सोमवार, 7 अगस्त 2023

चींटी और तितली

एक थी चींटी। वह घूमने जा रही थी । चलते-चलते उसे बहुत भूख लगी। इतने में उसे चावल का एक दाना मिला। वह खुश हो गई। चींटी ने चावल का दाना मुँह में रखा। आगे चलने लगी। चलते-चलते रास्ते में उसे मूँग का एक दाना मिला। चींटी मूँग का दाना देखकर खुश हो गई। चींटी ने सोचा, मूंग और चावल की मैं खिचड़ी बनाऊँगी। उसके मुँह में पानी आ गया। यह सोचकर चींटी मूँग का दाना मुँह में रखा। इससे चावल का दाना गिर गया। उसने चावल का दाना मुँह में पकड़ा, लेकिन ऐसा करते ही मूँग का दाना गिर गया। चींटी तो थी छोटी-सी, जरा-सी । उसका मुँह भी छोटा । इसलिए मूँग और चावल दोनों के दाने एक साथ उसके मुँह में नहीं आ सके। एक रहे तो दूसरा निकल जाए !

दोनों दाने न ले जाये तो खिचड़ी नहीं बनेगी। इसलिए चींटी ने बहुत कोशिश की। वह थक गई लेकिन दाने मुँह में नहीं आए। चींटी तो निराश हो गई । वह खड़ी खड़ी सोचने लगी।

इतने में वहाँ से एक तितली निकली। चींटी को निराश खड़ा देखकर तितली ने पूँछा, बहन, क्यों इस तरह चिंता में हो? चींटी ने कहा- "मुझे खिचड़ी बनानी है, लेकिन मूँग और चावल इन दोनों के दाने मेरे मुँह में एक साथ नहीं आते हैं और एक दाने से खिचड़ी बनेगी नहीं। एक दाना घर ले जाकर मैं खिचड़ी कैसे बनाऊँ ?" तितली ने सोचकर कहा, मैं तुम्हारी कुछ सहायता करूँ ?

चींटी बहुत खुश हो गई। चींटी ने कहा- "तुम मूँग का दाना ले लो, मैं चावल का दाना ले लेती हूँ। अपने साथ मिलकर मेरे घर जाएँगे।" तितली ने कहा- "लेकिन एक शर्त है, तुम जो खिचड़ी बनाओगी उसमें मेरा भी हिस्सा रहेगा | आधी खिचड़ी मुझे देनी होगी।”

यह सुनकर चींटी बोली, "हां क्यों नहीं.... इसमें क्या शर्त रखती हो ? जो मेहनत करे वह खाए। फिर तुम तो मेरी मेहमान हो।"

दोनों साथ में मिलकर मूँग और चावल का दाना चींटी के घर पहुँचाया। चींटी ने मूंग और चावल की खिचड़ी बनाई। फिर चींटी और तितली ने मिलकर बड़े मजे से खिचड़ी खाई ।

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