गुरुवार, 17 अगस्त 2023

कबूतर

 कबूतर एक शांत स्वभाव वाला पक्षी है।सभी कबूतर अपने सिर को आगे पीछे हिलाते हुए इतराई सी चाल चलते हैं। अपने लंबे पंखों और मज़बूत उड़ान माँसपेशियों के कारण ये सशक्त व कुशल उड़ाके होते हैं। इनका जीवन थोड़े दिन के लिए होता है। इसकी लगभग 250 प्रजातियाँ ज्ञात हैं; जिनमें से दो- तिहाई उष्णकटिबंधीय दक्षिण - पूर्व एशिया, ऑस्ट्रेलिया और पश्चिमी प्रशांत महासागरीय द्वीपों में पाई जाती हैं। लेकिन इस वंश के कई सदस्य अफ़्रीका व दक्षिण अमेरिका और कुछ शीतोष्ण यूरेशिया और उत्तरी अमेरिका में पाए जाते हैं। झुंडों में रहने वाले बीज और फलभक्षी ये कबूतर दुनिया भर के शीतोष्ण व उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में पाए जाते हैं। इनमें से कुछ भूमि पर आहार ग्रहण करते हैं। अन्य अंशत: या पूर्णत: पेड़ों पर भोजन प्राप्त करते हैं। ये साधारणत: हल्के स्लेटी, भूरे और काले रंग के होते हैं और कभी-कभी इनके पंखों पर रंग बिरंगे धब्बे पाए जाते हैं। महानगरों में पाई जाने वाली प्रजाति कोलंबा- जिसमें पुरानी दुनिया के जंगली कबूतर और नई दुनिया के वलयदार पूंछ युक्त कबूतर भी शामिल है। घोंसला बनाने अंडे सेने और चूज़ों को भोजन कराने में नर-मादा, दोनों सहयोग करते हैं। एक बार में आमतौर पर दो अंडे होते हैं और उन्हें ढाई सप्ताह तक सेना पड़ता है। दो या तीन सप्ताह में चूज़े घोंसला छोड़ देते हैं, वयस्क फिर से घोंसला बनाते हैं और साल भर में दो या तीन बार प्रजनन करते हैं। इस परिवार के कई सदस्य तरल चूसते हैं, अन्य पक्षियों की तरह वे घूंट भरते या निगलने की प्रक्रिया नहीं अपनाते सभी कबूतर अपने चूज़ों को अपना दूध पिलाते हैं। जो प्रोलेक्टिन हॉर्मोन की उत्तेजक प्रक्रिया से बना गाढ़ा द्रव होता है। चूज़े अपने अभिभावकों के गले में चोंच डालकर यह दूध पीते हैं। मादा बेतरतीब घोंसले में एक बार में दो चमकीले सफ़ेद अंडे देती है, जहाँ अंडे मुश्किल से ही ठहर पाते हैं।मादा आमतौर पर रात में अंडे सेती है और दिन में नर सेता है। अंडों से चूज़े निकलने में 14 से 19 दिन लगते हैं। लेकिन इसके बाद भी 12 से 18 दिनों तक घोंसले में ही रखकर उनकी देखभाल की जाती है।

कबूतर का आहार अनाज, दालें, फल, कलियाँ और पत्तियाँ घोंघे, कीट है। ये रेत, चिकनी मिट्टी, चूना, बजरी भी खा लेते हैं और गोबर के ढेर, मल स्थानों तथा रासायनिक अवशेषों से नमक प्राप्ति के लिए भोजन ग्रहण करते हैं। इनके द्वारा निगले गए छोटे-छोटे कंकड़ पेट में भोजन को पीसने के काम आते हैं। ये पानी में अपनी चोंच डुबाकर लगातार चूसकर पानी पीते हैं। भूमिचर कबूतर खाते समय सक्रियता से इधर-उधर दौड़ते हैं।

कबूतर की आवाज़ निस्संदेह गुटर गूं, गुर्राहट सिसकारी और सीटी की ध्वनि जैसी होती है। बिलिंग कबूतर और उनकी प्रणय रीति सामान्य दृश्य है, जिसमें ये झुककर गुटर गूं करते हैं। नर झुककर सिर आगे पीछे हिलाते हुए और गर्दन व छाती फुलाकर प्रदर्शन करता है।


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