बुधवार, 15 सितंबर 2021

 इलेक्‍शन जीतने के बाद एक राजनेता से किसी ने उससे पूछा कि आपके जीतने की जो विधियां आपने उपयोग कीं, उसमें खास बात क्या थी? तो उसने कहा, छोटे आदमियों को आदर देना। उसने दस हजार आदमियों को निजी पत्र लिखे थे। उनमें ऐसे आदमी थे, कि जैसे टैक्सी ड्राइवर था, जिसकी टैक्सी में बैठकर वह स्टेशन से घर तक आया होगा।

राजनेता की आदत थी कि वह टैक्सी ड्राइवर से उसका नाम पूछेगा, पत्नी का नाम पूछेगा, बच्चे का नाम पूछेगा। वह टैक्सी ड्राइवर तो आगे गाड़ी चला रहा है, पीछे देख नहीं रहा है। लेकिन राजनेता नोट करता रहेगा, पत्नी का नाम, बच्चे का नाम; बच्चे की तबियत कैसी है; बच्चा किस क्लास में पढ़ता है। टैक्सी ड्राइवर फूला नहीं समा रहा है। अगर कोई बड़ा नेता आपसे पूछ रहे हों तो...।

और फिर दो साल बाद एक पत्र आएगा टैक्सी ड्राइवर के नाम, कि तुम्हारी पत्नी की तबीयत खराब थी पिछली बार तुम्हारे गांव जब आया था, अब उसकी तबीयत तो ठीक है न? तुम्हारे बच्चे तो ठीक से स्कूल में पढ़ रहे हैं न? और इस बार मैं चुनाव में खड़ा हुआ हूं? थोड़ा खयाल रखना।

वह किसी भी पार्टी का हो, पागल हो गया। अब उसको दल—वल का कोई सवाल नहीं है। अब नेता से निजी संबंध हो गया। अब वह यह कार्ड लेकर घूमेगा।

छोटे आदमी के अहंकार को फुसलाना राजनीतिज्ञ का काम है।

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