रविवार, 7 जुलाई 2024

 हमारे सामने सबसे बड़ा भय यह है कि अगले जन्म में हमें संभवतः मानव देह प्राप्त होने के स्थान पर कहीं निम्न योनियों जैसे पशु, पक्षी आदि की योनियों में जन्म लेना और नरक लोकों आदि में न जाना पड़े। हमें यह आत्मसंतुष्टि नहीं हो सकती कि अगले जन्म में हमारे लिए मनुष्य योनि सुरक्षित रहेगी क्योंकि पुनर्जन्म का निर्धारण हमारे कर्मों और इस जीवन की चेतनावस्था के अनुसार होता है। 

पृथ्वी पर 84 लाख योनियों का अस्तित्व पाया जाता है। मनुष्य से निम्न योनियों-पशु-पक्षी, मीन, कीट-कीटाणु, आदि में मनुष्यों के समान बुद्धि नहीं होती। यद्यपि वे मनुष्य की भांति खाने, सोने और अपनी रक्षा व संभोग आदि गतिविधियों में संलग्न रहते हैं। जीवन का परम लक्ष्य प्राप्त करने के प्रयोजनार्थ मानवजाति को बुद्धि के गुण से सम्पन्न किया गया है ताकि वह इसका प्रयोग स्वयं के आत्म उत्थान के लिए कर सके। अगर मनुष्य अपनी बुद्धि का प्रयोग पशुओं की भांति केवल खाने, सोने, संभोग और अपनी रक्षा करने आदि जैसे कार्यों में भोग विलास के लिए करता है तब यह मानव जीवन को व्यर्थ करने के समान है। यदि कोई मनुष्य जीवन के क्षणिक सुख के लिए खाद्य पदार्थों का सेवन करने में ही जीवन व्यतीत कर देता है तब अगले जन्म में उस व्यक्ति के लिए सुअर का शरीर अति उपयुक्त होगा और उस मनुष्य को अगले जन्म में सुअर का शरीर मिलेगा। अगर कोई निद्रा को ही जीवन का लक्ष्य बनाता है तब भगवान उसकी रुचि के अनुरूप पोलर बीयर के शरीर को उपयुक्त समझ कर अगले जन्म में उसे ध्रुवीय भालू की पशु योनि में भेजेंगे। 

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