गुरुवार, 27 जुलाई 2023

 एक दिन एक वजीर ने अपने बादशाह से मुल्ला नसरुद्दीन की  खूब तारीफ की। उसे बहुत लायक आदमी बताया। उसकी अकल की बहुत प्रशंसा की।

बादशाह ने कहा: “ठीक है मैं उसे भी अपना वजीर बना लेता हूँ।" बादशाह ने मुल्ला नसरुद्दीन को बुलावा भेजा । नसरुद्दीन को वजीर बना दिया गया । बादशाह ने नसरुद्दीन से कहा: "मैं अपनी जनता को खुशहाल बनाना चाहता हूँ । तुम कोई तरकीब बताओ ।

मुल्ला नसरुद्दीन का जवाब था: "इसकी एक ही तरकीब है। जनता का खून चूस चूस कर जो दौलत आप ने जमा की है, उसे जनता को वापिस कर दीजिए। जनता खुशहाल हो जाएगी।'अपने वजीर से बादशाह को ऐसे जवाब की उम्मीद नहीं थी ।


मुल्ला नसरुद्दीन बादशाह के वजीर बन गए। अब हर कोई उनका दोस्त बनना चाहता था । किसी ने कहा: “मुल्ला नसरुद्दीन आप किस्मत वाले हैं। कितने ज्यादा दोस्त हैं आपके ।"

मुल्ला नसरुद्दीन ने जवाब दिया: 'आज तो मेरे बहुत से  दोस्त हैं। मगर मेरे असली दोस्तों का पता उस दिन चलेगा जब मैं वजीर नहीं रहूँगा।"


एक दिन बादशाह ने मुल्ला नसरुद्दीन से पूछा: "यह बताओ  जनता का किया सीजपदा पूखशी होती


आपके स्वर्गवासी होने से, " मुल्ला नसरुद्दीन का सीधा-सा जवाब था ।


एक बार मुल्ला नसरुद्दीन की आँखों में कोई तकलीफ हो गई।  उन्हें हर चीज धुंधली - धुंधली नजर आने लगी।

रोज मुल्ला नसरुद्दीन बादशाह का मजाक उड़ाया करता था। आज बादशाह को मौका मिल गया। उसने कहा: “सुना है तुम्हें एक चीज दो नज़र आने लगी है। मुबारक हो। तुम्हारे पास एक गधा है। अब तुम्हें दो दिखेंगे"

मुल्ला ने कहा: " आपने सही फरमाया । आपकी भी मुझे दो की जगह चार टांगें दीख रही हैं।"


बादशाह मुल्ला नसरुद्दीन से नाराज था। उनकी खिल्ली उड़ाना  चाहता था। उसने सबके सामने ऐलान किया: " आज से हम नसरुद्दीन को गधों का बादशाह बनाते हैं ।"

बादशाह के सारे दरबारी यह सुनकर हँस पड़े। मगर नसरुद्दीन उठा। उसने इसके लिए बादशाह का शुक्रिया अदा किया। फिर बादशाह से कहा: 'हटिये । इस गद्दी पर मुझे बैठने दीजिए।"

यह सुनकर बादशाह गुस्सा हो गया। उसने कहा: "यह क्या बदतमीजी है। तुम और मेरी गद्दी पर बैठोगे ? तुम होश में तो हो ! "नसरुद्दीन ने कहा: 'अब शोर मत मचाइये। अभी आपने मुझे गधों का बादशाह बनाया है । यह गद्दी आज से मेरी हुई।"


दिन बादशाह और मुल्ला नसरुद्दीन हँसी-मजाक कर रहे थे। मगर अचानक बादशाह गंभीर हो गया। उसने पूछा: "मुल्ला नसरुद्दीन यह तो बताओ कि मरने पर मुझे स्वर्ग मिलेगा या नर्क ?"

मुल्ला नसरुद्दीन ने कहा: “बेशक नर्क।"

यह सुनकर बादशाह गुस्सा हो गया। उसने मुल्ला नसरुद्दीन खूब डाँटा - -फटकारा।

मुल्ला नसरुद्दीन ने कहा: "हुजूर खता माफ हो। मगर सच यह है कि आपने बड़ी तादाद में उन लोगों को मरवा दिया है, जो कि स्वर्ग जाने के काबिल थे। अब स्वर्ग उनसे खचाखच भरा हुआ है। वहाँ आपके लिए जगह नहीं बची है । '


