सोमवार, 7 अगस्त 2023

महाभारत में एटम बम का खुलासा

अगर महाभारत में युद्ध का विवरण पढ़ें और जब पहली दफा  हिरोशिमा और नागासाकी पर एटम बम गिरा तो जो दृश्‍य बना, उस दृश्‍य का विवरण पूरा का पूरा महाभारत में है। उसके पहले तो लगता था महाभारत में जो बात लिखी है सब कल्पना है।  लेकिन जब हिरोशिमा में एटम गिरा और धुँऐ का बादल उठा और वृक्ष की तरह आकाश में फैला; नीचे जैसे वृक्ष की तना होता है, वैसे ही धुएँ की धारा बनी और ऊपर जैसे आकाश में उठता गया धुआं वैसा फैलता गया, अंत में वृक्ष का आकार बन गया। महाभारत में उसका ठीक ऐसा ही वर्णन है। इसलिए अब वैज्ञानिक कहते है कि यह वर्णन कवि  सिर्फ़ कल्‍पना से नहीं कर सकता। क्‍योंकि जो वर्णन है वह एटम बम  के विस्‍फोट का वर्णन है। एटम बम के विस्फोट  से अलग कोई  और विस्‍फोट  नहीं है जिसमे इस तरह की घटना घटे।

 जो महाभारत में वर्णन है। वह यह है वृक्ष के आकार में धुआं आकाश में फैल गया। सारा आकाश धुएँ से भर गया। और उस धुएँ के आकाश से रक्‍तवर्ण की किरणें जमीन पर गिरने लगी। और उन किरणों को जहां-जहां गिरना हुआ, वहां-वहां सब चीजें विषाक्‍त हो गई। भोजन रखा था वह तत्क्षण जहर हो गया। महाभारत में वर्णन में कहा गया है   कि जब रक्‍तवर्ण की किरणें नीचे गिरने लगीं तो जो बच्‍चे मां के गर्भ में थे, वह वहीं मृत हो गये। जो बच्‍चे पैदा हो गए थे। वह अपंग हो गये। और जमीन पर जहां पर भी किरण गिरी। जिस चीज को उन किरणों ने छुआ। वे विषाक्‍त हो गई। उनको खाते ही आदमी मर गया। कोई उपाय नहीं है कि कवि इसकी कल्‍पना कर सकें। लेकिन उन्‍नीस सौ पैंतालीस के पहले इसके सिवा हमारे पास भी कोई उपाय नहीं था। कि हम इसको कल्पना कहें। अब हम कह सकते है कि यह किसी अणु-विस्‍फोट का आँखों देखा हाल है।

महाभारत में कहा गया कि इस तरह के अस्‍त्र शस्‍त्रों का जो ज्ञान है वह सभी को नही बताया जा सकता ।अणु विज्ञ डाक्‍टर ओपन हाइमर पर अमरीका में एक मुकदमा चला। और मुकदमा यह था कि ओपन हाइमर को कुछ चीजें पता थी जो अमरीका की सरकार को भी बताने को राजी नही था। और ओपन हाइमर अमरीका सरकार का आदमी है। तो ओपन हाइमर पर एक विशेष कोर्ट में मुकदमा चला। उस कोर्ट ने यह कहा कि तुम जिस सरकार के नौकर हो और तुम जिस देश के नागरिक हो उस सरकार को तुमसे सब चीजें जानने का हक है। लेकिन ओपन हाइमर ने कहा कि उससे भी बड़ी  निर्णायक मेरी अंतरात्‍मा है। कुछ बातें मैं जानता हूं जो मैं किसी राजनैतिक सरकार को बताने को राज़ी नहीं हूं। क्‍योंकि हम देख चुके हिरोशिमा में क्‍या हुआ। हमारी ही जानकारी लाखों कि हत्‍या का कारण बनी।

महाभारत में कहा है कि महाभारत का ज्ञान सबको न दिया जाएं। और ज्ञान के कुछ शिखर है जो खतरनाक सिद्ध हो सकते है। वह किसी अनुभव के कारण होगी। ओपन हाइमर किसी अनुभव के कारण कह रहा हे कि कुछ बातें जो मैं जानता हूं नहीं बताऊंगा।

जो इतिहास हम स्‍कूल-कालेज, युनिवर्सिटी में पढ़ते है वह बहुत अधूरा है। आदमी इस इतिहास से बहुत पुराना है। और सभ्‍यताएं हमसे भी ऊंचे शिखर पर पहुंच कर समाप्‍त होती रही है। और हम से भी पहले बहुत सी बातें जान ली गई थी। मगर छुपा ली गई थी; क्‍योंकि अहितकर सिद्ध हो रही थी। ऐसा कोई भी सत्‍य विज्ञान आज नहीं कह रहा है जो किसी न किसी अर्थ में इससे पहले न जान लिया गया हो। परमाणु की बात पूरा विश्व बहुत पहले से कर रहि है। यूनान में हेराक्‍लतु, पारमेनडीज बहुत पुराने समय से परमाणु की बात कर रहे हे। और परमाणु के संबंध में वे जो कहते है वह हमारी नई से नई खोज कहती है। हमने बहुत बार उन चीजों को जान लिया, जिनसे जिंदगी बदली जा सकती है, और फिर छोड़ दिया; क्‍योंकि पाया कि जिंदगी बदलती नहीं सिर्फ विकृत हो जाती है।

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