बुधवार, 25 अक्तूबर 2023

 आत्मविश्वास का फार्मूला:-

पहला : मैं जानता हूँ कि मुझमें जीवन के निश्चित लक्ष्य को हासिल करने की योग्यता है और इसलिए मैं खुद से यह अपेक्षा रखता हूँ कि मैं इसे हासिल करने के लिए निरंतर और लगन से कार्य करूँ और मैं यहाँ पर अभी यह वादा करता हूँ कि मैं इसी तरह से कार्य करूँगा।

दूसरा : मुझे एहसास है कि मेरे मस्तिष्क के प्रबल विचार अंततः अपने आपको बाहरी, भौतिक कार्यों में बदल लेंगे और धीरे-धीरे अपने आपको भौतिक वास्तविकता में रूपांतरित कर लेंगे। इसलिए मैं अपने विचारों को हर दिन तीस मिनट तक इस बात पर एकाग्र करूँगा कि मैं किस तरह का इंसान बनने के बारे में सोच रहा हूँ ताकि मेरे मस्तिष्क में इसकी एक स्पष्ट तस्वीर रहे।

तीसरा : मैं जानता हूँ कि आत्मसुझाव के सिद्धांत के प्रयोग के द्वारा मैं जिस भी इच्छा को अपने मस्तिष्क में निरंतर बनाए रखूँगा वह अंततः किसी प्रैक्टिकल तरीके के द्वारा अपने आपको भौतिक समतुल्य में बदल लेगी और मुझे वह वस्तु हासिल हो जाएगी जिसका मैंने लक्ष्य बनाया है। इसलिए मैं हर दिन दस मिनट इस काम में दूंगा कि मैं आत्मविश्वास का विकास करूँ ।

चौथा : मैंने स्पष्ट रूप से जीवन में अपने प्रमुख निश्चित लक्ष्य का वर्णन लिख लिया है और मैं कोशिश करना कभी नहीं छोडूंगा जब तक कि मुझमें इसे हासिल करने का पर्याप्त आत्मविश्वास विकसित न हो जाए।

पांचवां: मुझे पूरी तरह एहसास हैं कि कोई भी संपत्ति या पद तब तक लंबे समय तक बना नहीं रह सकता जब तक कि यह सत्य और न्याय पर आधारित न हो। इसलिए मैं किसी भी ऐसी गतिविधि में संलग्न नहीं होऊँगा जिससे इससे प्रभावित होने वाले सभी लोगों को लाभ न हो। मैं ऐसी शक्तियों को अपनी तरफ आकर्षित करके सफलता पाऊँगा जिनका मैं प्रयोग करना चाहता हूँ और मैं दूसरे लोगों के सहयोग के द्वारा सफलता पाऊँगा। मैं दूसरे लोगों को प्रेरित करूँगा कि वे मेरी सेवा करें क्योंकि मैं हमेशा दूसरों की सेवा करने का इच्छुक रहूँगा। मैं सारी मानवता के प्रति प्रेम विकसित करूँगा और घृणा, ईर्ष्या, स्वार्थ और दोष देखने की आदत को अपने मस्तिष्क से दूर करूँगा क्योंकि मैं जानता हूँ कि दूसरों के प्रति नकारात्मक नज़रिया रखने से मुझे कभी सफलता नहीं मिल सकती। मैं ऐसे काम करूँगा जिससे दूसरों को मुझ पर विश्वास हो क्योंकि मैं उनमें और अपने आपमें विश्वास रखूँगा। मैं इस फ़ॉर्मूले पर अपने हस्ताक्षर करूँगा और इसे याद कर लूँगा और इसे हर दिन ज़ोर-ज़ोर से दोहराऊँगा । ऐसा करते समय मुझे पूरा विश्वास होगा कि यह मेरे विचारों और कार्यों को धीरे-धीरे प्रभावित करेगा ताकि मैं एक स्वावलंबी और सफल व्यक्ति बन सकूँ।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

कुछ फर्ज थे मेरे, जिन्हें यूं निभाता रहा।  खुद को भुलाकर, हर दर्द छुपाता रहा।। आंसुओं की बूंदें, दिल में कहीं दबी रहीं।  दुनियां के सामने, व...