सोमवार, 7 अगस्त 2023

मौत

जरा गौर से सुनो, मौत के कदम रोज-रोज करीब आते जा रहे हैं। मौत फासला कम कर रही है। जिस दिन से तुम पैदा हुए हो, उसी दिन से मौत फासला कम करने में लग गयी है: तुम रोज मर रहे हो। सांसों में बहुत भटके मत रहना। इनका बहुत भरोसा नहीं। अभी आ रही है सांस, अभी न आएगी तो कुछ भी न कर सकोगे। अवश पड़े रह जाओगे। तब बहुत पछताओगे। रोओगे फिर, लेकिन तब बहुत देर हो चुकी होगी। कहते हैं सुबह का भूला सांझ भी घर आ जाए तो भूला नहीं कहाता। लेकिन सांझ भी आ जाए तो! अगर मौत आ गयी तो सांझ भी आयी और गयी। फिर लौटने का उपाय न रहा, समय न रहा।

मौत का अर्थ क्या होता है? इतना ही कि जितना समय तुम्हें दिया था, चुक गया। मौत का अर्थ होता है, जितना अवसर तुम्हें दिया था, तुमने गंवा दिया। मौत का अर्थ होता है, अब और समय नहीं बचा। अब करने का कोई उपाय नहीं। एक आह भी न भर सकोगे। एक प्रार्थना भी न कर सकोगे। राम का नाम भी न ले सकोगे। सांस ही न लौटी तो राम का नाम अब कैसे ले सकोगे? एक नाम रहने की भी, लेने की भी सुविधा नहीं बचती।

और मौत रोज करीब आ रही है। और तुम जिंदगी की सांसों में उलझे पड़े रहते हो। अथातो भक्ति जिज्ञासा! अब भक्ति की जिज्ञासा करो!

ओशो श्री रजनीश अथातो भक्ति जिज्ञासा।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

कुछ फर्ज थे मेरे, जिन्हें यूं निभाता रहा।  खुद को भुलाकर, हर दर्द छुपाता रहा।। आंसुओं की बूंदें, दिल में कहीं दबी रहीं।  दुनियां के सामने, व...