रविवार, 14 जुलाई 2024

जहां भी तुम प्रीति को उंडेल दोगेवहीं क्रांति घट जाती है। प्रेम क्रांति है। प्रेम पत्थर को रूपांतरित कर देता है। और जहा प्रेम नहीं हैवहा जीवंत व्यक्ति भी पत्थर होकर रह जाता है। तुमने देखाजिस व्यक्ति से तुम्हारा प्रेम नहीं हैवह व्यक्ति है या नहीं हैतुम्हें कोई अंतर नहीं पड़ता। पड़ोस में कोई मर गयातुम सुन भी लेते होकहते हो बुरा हुआमगर वह भी सब औपचारिक है। तुम्हारे भीतर कोई रेखा नहीं खिंचती। लेकिन तुमने अगर किसी पत्थर की मूर्ति को भी प्रेम किया और वह टूट गयीतो तुम रोओगे। तुम्हारा हृदय टुकड़े—टुकड़े हो जाएगा। जीवन वहीं होता है जहा तुम्हारा प्रेम होता है। जीवन वहीं दिखायी पड़ता है जहा तुम प्रेम की आंख से देखते हो। नहीं तो कहीं जीवन दिखायी नहीं पड़ता।

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