गुरुवार, 25 मई 2023

 पहले कुछ दिनों से लक्ष्मण और मुखर अधिक-से-अधिक व्यस्त होते गए थे । वे लोग थोड़े-थोड़े समय के पश्चात् राक्षसों की सैनिक टुकड़ियों की गतिविधियों की सूचनाएं ला रहे थे। सूचनाओं से लगता था कि राक्षस बड़ी सावधानी से योजनाबद्ध रूप में आगे बढ़ रहे थे, और उनकी इच्छा बड़े तथा आकस्मिक आक्रमण की थी।

ग्रामवासी क्रमशः अपना भय छोड़ते गए थे और उनमें से खेतों में काम करने वालों की संख्या बढ़ती चलती गयी थी। शीघ्र ही गांव की पूरी जनसंख्या कृषि- कर्म में सम्मिलित हो गयी थी। जैसे-जैसे उनका भय कम हुआ था, स्त्रियां और बच्चे भी उस सामूहिक जीवन में सहभागी हो गए थे। कृषि के साथ ही वे अन्य गतिविधियों में भी सम्मिलित हो गए थे। करघे चलने लगे थे, कुंभकार का चाक घूमने लगा था और लकड़ी का विविध प्रकार का सामान बनने लगा था । अन्य प्रकार की शालाओं के साथ-साथ मुखर की संगीतशाला भी बहुत लोकप्रिय हो गयी थी। किंतु इतना होते हुए भी माखन और उसके साथी न तो भूमि को अपना मानने को तैयार थे और न वे लोग आश्रम के सैनिक प्रशिक्षण में सम्मिलित होने को सहमत हुए थे। इन दो कामों के लिए राम ने जब-जब प्रयत्न किया, असफल रहे। ग्राम का धातुकर्मी आश्रम के लिए शस्त्र बना देता था, किंतु अपने पास एक खड्ग रखने के लिए भी कभी तत्पर नहीं हुआ ।

इसलिए राम को ग्रामीणों की अधिक चिन्ता थी। अभी तक कुछ निश्चित नहीं था कि राक्षस कितनी संख्या में आएंगे और एक ही स्थान पर आक्रमण करेंगे अथवा एकाधिक टुकड़ियों में बंटकर, अनेक स्थानों पर धावा बोलेंगे वैसे तो अनिन्द्य की बस्ती, धर्मभृत्य का आश्रम, भीखन का ग्राम तथा आनन्दसागर का आश्रम ऐसी संचार व्यवस्था में बंधे हुए थे कि छोटी-छोटी घटनाओं की सूचनाएं भी तत्काल एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंच रही थीं - फिर भी यदि ग्रामवासी किसी ऐसे स्थान पर घिर गए, जहां तत्काल सहायता पहुंचाना संभव नहीं हुआ तो शस्त्रहीन होने के कारण वे लोग तनिक भी प्रतिरोध नहीं कर पाएंगे.''। दूसरी कठिनाई यह थीं कि वे नहीं चाहते थे कि राक्षस उन्हें राम के पक्ष में मानें, इसलिए वे अपनी सुरक्षा के लिए भी, आश्रम में आने को प्रस्तुत नहीं थे...

आश्रम में युद्ध समिति बैठी और विभिन्न कोणों से विचार-विमर्श किया गया। सुरक्षा की दृष्टि से खान, बस्ती, धर्ममृत्य का आश्रम, भीखन का गांव, आनन्दसागर का आश्रम तथा खेत सब ही महत्त्वपूर्ण स्थान थे। किन्तु सबसे , महत्त्वपूर्ण थी जनसंख्या । जन-प्राण की रक्षा सबसे अधिक आवश्यक थी, दूसरी कोटि में थी प्राकृतिक सम्पत्ति अर्थात् खान और खेत आनन्दसागर आश्रम में रखा हुआ शस्त्रागार भी महत्त्वपूर्ण था, किन्तु राम का तत्संबंधी प्रस्ताव मान लिया गया कि समस्त शस्त्र योद्धा अपने साथ रखें- - आवश्यक होने पर एकाधिक शस्त्र रखें, ताकि न शस्त्रागार की समस्या रहे, न ये शस्त्र शत्रुओं के हाथ पड़ें ।


नरेंद्र कोहली के उपन्यास अभ्दूय का एक अंश 

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