादि साथ हों। इससे सभी लक्षणों में कमी हो जाती है ।

घटना बढ़ना- खुली हवा में कम; गरम कमरे में शाम को और रात में बढ़ना; रोगग्रस्त्र करवट लेटने से, संगीत से, धूम्रपान से, सूखी ठंडी हवा से बढ़ना । अधिक मात्रा में सिरका पीने से इस औषधि का विष नष्ट हो जाता है ।

सम्बन्ध -तेजाबी पदार्थ, शराब, कॉफी, लेमोनेड और खट्टे फल इस औषधि की क्रिया को प्रभावित करते हैं। मलेरिया, मंद ज्वर, क्षय ज्वर, रक्त विष दोष और स्थानान्तरित प्रदाह में प्रयोग नहीं होता । अक्सर इसके बाद सल्फर दिया जाता है।


तुलना कीजिये - कैमोमिला और कॉफिया से घोर पीड़ा और अनिद्रा में | एग्नोस्टिस और स्पाईरैन्यस ज्वर और सूजन में एकोनाइट की तरह काम करते हैं। पूरक कॉफिया, सल्फर | सल्फर को 'जीर्ण एकोन' समझना चाहिये । अक्सर एकोन के शुरू किये काम को सल्फर पूरा करता है ।


तुलना-- बेलाडो, कैमो, कॉफिया, फेरम फास |



मात्रा -ज्ञानेन्द्रियों के रोग पर ६ शक्ति और प्रदाह की दशा में १-३ शक्ति | तीव्र रोग में जल्दी जल्दी दोहराना चाहिये । एकोनाइट तेज काम करने वाली दवा है। स्नायुशूल में जड़ का टिचर बनाकर प्रयोग करना चाहिए, एक १बूंद (विषैली ) या फिर ३० शक्तिः जैसी मरीज की हालत हो।

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