एक दिन बादशाह ने नसरुद्दीन से कहा, मुझे ऐसा काम बताओ, जिसे करके मरने के बाद मुझे स्वर्ग मिले " नसरुद्दीन ने कहाः " दिन-रात सोइये।" बादशाह ने नाराज होकर जवाब दिया: "क्या कहते हो ? सोने से भी किसी को स्वर्ग मिलता है ?" नसरुद्दीन ने कहा: “सबको नहीं मिलता। मगर आपको मिलेगा। सोकर आप पाप करने से बचे रहेंगे ।"


एक दिन बादशाह ने नसरुद्दीन से पूछा: "मरकर तुम कहाँ  जाना चाहोगे ? स्वर्ग या नर्क ? नसरुद्दीन ने बादशाह से पूछा: "पहले आप बताइये।"बादशाह ने कहा: “जाहिर है कि स्वर्ग जाना चाहूँगा।" नसरुद्दीन ने कहा: 'तब मैं नर्क में जाऊँगा। मरने के बाद भी मैं आपके साथ रहना बर्दाश्त नहीं कर सकता।"


क दिन बादशाह ने नसरुद्दीन से कहा: “नसरुद्दीन मेरे सामने तो मेरी लोग खूब तारीफ करते हैं। मगर पीठ पीछे गालियाँ देते हैं। ऐसा क्यों ?"


नसरुद्दीन ने कहा: “ऐसा इसलिए होता है कि आप कहते कुछ हैं और करते कुछ हैं। लोग भी आपके साथ यही सलूक करते हैं।"


बादशाह की बेगम के पैर भारी थे। बादशाह ने मुल्ला नसरुद्दीन से पूछा: "तुम तो ज्योतिषी हो। यह बताओ कि मेरी बेगम को लड़का होगा या लड़की ?" "लड़की, " मुल्ला नसरुद्दीन ने जवाब दिया।बादशाह ने कहा: “लड़की हमारे किस काम की ? लड़का होगा तो हमारा वारिस बनेगा। लड़की होगी तो यह गद्दी खाली रहेगी।"नसरुद्दीन ने कहा: " अच्छा रहेगा। जनता को राहत रहेगी।'


एक दिन बादशाह और मुल्ला नसरुद्दीन साथ-साथ घूम रहे थे  बादशाह ने पूछा: " यह बताओ कि अगर मुझे बाजार में " गुलाम की तरह बेचा जाए तो मेरी कितनी कीमत लगेगी ?"

मुल्ला नसरुद्दीन ने कहा: 'एक लाख रुपये । " बादशाह ने कहा: “तुम बेवकूफ हो। तुम्हारी अकल घास चरने गई है। एक लाख रुपये तो मेरे हार की ही कीमत है । 

"मुल्ला नसरुद्दीन ने कहाः "आपको खरीदने वाले आपकी नहीं, सिर्फ हार की कीमत देंगे। "


मुल्ला नसरुद्दीन को पक्षियों की बोली समझ में आती है। बादशाह को भी यह बात पता थी। वह एक दिन मुल्ला नसरुद्दीन को अपने साथ शिकार पर ले गया । रास्ते में एक इमारत दिखी। इमारत खंडहर हो चुकी थी । उस पर उल्लू बोल रहे थे । बादशाह ने पूछा कि ये क्या कह रहे हैं। मुल्ला ने जवाब दिया : "हुजूर ये कह रहे हैं कि ऐ बादशाह तू सावधान हो जा। जनता पर जुल्म ढाना बंद कर वरना तेरी सल्तनत का भी वही हाल होगा, जो इस इमारत का हुआ है।"




एक दिन मुल्ला नसरुद्दीन ने देखा कि बादशाह के महल की  दीवारें ऊंची की जा रही है। एक वजीर कामकाज की देखरेख कर रहा है। नसरुद्दीन ने वजीर से पूछा: "भई यह दीवार क्यों ऊँची की जा रही है ?" वजीर ने कहा: "सीधी सी बात है। दीवार ऊँची होगी तो महल में चोर नहीं घुस सकेंगे सोना-चाँदी, हीरा-जवाहरात की चोरी बंद हो जायगी।" नसरुद्दीन ने कहा: "इससे बाहर के चोर तो रुक जाएँगे । मगर अंदर के चोर कैसे रुकेंगे ?"


एक दिन बादशाह ने नसरुद्दीन से कहा: “आज सुबह मैंने एक अपनी सूरत आईने में देखी। मैं वाकई बदसूरत हूँ । अब कभी आईने में अपना चेहरा नहीं देखूँगा।" नसरुद्दीन तुरंत बोला: " आप तो अपनी सूरत एक दिन देखकर ही घबरा गये। मुझे तो दिन-रात देखनी पड़ती है। सोचिये, मेरा क्या हाल होता होगा।"



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