रविवार, 26 सितंबर 2021

सात सुख

मित्रों, एक कहावत जो अक्सर सुनने को मिलती है, आपने भी बहुत बार सुनी होगी, "पहला सुख निरोगी काया" इसके अलावा ये भी कहा जाता रहा है कि सातों सुख हर किसी को नहीं मिलते, क्या है ये सात सुख? पहला सुख तो निरोगी काया है फिर बाकी के छह कौनसे सुख है? जितनी मुझे जानकारी है आज आपसे साझा कर रहा हूँ कि आखिर ये सात सुख है क्या?

पहला तो आप जानते ही हैं की निरोगी काया यानि स्वस्थ शरीर, अगर शरीर स्वस्थ ना हो तो दुनिया का हर सुख बेमजा हो जाता हैं, जुकाम भी लग जाये तो पोंछते पोंछते कई बार आदमी की नाक छिल जाती है, छींकें, खांसी और बंद नाक पीड़ित व्यक्ति का हाल बेहाल कर देता है, ऐसे में अगर कहीं कोई उत्सव भी मनाया जा रहा है, तो वो व्यक्ति उसका उतना आनंद नहीं ले पायेगा जितना कि दूसरे लोग।

दुर्भाग्यवश यदि कोई और बड़ी बीमारी शरीर में घर कर जाय तो चिकित्सक हजार तरह की बंदिशें उस पर थोप देता है, मीठा मत खाना, तले हुए भोजन से परहेज करना, लंबी दूरी की यात्रा ना करें, नाचना कूदना आपके लिये घातक हो सकता है, मेहनत या थका देने वाला काम न करें, इत्यदि इत्यादि, अब वो व्यक्ति ताउम्र इन परहेजों की हथकड़ी पहने अन्य लोगों को देख देख कर मन ही मन घुटने के अलावा और कर भी क्या सकता है।

में धन सज्जनों, सार ये ही है कि अगर काया निरोगी है तो ही अन्य सुख काम के हैं, अन्यथा सब बेकार है, इसिलिये कहा गया है की पहला सुख निरोगी काया, हमारे पूर्वजों ने दूसरा सुख बताया है- माया यानि धन संपत्ति, पास संपत्ति हो और पहला सुख भरपूर हो तो जीवन काफी आनंदमय हो जाता है, तीसरा सुख है गुणवान, संस्कारी जीवनसाथी, और चौथा सुख बताया गया है आज्ञाकारी संतान ।

यदि पत्नी समझदार है, अच्छे संस्कारों और गुणों से सुसज्जित है, तो व्यक्ति

के लिए घर स्वर्ग समान हो जाता है, और सोने पे सुहागा हो जाता है जब

संतान भी आज्ञाकारी हो, वो आदमी तो धन्य हो जाता है जिसको उपरोक्त

चारों सुख मिल जायें, लेकिन बात सात सुखों की चल रही थी, देखा जाये तो

ऊपर लिखे चार सुख भी विरलों को ही प्राप्त हो पाते हैं, कोई स्वस्थ तो है पर

पैसों की तंगी है, ये दोनों है तो पत्नी का स्वभाव थोड़ा कड़वा है, या संतान

निरंकुश है।



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