बुधवार, 26 जुलाई 2023

निशानेबाज मुल्ला नसीरुद्दीन

अपने गाँव के बाजार के चबूतरे पर बैठकर मुल्ला नसीरुद्दीन लोगों को एक कपोल कल्पित घटना सुना रहा था - "एक बार मैं अपने गदहे पर सवार होकर अपनी ससुराल जा रहा था। ससुराल के रास्ते में एक जंगल है। जब मेरा गदहा जंगल में घुसा तो मेरे सामने एक शेर आ गया। शेर को देखकर मैंने अपना साहस नहीं खोया । तुरन्त धनुष और बाण निकाला। प्रत्यंचा पर बाण रखा और कान तक प्रत्यंचा खींचकर बाण छोड़ दिया। पलक झपकते देखा कि बाण से बिंधा हुआ शेर मेरे गदहे के आगे पड़ा हुआ था । "लोगों को मुल्ला नसीरुद्दीन की बात पर भरोसा नहीं हुआ । श्रोताओं में से एक ने टोका "मैंने तो कभी आपके पास धनुष-बाण नहीं देखा?”

मुल्ला नसीरुद्दीन ने कहा- "जरूरत के समय ही मैं अपना धनुष-बाण निकालता हूँ। लेकिन मेरा यकीन करो कि मैं अचूक निशानेबाज हूं।"दूसरे श्रोता ने कहा- “जब इसे सन्देह हो ही गया है तो आप अपना धनुष-बाण लाकर इन सबको अपना अचूक निशाना दिखा ही दीजिए।”

मन-ही-मन मुल्ला नसीरुद्दीन ने सोचा- 'बुरे फँसे ।' मगर उसने अपने चेहरे पर कोई भाव नहीं आने दिया और मजमा लगाकर बैठे लोगों से कहा- "अब कौन घर जाए और धनुष-बाण लाए! इतनी देर में तो सूरज ढल जाएगा...तब क्या खाक मजा आएगा निशानेवाजी का!" मुल्ला नसीरुद्दीने की बात श्रोतावृन्द को ठीक लगी।

उनमें से एक श्रोता तेजी से उठा - " मैं अभी तीर-धनुष और लक्ष्य लेकर आता हूँ।" इतना कहते-कहते वह तेजी से दौड़ गया। थोड़ी ही देर में वह निशानेबाजी का सारा सामान लेकर चबूतरे के पास आया और मुल्ला नसीरुद्दीन को धनुष-बाण देकर कहा- "मैं लक्ष्य को सामने वाले पेड़ के तने पर लटकाकर आता हूँ। मेरे आने के बाद आप अपनी निशानेबाजी दिखाना।"

मुल्ला के पास हामी भरने के सिवा और कोई चारा नहीं था। लक्ष्य बाँधकर वह व्यक्ति लौट आया और मुल्ला नसीरुद्दीन से कहा- -“अब चलाइए बाण।" -

मुल्ला नसीरुद्दीन ने पहला बाण छोड़ा जो लक्ष्य से बहुत पहले रास्ते में ही गिर पड़ा। सभी हँसने लगे।मुल्ला ने कहा- "यह निशाना मेरा नहीं था। ऐसे बाण चलाया करते हैं हमारे कोतवाल !”लोग फिर हँस पड़े।

मुल्ला को दूसरा बाण दिया गया। मुल्ला ने इस बार थोड़ा और जोर लगाकर प्रत्यंचा खींची। बाण छूटा मगर लक्ष्य तक नहीं पहुँचा। लोग फिर हँसने लगे।

मुल्ला ने कहा- "हां तो भाइयो, वह थी काजी की निशानेबाजी। ऐसी निशानेबाजी पर मुझे भी हँसी आती है। "

मुल्ला को फिर तीसरा बाण दिया गया। मुल्ला ने इस बार प्रत्यंचा पर बाण चढ़ाया ही था कि लोगों ने पूछना शुरू कर दिया- “यह निशाना तो मुल्ला नसीरुद्दीन का है न?" 

मगर मुल्ला नसीरुद्दीन ने उनकी बातों का कोई जवाब नहीं दिया और कान तक प्रत्यंचा खींचकर बाण छोड़ा-सन्न करता हुआ बाण लक्ष्य को बेध चुका था। बाण छोड़कर मुल्ला नसीरुद्दीन ने विजेता भाव से सबकी ओर देखा और पूछा - "देख लिया न, बन्दे का निशाना।" लोगों ने मान लिया कि मुल्ला नसीरुद्दीन निशानेबाज भी है।

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